इससे पुराने पेट्रोल पंपों पर तीन डिजिट में कीमत डिस्पले बंद हो गया। फिर कई पेट्रोल पंपों को बंद करना पड़ा। देश के कई महानगरों में नार्मल पेट्रोल के दाम सौ रुपये के करीब पहुंचने को हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं के आक्रोश से बचने के लिये कीमत प्रदर्शित करने के लिये पंपों को अपडेट किया जा रहा है। दरअसल, लॉकडाउन में कच्चे तेल की कीमत में वैश्विक गिरावट के बाद सरकार ने मार्च 2020 में राजस्व बढ़ाने के लिये पेट्रोलियम पदार्थों पर उत्पाद कर बढ़ाया था। लेकिन अब जब कोरोना संकट कम हुआ है तो कच्चे तेल के वैश्विक परिदृश्य में बदलाव हुआ है। सरकार की दलील है कि तेल उत्पादकों ने उत्पादन नहीं बढ़ाया ताकि कृत्रिम संकट बनाकर मनमाने दाम वसूल सकें, जिससे खुदरा कीमतें बढ़ रही हैं। मगर सरकार ने उत्पादन शुल्क कम करने का मन नहीं बनाया है। दरअसल, भारत 85 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है। हकीकत यह भी है कि खुदरा दामों में केंद्र व राज्य सरकारों के करों की हिस्सेदारी साठ फीसदी है। इतना ही नहीं, हाल ही में प्रस्तुत आगामी वर्ष के केंद्रीय बजट में पेट्रोलियम पदार्थों पर नया कृषि ढांचा व विकास उपकर लगाया गया है, जिसका परोक्ष प्रभाव आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। कहने को उपकर तेल कंपनियों पर लगा है।