टीकों की बर्बादी: राज्य टीकों की बर्बादी रोकें, वायल खुलने के 4 घंटे में कोविड रोधी टीकों का उपयोग सुनिश्चित किया जाए
यह जानकारी सामने आना दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्यों में कोविड रोधी टीकों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| यह जानकारी सामने आना दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्यों में कोविड रोधी टीकों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक टीकों की सबसे अधिक 33.95 प्रतिशत बर्बादी झारखंड में पाई गई। इसका मतलब है कि इस राज्य में परवाह नहीं की जा रही है कि टीकों को जाया होने से बचाना है। झारखंड के बाद छत्तीसगढ़ में 15.79 प्रतिशत टीके बर्बाद हुए। यह ठीक नहीं कि जब यह अपेक्षा की जा रही है कि एक प्रतिशत से अधिक टीकों की बर्बादी न हो, तब कुछ ही राज्य ऐसे हैं, जो इस कसौटी पर खरे उतर पा रहे हैं। यदि केरल और बंगाल में टीकों की बर्बादी प्रभावी ढंग से रोकी जा सकती है तो फिर अन्य राज्यों में क्यों नहीं? कम से कम अब तो अन्य राज्यों को केरल और बंगाल से सीख लेनी चाहिए। एक ऐसे समय जब कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों के टीकाकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही है, तब इसका कोई औचित्य नहीं कि कई राज्यों में टीकों की बर्बादी रोकने के लिए जरूरी जतन न किए जाएं। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे टीकों की बर्बादी रोकें और यह सुनिश्चित करें कि वायल खुलने के चार घंटे के अंदर उनका उपयोग सुनिश्चित किया जाए, लेकिन यह कोई ऐसा काम नहीं, जिसके लिए बार-बार निर्देश जारी करने पड़ें।