तीसरी लहर!
कोरोना के मामले घट कर अब कम हो चले हैं। उपचाराधीन मामलों में भी घटोतरी है। तेरह अगस्त को तीन लाख सत्तासी हजार छह सौ तिहत्तर उपचाराधीन मरीज थे |
कोरोना के मामले घट कर अब कम हो चले हैं। उपचाराधीन मामलों में भी घटोतरी है। तेरह अगस्त को तीन लाख सत्तासी हजार छह सौ तिहत्तर उपचाराधीन मरीज थे, जो बाईस अगस्त तक घट कर तीन लाख तैंतीस हजार नौ सौ चौबीस तक आ गए थे। इन दस दिनों का यह रुझान इस बात का संकेत है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो हम जल्दी ही संक्रमण के खतरे से बाहर आ सकते हैं। लेकिन मुश्किल यह है कि जब प्रतिदिन के आंकड़ों में उतार-चढ़ाव होता है तो लगता है कि खतरा अभी टला नहीं है।
ऐसे में हम कह सकते हैं कि महामारी अभी गई नहीं, सिर्फ तीव्रता में कमी आई है। इसी महीने रोजाना संक्रमण आंकड़ा तीस हजार के ऊपर भी निकल चुका है। ऐसा इसलिए भी है कि केरल जैसे कुछ राज्यों में स्थिति बेकाबू तो नहीं है, पर खतरे से बाहर भी नहीं कही जा सकती। इसलिए कोरोना को लेकर अभी भी सतर्कता की बेहद जरूरत है। दरअसल कामधंधों की चिंता में देश के ज्यादातर हिस्सों में जनजीवन सामान्य करना पड़ा है। दफ्तरों से लेकर स्कूल-कालेज, बाजार, सिनेमाघर, जिम, तरणताल सब खोलने पड़े हैं। इसलिए अब अतिरिक्त सावधानी के साथ ही बढ़ने पर जोर होना चाहिए।
अब आगे का सवाल यह है कि तीसरी लहर का खतरा कितना है, और तीसरी लहर आएगी भी या नहीं?हालांकि तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञ तो बार-बार चेता ही रहे हैं। मसलन हाल ही में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की एक समिति ने भी तीसरी लहर को लेकर चेतावनी जारी की है। समिति का मानना है कि सितंबर-अक्तूबर के बीच तीसरी लहर का अंदेशा है। इस दौरान संक्रमण के रोजाना मामले तीन लाख से भी ऊपर निकल सकते हैं। यह खतरा इस पर भी निर्भर करेगा कि विषाणु का कौनसा और कितना खतरनाक स्वरूप लोगों को अपना शिकार बनाता है। गौरतलब है कि दूसरी लहर में डेल्टा स्वरूप ने कहर बरपाया।
मुश्किल तो अब यह है कि हाल में संक्रमण के मामलों में तेजी उन राज्यों में देखने को मिली है जहां मई में दूसरी लहर के दौरान संक्रमण बुहत ज्यादा नहीं फैला था। अब इस वक्त सबसे ज्यादा संकट केरल में हैं, जहां रोजाना संक्रमण के मामले देश में सबसे ज्यादा आ रहे हैं। दूसरे नबंर पर महाराष्ट्र है। जबकि कोरोना से मौतों के मामले में महाराष्ट्र पहले नबंर पर और केरल दूसरे पर है। पूर्वोत्तर की ओर देखें तो मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के आंकड़े भी कम चिंता पैदा करने वाले नहीं हैं। इसलिए विशेषज्ञों का अनुमान कह रहा है कि तीसरी लहर का खतरा वहां ज्यादा है जहां पहले कोरोना के डेल्टा रूप ने कहर नहीं ढहाया। यही खतरा अब बड़ी चुनौती बन कर सामने है।
भूलना नहीं चाहिए कि हम महामारी की दो लहरें झेल चुके हैं। दूसरी लहर में संक्रमण और मौतों के आंकड़े ने भारत को दुनिया के पहले दो देशों में खड़ा कर दिया था। इसलिए अगर तीसरी लहर में हालात बेकाबू होते हैं तो यह कह कर नहीं बचा सकेगा कि हमें हालात से निपटने का अंदाजा नहीं था। बेशक पहली लहर के वक्त हमें कुछ पता नहीं था, पर दूसरी लहर ने हमें काफी कुछ सिखाया। तीसरी लहर से निपटने के लिए ज्यादातर राज्य अब अस्पतालों में बिस्तरों, चिकित्साकर्मियों से लेकर आॅक्सीजन का बंदोबस्त करने का दावा कर रहे हैं। दुखद तो यह है कि तमाम दावों के बावजूद टीकाकरण में हम बहुत पीछे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि टीका उत्पादन में कमी और कुप्रबंधन बड़े कारण बने हुए हैं। जबकि तीसरी लहर को रोकने का यही एक बड़ा जरिया है।