क्या है सेवन सिस्टर्स वाले नॉर्थ ईस्ट में मिजोरम और असम के बीच की लड़ाई का मूल कारण
भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों को ‘Seven Sisters’ यानि सात बहनें कहा जाता है
विष्णु शंकर। भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों को 'Seven Sisters' यानि सात बहनें कहा जाता है. त्रिपुरा (Tripura) और मणिपुर (Manipur) के अलावा इन सभी का जन्म समय-समय पर असम राज्य के विघटन से हुआ. राज्य या यूनियन टेरिटरी बनने से पहले, बहुत लम्बे समय से, ये सभी कमोबेश कबीलाई संस्कृति पर आधारित रहे हैं, और इनकी अपनी अलग पहचान इनके लिए बहुत मायने रखती है. इस पूरे इलाके में राजनीतिक और कबीलाई हिंसा की छिटपुट घटनाएं समय-समय पर होती रही हैं, लेकिन सोमवार को हुई हिंसा बहुत गंभीर है. इस हिंसा में असम के कम से कम पांच पुलिसकर्मी मारे गए और दोनों ओर के लगभग 50 लोग घायल हुए, कुछ गंभीर रूप से.
इस हिंसा को लेकर राजनीति ज़ोरशोर से चालू है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हिंसा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ज़िम्मेदार ठहराया. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हिंसा का ठीकरा मिज़ोरम पर फोड़ा और मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने असम पर. अमित शाह ने दोनों मुख्यमंत्रियों से कहा है कि वे हिंसा शांत कर स्थिति सामान्य करने की भरसक कोशिश करें. ध्यान देने वाली बात है कि हिंसा की घटना के दो दिन पहले ही अमित शाह ने पूर्वोत्तर भारत के सभी मुख्यमंत्रियों से शिलांग में मुलाकात की थी.
पूर्वोत्तर के सभी राज्य इस समय North East Democratic Alliance यानि NEDA के परचम तले बीजेपी के नेतृत्व में संगठित हैं. NEDA के संयोजक यानी Convener हिमंता बिस्वा सरमा हैं. इसलिए, यह पूरा इलाका शांत रहे और तरक्की करता रहे, इसकी विशेष ज़िम्मेदारी हिमंता बिस्वा सरमा की है. असम और मिज़ोरम के तीन-तीन ज़िलों की सीमा एक दूसरे से मिलती हैं. ये हैं मिजोरम से ऐज़ौल, कोलासिब और मामित और असम से कचार, हैलाकांडी और क़रीमगंज, जो बराक घाटी का हिस्सा हैं.
इन ज़िलों में एक दूसरे के खिलाफ छिटपुट हिंसा लम्बे समय से होती रही है. पिछली बार यह इसी साल जून महीने में हुई थी. असम और मिजोरम के बीच 164 किलोमीटर लम्बी सीमा है. इनके बीच सीमा विवाद इसलिए है क्योंकि इनके बीच की सीमारेखा इतिहास में दो बार खींची गयी थी – 1875 और 1933 में. असम की बराक घाटी के कचार इलाके में 19वीं शताब्दी के मध्य में ब्रितानी मिल्कियत वाले चाय बागान बने और सफलता की वजह से इनका फैलाव शुरू हो गया. समस्या तब खड़ी हुई, जब फैलते-फैलते ये लुशाई हिल्स तक पहुंच गए जो मिज़ो लोगों का आश्रय स्थल था.
अगस्त 1875 में मिज़ो लोगों के अनुसार पांचवी बार कचार और लुशाई हिल्स के बीच सीमारेखा खींची गयी, और कचार ज़िले की दक्षिणी सीमा पक्की की गयी. मिज़ो लोग यह भी कहते हैं कि यह पहली बार हुआ था कि सीमारेखा के निर्धारण में उनकी बात भी सुनी गयी. इसी फैसले के आधार पर 1877 में असम गज़ट में इस क्षेत्र में Inner Line Reserve Forest की सीमा तय की गयी. फिर 1933 में लुशाई हिल्स और मणिपुर रजवाड़े की सीमाएं तय की गईं. इस समझौते के अनुसार मणिपुर की सीमा लुशाई हिल्स, कचार ज़िले और मणिपुर राज्य के तिमुहाने यानि ट्राईजंक्शन से शुरू होती थीं. मिज़ो लोग इस फैसले को नहीं मानते और 1875 के समझौते पर ही ज़ोर देते हैं, जो उनके कबीलाई सरदारों की सहमति से बना था.
भारत की स्वतंत्रता के बाद असम से निकल कर पहले 1963 में नगालैंड राज्य, और 1972 में UT के रूप में अरुणाचाल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम बने. इस इलाके के जानकार लोगों का कहना है कि असम और मिजोरम के बीच हुई एक सहमति के अनुसार दोनों राज्यों के बीच बॉर्डर एरिया में No Man's Land पर Status Quo यानि यथास्थिति बनाये रखना तय हुआ था. लेकिन 2018 में फरवरी माह में जब Mizo Zirlai Pawl यानि MZP नाम के स्टूडेंट यूनियन ने मिज़ो किसानों के आराम करने के लिए लकड़ी का एक विश्राम गृह बनाया तो असम राज्य का कहना था कि यह उनकी ज़मीन पर बना था और फिर असम पुलिस ने इसे तोड़ दिया. बस इसके बाद दोनों पक्षों में हिंसा भड़क उठी. असम के लैलापुर में अक्टूबर 2020 में फिर दो बार हिंसा भड़क गई जब एक भवन के निर्माण पर मिजोरम ने यह कहते हुए कि यह ज़मीन उनकी है, आपत्ति की. और दोनों तरफ तल्खी अभी भी बनी हुई है और तलाश है एक ऐसे सोचे समझे समाधान की जो दोनों पक्षों को स्वीकार हो.