पशुपतिनाथ पारस को केन्द्र में मंत्री बनाए जाने के बाद क्या करेंगे चिराग?
आर्शीवाद यात्रा के जरिए राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करने उतरे चिराग पासवान के लिए एनडीए में बने रहना मुश्किल दिखाई पड़ने लगा है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आर्शीवाद यात्रा के जरिए राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करने उतरे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के लिए एनडीए (NDA) में बने रहना मुश्किल दिखाई पड़ने लगा है. चिराग के चाचा पशुपतिनाथ पारस (Pashupati Nath Paras) द्वारा किए गए बगावत के बाद चिराग पार्टी पर मजबूत पकड़ को लेकर बिहार (Bihar) में राजनीतिक यात्रा करने उतरे. लेकिन बिहार कोटे से संभावित तीन मंत्रियों में पशुपतिनाथ पारस का नाम शामिल होने की खबर के बाद चिराग के लिए एनडीए में बने रहना मुश्किल नजर आ रहा है.
चिराग विरोधी गुट के नेता पशुपतिनाथ पारस बिहार कोटे से मंत्री बनाए जा रहे हैं. बिहार की एक वेबसाइट ने दावा किया है कि पशुपतिनाथ पारस को इस बाबत फोन गृहमंत्री अमित शाह द्वारा किया जा चुका है. दावा किया गया है कि जिन तीन लोगों का मंत्री बनना तय है उनमें जेडीयू के आरसीपी सिंह, बीजेपी के सुशील मोदी और एलजेपी के बागी गुट के नेता पशुपतिनाथ पारस का नाम शामिल है. दरअसल एलजेपी के पांच सांसद पशुपतिनाथ पारस के खेमें में जा चुके हैं और उन्होंने चिराग पासवान पर पार्टी सांसदों की अनदेखी का आरोप लगाया था.
वहीं चिराग पासवान एलजेपी (LJP) में दो फाड़ के लिए जेडीयू (JDU) को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं, लेकिन बीजेपी (BJP) से उनका मोह भंग नहीं हुआ है. चिराग को उम्मीद है कि बीजेपी उन्हें असली एलजेपी मानकर अपने साथ एनडीए में रखेगी और उनकी पार्टी में टूट के लिए जिम्मेदार उनके चाचा पशुपतिनाथ पारस को मंत्री नहीं बनाएगी.
आर्शीवाद यात्रा द्वारा शक्ति प्रदर्शन का अभिप्राय क्या है?
पांच जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती के तौर पर मनाया जाता है. पिता की मौत के बाद चाचा पशुपतिनाथ पारस द्वारा पार्टी में टूट के बाद चिराग जनता की अदालत में शक्ति आजमाइश करने पांच जुलाई को बिहार में लोगों से संवाद करने और उनका आर्शीवाद हासिल करने पहुंचे. एलजेपी के असली नेता चिराग खुद हैं ये साबित कर बीजेपी तक पैगाम पहुंचाना चिराग का दूसरा मकसद रंग लाता दिखाई नहीं पड़ रहा है.
बीजेपी के एक प्रवक्ता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि बीजेपी प्रवक्ताओं को चिराग के मामले पर कुछ नहीं बोलने की हिदायत पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा दी गई है. ज़ाहिर है बीजेपी चिराग को लेकर अपनी रणनीति का खुलासा नहीं कर रही है. लेकिन जेडीयू के सूत्र कहते हैं कि चिराग को लेकर पार्टी हाईकमान का फैसला साफ है. इसलिए बीजेपी को तय करना पड़ेगा कि बीजेपी जेडीयू को साथ रखकर राजनीति करना चाहती है या फिर एनडीए को नुकसान पहुंचाने वाले चिराग पासवान को साथ रखकर. ज़ाहिर है बीजेपी चिराग का साथ छोड़ने को लेकर दुविधा में है और बीजेपी को डर है कि पासवान समाज का 6 फीसदी वोट चिराग के अलग जाने से एनडीए से अलग हो सकता है.
बिहार की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले डॉ संजय कुमार कहते हैं कि चिराग पासवान पशुपतिनाथ पारस को मंत्री बनाए जाने पर नाराज होंगे और एनडीए के अलावा दूसरे विकल्प के बारे में भी सोचेंगे लेकिन उनका एनडीए से अलग जाने का फैसला आसान नहीं रहने वाला है. दरअसल चिराग पासवान अपने आपको पीएम मोदी का हनुमान बताते रहे हैं. चिराग लोकसभा अध्यक्ष द्वारा पशुपतिनाथ पारस को मान्यता दिए जाने के बाद अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके हैं. लेकिन वो ये कहते हुए सुने गए हैं कि पीएम मोदी पर उनका भरोसा बरकरार है.
चिराग के पास क्या है दूसरा विकल्प?
पशुपतिनाथ पारस को मंत्री बनाए जाने का मतलब साफ माना जाएगा कि बीजेपी अपनी राजनीतिक मजबूरियों के चलते जेडीयू के दबाव में ऐसा करने को विवश हुई है. पशुपतिनाथ पारस को मंत्री बनाने के बाद मैसेज साफ जाएगा कि बीजेपी भी असली एलजेपी के तौर पर पशुपतिनाथ पारस गुट को ही मानने को विवश है. ज़ाहिर है इसके बाद चिराग गुट के लिए अलग रास्ता अख्तियार करना ही एक मात्र विकल्प शेष रह जाएगा ऐसा कहा जाने लगा है.
एलजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अजय कुमार पांडे कहते हैं कि पारस जी को मंत्री बनाए जाने की बात पुख्ता होना बाकी है और अगर ऐसा हुआ तो इस बारे में एलजेपी की पार्लियामेंट्री बोर्ड जरूर फैसला करेगी. ज़ाहिर है चिराग के लिए नीतीश विरोध मुहिम में आरजेडी का दामन थामना ही एकमात्र विकल्प होगा, ऐसी संभावनाएं जताई जा रही है.
आरजेडी चिराग पर डाल रही है डोरे
आरजेडी चिराग को साधने के लिए रामविलास पासवान की जयंती मना रही है. ज़ाहिर है आरजेडी अपने सपोर्ट बेस बढ़ाने के लिए पासवान समाज के 6 फीसदी मतदाताओं को साधना चाहती है जो चुनावी भंवर को पार करने में उसकी मददगार साबित होगी. आरजेडी फिलहाल चुनाव नहीं होने की वजह से जल्दी में नहीं है, लेकिन नीतीश विरोध की राजनीति करने वाले चिराग के लिए आरजेडी में जाना ही एकमात्र विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. वैसे लालू प्रसाद यादव बदलते माहौल में चिराग के रुख पर नजर रखे हुए हैं, ताकी चिराग आरजेडी की शर्तों पर महागठबंधन में शामिल हो सकें.
आरजेडी के एक बड़े नेता के मुताबिक पार्टी पासवान समाज को साधने के लिए रामविलास जयंती मना रही है, लेकिन चिराग को पार्टी में साथ जोड़ने की जल्दी में आरजेडी सुप्रीमों नहीं हैं. ज़ाहिर है चिराग के साथ बिहार में एक भी विधायक नहीं हैं जो आरजेडी को किसी भी तरह का तात्कालिक लाभ पहुंचा सकता हो.