रोष का मतदान

हाल ही में सम्पन्न प्रदेश के चार उपचुनावों में मतदाताओं ने सभी सीटों पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के उम्मीदवारों को जिता दिया

Update: 2021-11-12 05:13 GMT

हाल ही में सम्पन्न प्रदेश के चार उपचुनावों में मतदाताओं ने सभी सीटों पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के उम्मीदवारों को जिता दिया। संदेश साफ है कि मतदाता वर्तमान शासन से कहीं न कहीं असंतुष्ट हैं। लेकिन सत्ताधारी दल के लिए अच्छी बात यह है कि जयराम सरकार के चार साल और मोदी सरकार के सात साल होने के बावजूद इन उपचुनावों में भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नहीं था। भाजपा इस पर गर्व भी कर सकती है। हार के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन जानकार मुख्य कारण महंगाई को मान रहे हैं। राजनीतिक कारणों के चलते सत्ताधारी दल के कई लोग इस बात से सहमति नहीं जता रहे हैं कि उपचुनावों में बढ़ती हुई महंगाई बड़ा मुद्दा थी, परंतु हिमाचल के मुख्यमंत्री ने इस बात को स्वीकार करने में हिम्मत दिखाई है।


उपचुनावों के नतीजों के तुरंत बाद केंद्र सरकार द्वारा डीज़ल और पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी की कटौती भी कहीं न कहीं जयराम ठाकुर की बात पर मुहर है कि जनता ने रोषपूर्वक महंगाई के विरोध में मतदान किया है। प्रदेश में उपचुनावों की घोषणा व आचार संहिता के लगने के बाद भी हर दिन डीजल और पेट्रोल के रेट बढ़ते रहे, जिसने लोगों के रोष में आग में घी की तरह काम किया और मुख्य विपक्षी दल को एक बड़ा चुनावी मुद्दा थमा दिया। इससे पहले भी कई चुनावों में एक तात्कालिक मुद्दा पूरे चुनावों के नतीजों को प्रभावित करता रहा है। कोरोना महामारी ने पहले ही आम जनमानस के जीवन को प्रभावित किया हुआ है, ऊपर से बढ़ती महंगाई ने लोगों को हिला कर रख दिया है। राजनीतिक दलों को इस बात को भी समझना होगा कि समाज में यह परिवर्तन भी आ रहा है कि लोग किसी रोष को लेकर अब आंदोलन का सहारा न लेकर चुनाव में विरोध में वोट देकर रोष का इज़हार भी करते हैं। अभी भी सरकार का एक वर्ष शेष है तथा कुछ सुधारात्मक कदम उठाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जा सकता है क्योंकि एक बात साफ है कि इन उपचुनावों में मतदाताओं ने महंगाई के खिलाफ रोष प्रकट करने के लिए मतदान किया है।


-राजीव पठानिया, नूरपु


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