फिर बेलगाम होते नक्सली: नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए सबसे पहले सप्लाई लाइन को करना होगा ध्वस्त
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों से मुठभेड़ में पांच जवानों का बलिदान इसलिए कहीं अधिक चिंताजनक है,
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों से मुठभेड़ में पांच जवानों का बलिदान इसलिए कहीं अधिक चिंताजनक है, क्योंकि बीते दस दिनों में यह दूसरी बार है, जब सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया। इसके पहले छत्तीसगढ़ में ही नारायणपुर में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों की एक बस को विस्फोट से उड़ा दिया था। इस हमले में भी पांच जवानों की जान गई थी। नक्सलियों के ये हमले यही बता रहे हैं कि उनका दुस्साहस फिर सिर उठा रहा है और उनकी ओर से हिंसा का परित्याग करने के जो कथित संकेत दिए जा रहे, वे सुरक्षा बलों की आंखों में धूल झोंकने के लिए ही हैं। नक्सलियों पर भरोसा करने का कोई मतलब नहीं। उनके मुंह में खून लग चुका है। वे लूट, उगाही के साथ हिंसा से बाज आने वाले नहीं हैं। यह भी साफ है कि वे जब हिंसक गतिविधियों को अंजाम नहीं दे रहे होते, तब अपनी ताकत बटोरने के साथ सुरक्षा बलों को निशाने पर लेने की साजिश रच रहे होते हैं। चूंकि वे इस सनक से ग्रस्त हैं कि बंदूक के बल पर भारतीय शासन को झुकाने में सफल हो जाएंगे, इसलिए उनके प्रति नरमी बरतने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।