हताशा में हिंसा
कश्मीर घाटी में दहशतगर्दों की हताशा लगातार बढ़ रही है। कुलगाम के एक सरपंच और उनकी पत्नी की हत्या उनकी हताशा का एक और उदाहरण है।
कश्मीर घाटी में दहशतगर्दों की हताशा लगातार बढ़ रही है। कुलगाम के एक सरपंच और उनकी पत्नी की हत्या उनकी हताशा का एक और उदाहरण है। पिछले कुछ समय में वे कश्मीर पुलिस में भर्ती हुए कई युवाओं की हत्या कर चुके हैं। कुछ दिनों पहले पुलिस में विशेष अधिकारी के रूप में काम कर रहे एक व्यक्ति और उसकी पत्नी को भी इसी तरह उसके घर में घुस कर मार डाला था। ताजा घटना में मारे गए सरपंच का संबंध भारतीय जनता पार्टी से था। अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनसे दहशतगर्दों की क्या खुन्नस रही होगी। हालांकि आतंकी शुरू से अपने खिलाफ काम करने वालों को निशाना बनाते रहे हैं। खासकर सत्ता पक्ष के लोगों और सुरक्षाबलों को। इस तरह वे सरकार को चुनौती पेश करते रहे हैं। मगर अब ज्यादातर हमले वे हताशा में कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में सुरक्षाबलों ने सघन तलाशी अभियान चला कर ज्यादातर आतंकी ठिकाने खत्म कर दिए हैं। उन्हें बाहर से मिलने वाली वित्तीय मदद रुक गई है। जबसे राज्य का विशेष दर्जा खत्म करके उसे केंद्र शासित प्रदेशों में विभक्त कर दिया गया है, उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। स्थानीय लोगों का भी उन्हें पहले जैसा सहयोग नहीं मिल पा रहा। इसलिए उनकी खीज बढ़ती जा रही है।