याद रखेगी दुनिया, भारत के साथ रखी थी रिश्तों की मजबूत बुनियाद

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का शुक्रवार की दोपहर हत्या हो गई, जिसके साथ भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दोस्त गंवा दिया। पश्चिम जापान के नोरा शहर में शुक्रवार को वह लोगों को संबोधित कर रहे थे

Update: 2022-07-09 03:31 GMT

नवभारत टाइम्स; जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का शुक्रवार की दोपहर हत्या हो गई, जिसके साथ भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दोस्त गंवा दिया। पश्चिम जापान के नोरा शहर में शुक्रवार को वह लोगों को संबोधित कर रहे थे, तब उन्हें एक व्यक्ति ने पीछे से गोली मार दी थी। वह रविवार को होने वाले ऊपरी सदन के चुनाव के लिए प्रचार कर रहे थे, जब यह घटना हुई। आबे जापान के इतिहास में प्रधानमंत्री पद पर सबसे अधिक समय तक रहने वाले नेता थे। वह 2012 से 2020 तक प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले वह 2007 में भी एक साल के लिए प्रधानमंत्री बने थे। प्रधानमंत्री के रूप में जापान में राजनीतिक स्थिरता का श्रेय आबे को जाता है। उन्हें अपनी आर्थिक नीतियों के लिए याद रखा जाएगा। उन्होंने जापान की इकॉनमी को सुधारने के लिए ब्याज दरों में अप्रत्याशित कटौती और रेग्युलेटरी रिफॉर्म्स किए। इन नीतियों को आबेनॉमिक्स कहा गया। उन्होंने जापान को डिफ्लेशन से बचाया।

आबे चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते सुधारने की पहल की। जब वह 2012 में प्रधानमंत्री बने, तब चीन के साथ जापान के रिश्ते बहुत खराब थे। लेकिन चीन के साथ जब दक्षिण चीन सागर के सेनकाकू द्वीपों को लेकर तनाव बढ़ा तो उन्होंने चीन के प्रति आक्रामक रुख अपनाया। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ जापान क्वॉड में शामिल हुआ। यूं तो इसका आइडिया 2007 में पहली बार जापान की ओर से आया था, लेकिन 2017 में जब इसे एक शक्ल दी गई, तब आबे ही जापान के प्रधानमंत्री थे। आज यही क्वॉड हिंद-प्रशांत और एशिया में चीन के खिलाफ एक अहम मंच है। चीन और अमेरिका के बीच जो नया 'शीत युद्ध' शुरू हुआ है, भविष्य में उसमें क्वॉड अहम भूमिका निभा सकता है। लेकिन भारत के लिए आबे का योगदान इतना ही नहीं है। जब वह 2007 में प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार भारत आए थे, तब उन्होंने यहां संसद को संबोधित किया था।

जापान यूं तो भारत का पारंपरिक सहयोगी और मददगार रहा है, लेकिन आबे ने इस रिश्ते को और मजबूत बनाया। खासतौर पर मोदी के साथ उनकी कमाल की केमिस्ट्री थी। दोनों पहली बार 2007 में आबे की भारत यात्रा के दौरान मिले थे। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने 2012 में जापान, 2014 में दिल्ली में आबे से मुलाकात की। इस दोस्ती की वजह उनकी समान सोच है। आबे ऐसा जापान चाहते थे, जो अपनी सुरक्षा खुद कर सके। मोदी भी मजबूत भारत बनाना चाहते हैं। इसलिए आबे के निधन के बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने देश में 9 जुलाई को एक दिन के राष्ट्रीय शोक का एलान किया। मोदी ने भारत-जापान के रिश्तों को नए मुकाम पर पहुंचाने के लिए आबे के योगदान को याद किया। आबे चले गए हैं, लेकिन भारत के साथ रिश्तों की जो बुनियाद उन्होंने तैयार की, वह आगे और मजबूत होगी।


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