जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सरकार-समाज की सजगता जरूरी: देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में कोरोना बेलगाम होता दिख रहा है। ठंड की दस्तक के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में जानलेवा कोरोना से संक्रमित मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर बतायी जा रही है। केंद्र सरकार के आंकड़ों को मानें तो शेष देश में कोरोना के मामले घट रहे हैं, जबकि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे हैं। ऐसे में लोगों के मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि जब देश के दूसरे हिस्सों में कोराना नियंत्रण में है तो दिल्ली-एनसीआर में बेलगाम क्यों है। जब दुनिया की सबसे बड़ी स्लम बस्ती मानी जाने वाली धारावी को कोरोना से मुक्ति मिल सकती है तो राजधानी दिल्ली को क्यों नहीं? जबकि दिल्ली में प्रदेश सरकार के साथ केंद्र यानी डबल इंजन की सरकार है। दिल्ली में हर रोज आने वाले कोरोना मामलों की संख्या अब 8 हजार के निकट पहुंचने वाली है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कह चुके हैं कि यह कोरोना की तीसरी लहर है। पहली लहर का पीक 23 जून को, तो दूसरी लहर का पीक 17 सितंबर को आया था। सरकारी तंत्र इस मसले पर लगातार खामोश है कि दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर कहीं सामुदायिक स्तर पर संक्रमण फैलने से तो नहीं आई है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन कह रहे हैं कि राजधानी में कोरोना प्रदूषण से नहीं, बल्कि लोगों की लापरवाही से बढ़ रहा है। जैन के अनुसार कोरोना संक्रमण बढ़ने की सबसे बड़ी वजह हमारा व्यवहार है। मास्क नहीं लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करना सबसे बड़ा कारण है। कोरोना के मामले इतने बढ़ने का कारण त्योहारों का मौसम भी है। बाजारों में भीड़भाड़ बढ़ी है, इससे भी कोरोना संक्रमण बढ़ा है। वास्तव में लॉकडाउन खुलने के बाद लोग मास्क पहनने, हाथ धोने व दो गज की दूरी बनाए रखने जैसे आवश्यक दिशा- निर्देशों का पालन करने के प्रति बहुत लापरवाह दिख रहे हैं। जबकि दिल्ली-एनसीआर के वातावरण में प्रदूषण की मोटी चादर भी फैली है, जो कि श्वास तंत्र को और मुश्किल में डाल रही है। ऐसे में दिल्ली में कोरोना का भयावह रूप सामने आने की आशंका कायम है। दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ने के लिए मोटे तौर पर खतरनाक स्तर तक जा पहुंचा प्रदूषण और लोगों की लापरवाही को मुख्य कारण माना जा रहा है। लेकिन इन मामलों में दिल्ली में सरकारी तंत्र की विफलता भी सामने आई है। हर बार अदालत को सामने आना पड़ा है। दिल्ली में वाहनों के प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए सीएनजी लाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट को देना पड़ा था। अब पराली के धुएं से लेकर प्रदूषण का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में है। खास बात यह है कि नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डा. वी. के. पॉल ने एक माह पहले आगाह कर दिया था कि नवंबर में दिल्ली में कोरोना की एक और लहर आ सकती है। डा. पॉल की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समूह की तैयार रिपोर्ट में कहा गया था कि नवंबर में दिल्ली को लगभग 15 हजार नये मामलों के लिए तैयार करने की आवश्यकता है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने तैयार की थी। दिल्ली सरकार ने कोविड-19 के मरीजों के लिए बेड आदि का इंतजाम तो कर दिया, लेकिन दूसरी ओर वह बाजार, मॉल, मेट्रो ट्रेन, साप्ताहिक बाजार आदि उन सभी जगहों को भी खोलती जा रही है, जहां ज्यादा भीड़भाड़ होती है। बहरहाल, प्रदूषण और कोरोना से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर के लोगों को भी अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए आगे आना होगा। निकट भविष्य में दिवाली, छठ, गुरुपर्व समेत कई त्योहार हैं। ऐसे में लोगों को याद रखना होगा कि जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक मास्क को ही वैक्सीन मानें और घर से बाहर जाने पर मास्क अवश्य लगाएं। दो गज की दूरी का भी पालन करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात को भी याद रखना होगा कि लाकॅडाउन गया है, कोरोना नहीं। तभी कोराेना से जंग जीती जा सकेगी।