यूनिफॉर्म बहुत जिम्मेदारी की चीज है और व्यक्ति को इसके लिए योग्य होना चाहिए
जोधपुर एयरपोर्ट पर विमान के लैंड करने के बाद यात्री ज्यों ही बैगेज लेने वाले एरिया में जाते हैं
एन. रघुरामन का कॉलम:
जोधपुर एयरपोर्ट पर विमान के लैंड करने के बाद यात्री ज्यों ही बैगेज लेने वाले एरिया में जाते हैं, कुछ यात्रियों और दो एयरपोर्ट अधिकारियों के बीच बहस-बाजी देखने से नहीं चूकते। ऐसा इसलिए क्योंकि एयरपोर्ट पर निकासी के एक तरफ एक टेबल रखी है, जिसमें बोर्ड पर लिखा है 'क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं', वहां दो लोग मेडिकल एप्रन पहनकर बैठे हैं और कोिवड की निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट मांगते हैं!
दिलचस्प रूप से उनमें से एक आदमी ने ऑपरेशन थिएटर में सिर कवर करना वाला हेडगियर पहना था, जबकि मास्क उसकी ठुड्डी पर था, ना कि नाक-मुंह ढंके था। अगर आप दूसरे राज्य से आए हैं और आपके पास निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट नहीं है, तो यही व्यक्ति आपका आरटीपीसीआर चैक करेगा। वहां राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग का बोर्ड भी लगा था, जो बड़े-बड़े अक्षरों में बता रहा था कि 'राजस्थान सतर्क है' और बाहर निकलने से पहले हर किसी से रिपोर्ट दिखाने को कहा जा रहा था।
उनमें दूसरा व्यक्ति संजय भी एप्रन पहने था और मास्क नहीं लगाए था, वही रिपोर्ट के लिए रोकता है। अगर रिपोर्ट नहीं है, तो फिर संजय हेड गियर पहने उसी व्यक्ति के पास भेज देता है। इस बुधवार को जब संजय ने मुझसे रिपोर्ट मांगी तो मैंने कहा कि 'मैं पूरी तरह वैक्सीनेटेड हूं।' उसने कहा 'दिखाइए और जाइए'। इसे दिखाने के बाद मैंने पूछा कि 'बोर्ड पर यह क्यों नहीं लिखा कि फुली वैक्सीनेटेड लोगों को आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखाने की जरूरत नहीं।'
तब उसने शांति से जवाब दिया कि 'सर, ये बोर्ड डेढ़ साल पहले लगाए थे, जब लॉकडाउन के बाद एयरलाइंस ने दोबारा काम शुरू किया था, तब सिर्फ आरटीपीसीआर रिपोर्ट वाले लोगों को ही जाने की अनुमति थी। तबसे बोर्ड नहीं बदला।' हालांकि वह विनम्र था, लेकिन एप्रन और मास्क के साथ उसका कैजुअल व्यवहार (कूल होना पढ़ें) यात्रियों को अहसास करा रहा था कि ये 'दो लोगों का गैंग' है, जो जानबूझकर यात्रियों को परेशान करने की कोशिश कर रहा है।
सीधी बात कहूं तो वे असल में किसी की मदद नहीं कर रहे थे। मेडिकल एप्रन कोई कूल कपड़ा नहीं, जो आपको किसी मेडिकल पेशेवर की तरह दिखाए। संजय और उसके साथी को समझना चाहिए कि वे आरटीपीसीआर रिपोर्ट की जांच करने के लिए एक द्वारपाल से ज्यादा कुछ नहीं हैं, जो ज्यादातर जगहों पर वैसे भी बेमानी हो गई है। वैक्सीन रिपोर्ट कई जगहों पर मान्य है और एेसी घोषणा वाला नया बोर्ड लगाना चाहिए, जिससे यात्रियों की निकासी आसान हो।
उस एप्रन के कारण संजय द्वारपाल की पोस्ट से किसी डॉक्टर जैसा व्यवहार कर रहा था! आश्चर्य होता है कि संजय जैसी योग्यता वाले किसी शख्स को एप्रन क्यों पहनना चाहिए? दूसरे एयरपोर्ट्स जैसे मुंबई में वैक्सीनेशन रिपोर्ट मांगते हैं, पर वहां लोग सादे कपड़ों में एयरपोर्ट का पहचान पत्र गले में लटकाए काम करते हैं।
मुझे कोई अंदाजा नहीं कि अधिकारियों ने क्यों उसे ऐसी यूनिफॉर्म पहनने की इजाजत दी, जिसमें वो खुद को कोई मेडिकल पेशेवर की तरह पेश करे या संजय या उसके साथी ने ही एप्रन पहनना चुना, ताकि किसी को भी बता सकें कि वे राजस्थान स्वास्थ्य विभाग के आदमी हैं, जो खुद को 'सार्थक है' का दावा करता है। उनके इस काम से न सिर्फ संजय ने बल्कि पूरे राजस्थान स्वास्थ्य विभाग ने खुद को 'दूसरों को अप्रैल फूल बनाने' वाली श्रेणी में रख लिया है।
फंडा यह है कि अपने कपड़ों से 'कूल होना' हमेशा ही कूल होना नहीं होता, पर इसमें खुद को 'अप्रैल फूल' वाली श्रेणी में रखने का खतरा जरूर है। यूनिफॉर्म बहुत जिम्मेदारी की चीज है और व्यक्ति को इसके लिए योग्य होना चाहिए। कृपया यूनिफॉर्म का सम्मान करें।