सफेद हाथी और गोबर
कुछ कहावतें आम आदमी के जीवन में उतना ही महत्व रखती हैं, जितना इस धरती पर उसका अस्तित्व
कुछ कहावतें आम आदमी के जीवन में उतना ही महत्व रखती हैं, जितना इस धरती पर उसका अस्तित्व। आम आदमी का महत्व कितना महत्वपूर्ण है यह तो उसकी भलाई के नाम से बनी योजनाओं के क्रियान्वयन से जगज़ाहिर है। ऐसी ही दो कहावतें हैं, 'अगर हाथी पालने हों तो दरवाज़े ऊँचे रखने चाहिए' और 'स़फेद हाथी'। अब जिसे हाथी पालने का शौ़क होगा, वह अपने दरवाज़े तो अवश्य ऊँचे रखेगा। लेकिन स़फेद हाथी कभी नहीं पालना चाहेगा। यह काम तो केवल सरकारें ही कर सकती हंै, वह भी आज़ाद भारत की। ऐसी सरकार इसीलिए लोकतांत्रिक और जन कल्याणकारी कहलाती है क्योंकि वह पालती ही स़फेद हाथी है। स़फेद हाथी पालने वाली परियोजनाओं से सरकार के चेले-चमट्टों को मु़फ्त की रोटियां तोड़ने के मौ़के के अलावा महावतों और उनके सरदारों को घूस, दलाली (सभ्य शब्दों में कमीशन) एवं कई प्रकार की सुविधाएं मिलती रहती हैं। सरकार द्वारा पाले गए अधिकतर स़फेद हाथी जब तक सरकार के आँगन में बँधे रहते हैं, खाने के अलावा सि़र्फ गोबर ही करते नज़र आते हैं। जब इन हाथियों के बरसों के गोबर के ढेर बदबू मारने लगते हैं तो सरकारों को नए स़फेद हाथी बाँधने का बहाना मिल जाता है।