ये नया भारत है, कोरोना को घुस कर मारता है और पूरी दुनिया को महामारी से बचाता है

दुनिया के नक्शे में जब भारतीयों और भारत (India) के हेल्थ (Health) की बात होती है तो

Update: 2021-03-09 08:29 GMT

दुनिया के नक्शे में जब भारतीयों और भारत (India) के हेल्थ (Health) की बात होती है तो सबसे पहले लोगों के दिमाग में यही आता है कि भारत एक ऐसा देश है जहां आधी से अधिक आबादी अभी कुपोषण की शिकार है. जिस देश में बच्चे जन्म लेने से पहले ही मर जाते हैं. जहां अभी भी मलेरिया, डायरिया जैसी बीमारियां जानलेवा हैं. लेकिन अब कोविड (Coronavirus) ने भारत की छवि दुनिया के सामने बदल कर रख दी है. आज दुनिया भर के विकसित देश जब कोरोना महामारी के चलते परेशान हैं, जहां लगातार मौतों का सिलसिला अब तक नहीं रुका है, वहीं कम स्वास्थ्य सुविधाओं वाले देश ने न केवल शानदार तरीके से कोराना का मुकाबाल किया बल्कि सेल्फ मेड वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाकर दुनिया में करोड़ों लोगों को मरने से भी बचा रहा है. भारत ने न केवल दुनिया को वैक्सीन दी बल्कि पश्चिम के सुविधा संपन्न देशों के मुकाबले तेजी से वैक्सीनेशन को अंजाम देकर कोरोना को जड़ से खत्म करने में महती भूमिका भी निभा रहा है.


रविवार को एक वेबिनार में अमेरिका के एक टॉप साइंटिस्ट ने कहा है कि भारत ने दुनिया की सबसे बेहतरीन संस्थाओं के साथ मिलकर कोरोना महामारी का जो टीका विकसित किया उससे दुनिया बच गई. भारत की इस उपलब्धि को कम करके नहीं आंकना चाहिए. बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के नेशनल स्कूल आॉफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के डीन डॉक्टर पीटर होट्ज ने कहा कि mRNA के दोनों वैक्सीन दुनिया के गरीब और मध्यम आय वर्ग वाले देशों के लिए किसी काम के साबित न होते, जबकि भारत की वैक्सीन कोविशील्ड जो आॉक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से बनी है पूरी दुनिया में सप्लाई हो रही है. साथ ही देश में बनी पूरी तरह से देसी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की डिमांड भी दुनिया के देशों में तेजी से बढ़ रही है. करीब 40 देशों ने कोवैक्सीन की डिमांड इंडिया से की है. भारत की वैक्सीन दुनिया के गरीब और कम संसाधन वाले देशों के लिए रामबाण की तरह है, क्योंकि ये सभी के लिए बेहतर है. चाहे रख-रखाव की बात हो या कीमत की भारत में बनी दोनों वैक्सीन यूरोप और अमेरिका में बनी वैक्सीन के मुकाबले में काफी ज्यादा बेहतर हैं.

दुनिया का दोस्त भारत
भारत न केवल अपने देश को कोरोनावायरस से मुक्ति दिला रहा है, बल्कि अपने मित्र देशों और पड़ोसियों को भी कोरोना वैक्सीन की खेप पहुंचा रहा है. भारत ने नेपाल, भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार, मॉरीशस, सेशेल्स, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और मोरक्को समेत कई देशों को कोरोनावायरस की वैक्सीन उपलब्ध कराई है. भारत के इस कदम की तारीफ पूरी दुनिया कर रही है. अमेरिका जहां भारत को अपना सच्चा मित्र बताता है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (United Nation) के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने भारत की तारीफ करते हुए लिखा था कि कोविड-19 रिस्पांस के लिए भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस तरह से निरंतर सहयोग करने के लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं. हम सब अगर एक साथ मिलकर इस भयानक वायरस से लड़े तो लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं.
वैक्सीन डिप्लोमेसी की मुरीद दुनिया
भारत ने जिस तरह से कोरोना वायरस के वैक्सीन को लेकर अपनी डिप्लोमेसी दिखाई है पूरी दुनिया उसकी मुरीद हो गई है. भारत ने न सिर्फ अपने दोस्तों को वैक्सीन की खेप पहुंचाई बल्कि उन्हें भी वैक्सीन दिया जिनसे भारत के रिश्ते इतने अच्छे नहीं थे. कनाडा ने जिस तरह से भारत में चल रहे कृषि आंदोलन पर बयानबाजी की थी उसके बावजूद भी प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने उसकी मदद करने का फैसला लेकर पूरी दुनिया को अपनी डिप्लोमेसी का मुरीद बना लिया.
डोमिनिका के प्रधानमंत्री रूटवेल्ट स्केरिट ने कोरोना वैक्सीन की खेप मिलते ही प्रधानमंत्री मोदी के लिए जिस तरह का भावुक संदेश लिखा था उसे पढ़कर भारतीयों का सीना चौड़ा हो गया. उन्होंने लिखा था मुझे बाइबल के हर शब्द पर भरोसा है लेकिन मैं यह मानता हूं कि मैंने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि महामारी की ऐसी हालत में मेरे देश की ओर से की गई प्रार्थनाओं का उत्तर इतनी तेजी से आएगा. थैंक्यू इंडिया.
प्रधानमंत्री ने वैक्सीन लगवा कर लोगों के मन में भरा विश्वास
आपको बता दें अभी हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीफ टेड्रोस ने भारत की तारीफ करते हुए कहा था कि भारत की ओर से आए कोविड-19 वैक्सीन की वजह से लगभग 60 देशों में टीकाकरण का काम शुरू हो गया है. भारत ने दुनिया भर के देशों को 67.5 लाख वैक्सीन की डोज मुफ्त सहायता के तौर पर दिया है. वहीं कमर्शियल सप्लाई के तहत 294.4 लाख डोज से अधिक भारत दे चुका है.
दुनिया भर में कोरोनावायरस मरीजों का आंकड़ा इस समय 11 करोड़ के पार जा चुका है, वहीं 8 करोड़ से ज्यादा लोग इससे ठीक भी हो चुके हैं. जबकि 25 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि जहां दुनिया भारत के बनाए वैक्सीन की तारीफ कर रही थी, वहीं देश में ही कुछ लोग इस वैक्सीन पर सवाल उठा रहे थे और इसे प्रधानमंत्री मोदी को लगाने की सलाह दे रहे थे. प्रधानमंत्री मोदी ने इसका जवाब देते हुए 1 मार्च को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज ले ली प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम की तारीफ पूरी दुनिया ने की. वहीं उन्होंने वैक्सीन लगवा कर कुछ लोगों के मन में जो वैक्सीन को लेकर शंका थी उसे भी खत्म कर दिया. प्रधानमंत्री के वैक्सीनेशन के साथ ही भारत में टीकाकरण का दूसरा चरण भी शुरू हो गया.
भारत की वैक्सीन ने पश्चिमी देशों को आइना दिखाया
भारतीय वैक्सीन ने पश्चिमी वर्चस्व वाले देशों को बता दिया कि भारत दुनिया में फिर से विश्व गुरु बनने की योग्यता और क्षमता रखता है. भारत की वैक्सीन न केवल किफायती है बल्कि उसका रख-रखाव भी आसान है. साथ ही यह कोरोना के नए वैरिएंट के लिए भी कारगर है. इसके साथ ही भारत में इतनी क्षमता है कि वो दुनिया भर के लिए वैक्सीन का प्रोडक्शन कर सकता है. भारत में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फैरेल ने कहा कि दुनिया के तमाम देशों में वैक्सीन बनाई जा रही है, लेकिन हर एक देश की आवश्यकता की पूरी करने की योग्यता किसी में है तो वह केवल भारत में है.
तेजी से टीकाकरण बेहद जरूरी
भारत पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने के लिए तैयार है. तेजी से टीकाकरण इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यदि समूची आबादी को टीकाकरण में देरी हुई तो यह डर है कि कोरोना कहीं इस रूप में न आ जा जाए जिससे वैक्सीन ही निष्प्रभावी हो जाए. वैसे ही हर रोज कोरोना के नए वैरिएंट आने से दुनिया परेशान है. यह भारत के व्यापक टीकाकरण अभियान का ही दम है कि फिच सॉल्यूसंश ने कहा है कि भारत अपने स्वास्थ कर्मियों और वृद्ध जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को साल के मध्य तक वैक्सिनेशन पूरा करवा लेगा. भारत अपने से कहीं छोटे और संपन्न दक्षिण कोरिया जैसे देश से भी आगे निकल जाएगा.
तेजी से घट रहे कोरोना के मामले
जिस तरह पिछले दिनों तेजी से कोरोना के मामले देश में घटे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन जैसे देशों के लिए यह बेहद आश्चर्यजनक है. कोरोना की शुरुआत से ही इंडिया ने कोविड-19 टेस्ट किट्स, पीपीई आदि के लिए किसा दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहा बल्कि यहां से कई अन्य देशों के लिए मदद भेजी गई. कोरोना वायरस के लक्षणों वाली बीमारी के लिए अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों ने भारत से न केवल दवा की मांग की बल्कि सार्वजनिक रूप से भारत का आभार भी जताया.


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