किसी भी देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को तभी ज्वलंत लोकतंत्र कहा जा सकता है जहां का मीडिया स्वतंत्र हो, संवैधानिक संस्थाओं में दखलअंदाजी नहीं होती हो और इन संस्थानों को विरोधियों को परेशान करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता हो, पक्ष-विपक्ष के माननीयों को अपना पक्ष रखने पर पाबंदी न हो, धर्म को राजनीति से और राजनीति को धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाता हो, जनता की आवाज को प्राथमिकता से सुना जाता हो और त्वरित समाधान होता हो, कानून बनाने में विपक्ष के पक्ष की अनदेखी नहीं होती हो और संख्या बल पर अहंकारी रवैए को पनपने नहीं दिया जाता हो। मुझे नहीं लगता कि भारत में ज्वलंत लोकतंत्र है। यहां विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। उन पर मनमाने केस चलाए जा रहे हैं।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
By: divyahimachal