समस्या बहुत गहरी है

भारतीय मेनस्ट्रीम मीडिया का एक योगदान यह भी है कि वह अत्यधिक गंभीर समस्याओं को इतना तुच्छ बना कर पेश कर देता है

Update: 2021-10-07 16:31 GMT

मेनस्ट्रीम मीडिया ने ऐसी छवि बना रखी है कि ये समस्या सिर्फ बॉलीवुड और कुछ धनी-मानी तबकों से जुड़े कुछ बिगड़ैल नौजवानों की है। मसलन, पिछले साल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद बनाए गए माहौल में पूरा ध्यान बॉलीवुड पर केंद्रित रहा। अब बॉलीवुड के आर्यन खान सुर्खियों में हैं। 


भारतीय मेनस्ट्रीम मीडिया का एक योगदान यह भी है कि वह अत्यधिक गंभीर समस्याओं को इतना तुच्छ बना कर पेश कर देता है कि उनके समाधान को लेकर कोई गंभीर चर्चा नहीं हो पाती। कुछ जुगुप्सा और कुछ उत्तेजना जगा कर बात आगे निकल जाती है। मादक पदार्थों का मुद्दा भी एक ऐसी ही समस्या है। मेनस्ट्रीम मीडिया ने ऐसी छवि बना रखी है कि ये समस्या सिर्फ बॉलीवुड और कुछ धनी-मानी तबकों से जुड़े कुछ बिगड़ैल नौजवानों की है। मसलन, पिछले साल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद बनाए गए माहौल में पूरा ध्यान बॉलीवुड पर केंद्रित रहा। अब बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स लेने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने की खबर ने भी खूब सुर्खियां बटोरी हैं। आर्यन को मुंबई के तट के करीब समुद्र में एक क्रूज शिप पर हो रही पार्टी पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने गिरफ्तार किया। एनसीबी के अनुसार इस छापे में कुल 13 ग्राम कोकीन, 21 ग्राम चरस, एमडीएम प्रतिबंधित दवा की 22 गोलियां और पांच ग्राम एमडी बरामद की गई। लेकिन ध्यान दीजिए। भारत में हर साल दो से चार टन चरस और कम से कम 300 टन गांजा बरामद किया जाता है। 2017 में देश में कुल 69 किलो कोकीन जब्त की गई थी।

ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतरराष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड (आईएनसीबी) की 2018 में जारी रिपोर्ट में बताई गई थी। भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में नशे के लिए शराब के बाद सबसे ज्यादा सेवन भांग, गांजा, चरस और अफीम का किया जाता है। इसके मुताबिक 2018 में कम से कम तीन करोड़ लोगों ने भांग, गांजा और चरस का सेवन किया और कम से कम 2.26 करोड़ लोगों ने अफीम, डोडा, फुक्की और हेरोइन का इस्तेमाल किया। भांग, गांजा और चरस का सबसे ज्यादा सेवन उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में पाया गया। अफीम और उसके अलग अलग प्रकारों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में पाया गया। भारत में इस तरह के नशीले पदार्थों का कितना बड़ा बाजार है इसका अंदाजा इस रिपोर्ट से लगा। लेकिन ये समस्या इस व्यापक संदर्भ में कभी चर्चा का विषय नहीं बनी। क्या यह अफसोसनाक, चिंताजनक और यहां तक कि खतरनाक नहीं है?

नया इण्डिया 

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