छीजती ऊर्जा
यह त्योहारों के मौसम है और बिजली संकट की आशंका गहराने लगी है। स्वाभाविक ही इसे लेकर विशेषज्ञ और राजनीतिक दल तरह-तरह से चिंता जाहिर कर रहे हैं।
यह त्योहारों के मौसम है और बिजली संकट की आशंका गहराने लगी है। स्वाभाविक ही इसे लेकर विशेषज्ञ और राजनीतिक दल तरह-तरह से चिंता जाहिर कर रहे हैं। पहले तथ्य सामने आया कि बिजली घरों के पास महज चार दिनों का कोयला बचा है। फिर इसके घटते जाने के आंकड़े आने शुरू हो गए। कायदे से बिजली घरों के पास चौदह दिन का कोयला भंडार सुरक्षित रहना चाहिए। मगर कोयले की आपूर्ति न हो पाने की वजह से यह भंडारण लगातार कम हो रहा है। इसलिए आशंका जाहिर की जा रही है कि यही स्थिति रही, तो पूरा देश अंधेरे में डूब जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो सबसे बुरी मार उद्योगों और कारोबार पर पड़ेगी। कुछ राज्यों की सरकारों और विपक्षी दलों ने इस पर सरकार को घेरने की भी कोशिश की। मगर सरकार का दावा है कि ऐसी स्थिति नहीं आने दी जाएगी। हमारे पास पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध है। ऊर्जामंत्री ने इस बात पर विशेष बल देते हुए आश्वस्त किया है कि बिजली संकट को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं। हालांकि कुछ दिनों पहले सरकार की तरफ से ही यह चिंता जाहिर की गई थी कि बिजली घरों के पास महज कछ दिनों के लिए कोयला बचा है।