बेहद शर्मनाक
हरियाणा में व्यवस्था के स्तर पर अजीब विरोधाभास नजर आते हैं। नारे तो कुछ और दिए जाते हैं, पर काम वहां उसके उलट होते हैं। हरियाणा आज भी इस बात का कलंक झेल रहा है
हरियाणा में व्यवस्था के स्तर पर अजीब विरोधाभास नजर आते हैं। नारे तो कुछ और दिए जाते हैं, पर काम वहां उसके उलट होते हैं। हरियाणा आज भी इस बात का कलंक झेल रहा है कि वहां लड़के और लड़कियों के अनुपात में सबसे बड़ा अंतर है। इसलिए प्रधानमंत्री ने वहीं से 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना की शुरुआत की थी। वह नारा तो पूरे देश में गूंज रहा है, पर शायद हरियाणा सरकार ही उसे लेकर संजीदा नहीं दिखती। इसी का नतीजा है कि वहां महिला खिलाड़ियों के साथ बलात्कार और हत्या की घटनाएं अधिक होती हैं।
इसका ताजा उदाहरण सोनीपत की एक कुश्ती खिलाड़ी और उसके भाई की हत्या है। खिलाड़ी की मां को भी गोली मारी गई थी, जो गंभीर रूप से घायल है। पता चला कि जिस खेल अकादमी में वह कुश्ती का प्रशिक्षण ले रही थी, उसका मालिक उस लड़की के साथ छेड़छाड़ करता था, वह उससे नाजायज संबंध बनाना चाहता था। इसका विरोध करने पर उसने खिलाड़ी पर हमला करा दिया। अकादमी का मालिक फरार है, पर इस मामले में उसकी पत्नी और साले को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस घटना के बाद स्वाभाविक रूप से उस इलाके के लोगों में रोष है।
हरियाणा में यह कोई नई घटना नहीं है। महिला खिलाड़ियों के साथ उनके प्रशिक्षकों के अनुचित व्यवहार के किस्से अनेक हैं। शायद ही कोई साल गुजरता हो, जब महिला खिलाड़ियों के साथ छेड़खानी और उन पर हिंसक हमले की घटना न घटती हो। अगर सिर्फ इसी साल की बात करें, तो फरवरी में रोहतक में एक महिला भारोत्तोलक खिलाड़ी की हत्या कर दी गई।
जांच में पता चला कि उसका प्रशिक्षक उसके साथ नाजायज संबंध बनाना चाहता था और जब लड़की ने विरोध किया तो उसकी हत्या कर दी गई। इसी तरह सितंबर में चरखी दादरी में एक कुश्ती खिलाड़ी की उसके प्रशिक्षक ने हत्या करा दी। हरियाणा में खेलों को लेकर न सिर्फ लड़कों, बल्कि लड़कियों में भी खासा आकर्षण है।
वहां की कई लड़कियों ने ओलंपिक और दूसरे राष्ट्रीय खेलों में अपने हुनर का परचम लहरा कर देश का नाम ऊंचा भी किया है। इसे देखते हुए वहां की सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का दम भरते नहीं थकती। खेल अकादमियों को प्रोत्साहित करने की कोशिश भी करती है। मगर जब उन अकादमियों में महिला खिलाड़ी सुरक्षित ही नहीं होंगी, उनके प्रशिक्षक ईमानदार और सच्चरित्र नहीं होंगे, तो भला लड़कियों और उनके अभिभावकों का खेलों के प्रति उत्साह कैसे बनेगा।
हरियाणा में ही रुचिका गिरहोत्रा के मामले ने इतना तूल पकड़ा था और हरियाणा सरकार सहित तब की केंद्र सरकार को भी काफी किरकिरी झेलनी पड़ी थी। तब लगा था कि हरियाणा की खेल अकादमियों के प्रशिक्षक और मालिक कोई सबक लेंगे, मगर उसका कोई असर नहीं पड़ा। रुचिका गिरहोत्रा लान टेनिस की खिलाड़ी थी और उस खेल अकादमी का प्रभारी एक पुलिस अधिकारी था। उस अधिकारी ने रुचिका का यौन शोषण और इस कदर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया कि उसने आत्महत्या कर ली थी।
फिर उस अधिकारी ने उसके परिवार वालों को परेशान करना शुरू किया था और उसके चलते उसका पूरा परिवार ही बर्बाद हो गया। खेल अकादमियों और इस तरह की दूसरी संस्थाओं में लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाएं इसलिए नहीं रुकतीं कि सरकार उन पर कड़ी नजर नहीं रखती। हरियाणा सरकार इस मामले में अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकती।