आचरण में पारदर्शिता
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि प्रदेश के सभी मंत्री और अधिकारी अपनी और अपने परिजनों की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दें, जिसे सरकारी पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाए।
Written by जनसत्ता: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि प्रदेश के सभी मंत्री और अधिकारी अपनी और अपने परिजनों की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दें, जिसे सरकारी पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि मंत्री और अधिकारी अपने परिजनों को सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप न करने दें। उन्होंने सीख दी कि हमें अपने आचरण से आदर्श प्रस्तुत करना है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है। मंत्रियों और अधिकारियों को अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने का बाकायदा नियम है।
इसके पहले भी सरकारें इस तरह की नसीहत अपने नेताओं और अधिकारियों को देती रही हैं। सरकारी पोर्टल पर इन लोगों की संपत्ति के ब्योरे डाले भी जाते रहे हैं। मगर व्यवहार में इसके उलट ही नजर आता है। छिपी बात नहीं है कि हर नेता की चल-अचल संपत्ति में एक से दूसरे चुनाव तक पहुंचते-पहुंचते कई गुना बढ़ोतरी हो जाती है। इसके प्रमाण खुद उन्हीं के चुनावी हलफनामे में मौजूद हैं। यही हाल अधिकारियों का है। मगर योगी आदित्यनाथ ने अगर इस प्रवृत्ति को समाप्त करने का विचार किया है, तो यह केवल मंत्रियों, अफसरों के अपनी संपत्ति का स्वत: विवरण दर्ज कराने की सदिच्छा से नहीं होगा।
पिछले कार्यकाल में योगी सरकार के कई अफसरों पर भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगे। कोरोना काल में दवाइयों और उपकरणों की खरीद में धांधली के आरोप लगे। अब भी कई विभागों के अफसर संदेह से परे नहीं हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने इन आरोपों के निराकरण के मकसद से उनकी संपत्ति आदि के ब्योरे दर्ज करने का निर्देश दिया होगा। मगर अधिकारियों और मंत्रियों के भ्रष्ट आचरण पर तब तक लगाम लगने का भरोसा पैदा नहीं होता, जब तक कि उनसे आय से अधिक संपत्ति जमा करने को लेकर जवाब न मांगे जाएं। यह उम्मीद कर लेना कि नसीहत भर से वे अपने आचरण से आदर्श प्रस्तुत करने लगेंगे, एक खामखयाली ही होगी। दरअसल, भ्रष्ट आचरण एक प्रकार की आदत है।
यह आदत अचानक नहीं बदलती, इसके लिए कड़ाई करनी पड़ती है। उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारियों का एक संघ है, जो हर साल अपने तर्इं सर्वेक्षण कराता और सूची जारी करता है, जिसमें भ्रष्ट अधिकारियों के बाकायदा नाम दिए जाते हैं। मगर विचित्र है कि कोई भी सरकार उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का प्रयास करती नहीं दिखी। फिर यह भरोसा भी कैसे किया जा सकता है कि मंत्री और अफसर अपनी और अपने परिजनों की संपत्ति का जो ब्योरा पेश करेंगे, वह बिल्कुल सही ही होगा। गलत तरीके से संपत्ति जुटाने वाले सबसे पहले उन्हें छिपाए रखने का उपाय तलाशते हैं।
यह अच्छी बात है कि योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों और अधिकारियों को आदर्श आचरण पेश करने को कहा है। सरकार का मुखिया होने के नाते अगर दागी मंत्रियों और अफसरों पर अंगुलियां उठती हैं, तो उनके लिए भी असहज करने वाली स्थिति होती है। इसलिए फिलहाल जो निर्देश उन्होंने दिया है, उसे केवल आदर्श विचार या औपचारिकता तक सीमित न रहने दें। सरकार से जुड़े लोगों की संपत्ति के बारे में सही-सही जानकारी सामने आ सके, इसका भी प्रयास करना चाहिए। वरना मंत्री और अधिकारी भी समाज के लोग ही होते हैं और आम लोगों के सामने उनकी गैरकानूनी कमाई प्रकट होती है। सरकार की शुचिता इसमें है कि वह उन तथ्यों को सही रूप में सार्वजनिक कराए। इससे निस्संदेह योगी सरकार की साख और बढ़ेगी।