ये विषमता कहां ले जाएगी?

सम्पादकीय

Update: 2021-07-02 17:14 GMT

केंद्रीय बैंक बड़ी संख्या में नोट छाप कर ब्याज दरों को कम करना चाहते थे, ताकि लोन देकर उद्योगों को बढ़ावा दे सकें और अर्थव्यवस्था को नुकसान से निकाला जा सके। लेकिन ऐसा होने के बजाए यह पैसा शेयर बाजार में लगाया गया। नतीजतन वही लोग अमीर होते रहे, जो पहले से अमीर थे।

कोरोना महामारी की मार पूरी दुनिया पर पड़ी। भारत सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में एक रहा। ये एक आपदा है, यह मानने में कोई हिचक नहीं हो सकती। लेकिन किसी परिवार में अगर किसी आपदा से सभी बराबर पीड़ित हों, तो सब यह मान लेते हैं कि बुरा वक्त आया, तो उसका नतीजा सबको भुगतना पड़ा। लेकिन अगर बुरा वक्त किसी एक तबके लिए चमकने का मौका मिल जाए, तो समाज में सवाल उठेंगे। न सिर्फ सवाल उठेंगे, बल्कि देर सबेर असंतोष भी पैदा होगा। आज हम उसी कगार पर हैँ। एक ताजा रिपोर्ट ने बताया है कि (डॉलर को मुद्रा का आधार मानें तो) 2020 में हर भारतीय परिवार की घरेलू संपत्ति 6.1 प्रतिशत कम हो गई है। रुपये को आधार माने तो यह कमी करीब 3.7 प्रतिशत है। संपत्ति में आई इस कमी की मुख्य वजह यहां जमीन और घरों के दाम में आई भारी गिरावट है। भारतीयों की घरेलू संपत्ति में कुल गिरावट 8.4 प्रतिशत है। लेकिन कुछ वित्तीय संपत्तियों जैसे शेयर मार्केट में लगे पैसों से अच्छा रिटर्न मिलने के चलते करीब दो फीसदी गिरावट की भरपाई हो गई।

नतीजा यह हुआ कि एक तबके पर कम मार पड़ी, जबकि बाकी तबके तबाही के कगार पर पहुंच गए। और भारत में तो जिसे क्रोनी कैपिटलिज्म कहते हैं, जो लोग उसका हिस्सा हैं, उनकी तो चांदी ही हो गई। उनकी संपत्ति में अकूत इजाफा हुआ है। स्विस बैंक केड्रिट सुइस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत समेत पूरी दुनिया में असमानता बढ़ी है। आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट से सबसे धनी समूह न सिर्फ अछूता रहा है, बल्कि शेयरों की कीमत बढ़ने और घरों के दामों पर ब्याज दरें कम होने से उसे फायदा भी हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल दुनिया की कुल संपत्ति मे 7.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि प्रति व्यक्ति संपत्ति 6 प्रतिशत बढ़ी है। इसकी एक वजह दुनिया के ज्यादातर केंद्रीय बैंकों का बड़ी संख्या में नोट छापना है। वे ऐसा करके ब्याज दरों को कम करना चाहते थे, ताकि लोन देकर मैन्युफैक्चरिंग और अन्य उद्योगों को बढ़ावा दे सकें और अर्थव्यवस्था को नुकसान से निकाला जा सके। लेकिन ऐसा होने के बजाए यह पैसा शेयर बाजार में लगाया गया। नतीजतन वही लोग अमीर होते रहे, जो पहले से अमीर थे।
क्रेडिट बाय नया इण्डिया 


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