अधिक फालोअर्स वाले नामचीन लोगों के ट्विटर अकाउंट की हैकिंग के निहितार्थ
ट्विटर अकाउंट की हैकिंग के निहितार्थ
शंभु सुमन। हाल के दिनों में ट्विटर अकाउंट हैकिंग की कई घटनाएं हुई हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय, भारतीय मौसम विभाग और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों समेत कई नामचीन हस्तियों तक के ट्विटर अकाउंट्स हैक किए जा चुके हैं। इस बीच एमआइटीवाइ यानी इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में विगत पांच अप्रैल को 'इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीमÓ के हवाले से एक लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2017 से लेकर मार्च 2022 तक इंटरनेट मीडिया के कुल 641 अकाउंट हैक किए जा चुके हैं। इनमें ईमेल अकाउंट से लेकर ट्विटर हैंडल तक शामिल हैं। बीते साल इसकी संख्या 175 थी, तो इस साल की पहली तिमाही में ही 28 अकाउंट हैक हो चुके हैं।
इस जानकारी के बाद महज एक सप्ताह के भीतर ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय, भारतीय मौसम विभाग और यूजीसी यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ट्विटर हैंडल हैक कर लिए गए। हैकर्स ने नौ अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के ट्विटर हैंडल को कई मिनट तक हैक करके रखा। इस दौरान उस हैंडल के प्रोफाइल पिक्चर में मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ भी छेड़छाड़ करने का प्रयास किया गया। उसके साथ ही उसमें 'आफिशियल ट्विटर हैंडल आफ चीफ मिनिस्टर आफिसÓ उत्तर प्रदेश लिख दिया। हैकर इतने तक ही नहीं रुके और लगभग 15 मिनट में ही 500 से अधिक ट्वीट भी कर डाले और करीब पांच हजार लोगों को टैग भी कर लिया। हालांकि इसे आधे घंटे के भीतर ही रिकवर कर लिया गया और मामले की जांच में साइबर एक्सपर्ट जुट गए।
उसी दिन भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) का ट्विटर अकाउंट भी हैक कर लिया गया। हैकर्स ने अपनी तरफ से उसमें एक संदेश भी लिख दिया, जिससे काफी देर तक भ्रम की स्थिति बनी रही। इस अकाउंट को करीब दो घंटे तक अपने कब्जे में रखने के दरम्यान हैकर्स ने न केवल प्रोफइल फोटो को बदला, बल्कि उस पर एनएफटी ट्रेडिंग भी शुरू कर दी। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि आइएमडी की हैकिंग एनएफटी से जुड़ी थी। उन्हीं दिनों यूजीसी का ट्विटर अकाउंट भी हैक कर लिया गया। तमाम संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि आइएमडी और यूजीसी की ट््िवटर साइट को हैकिंग करने वाले एक ही हैकर्स हो सकते हैं और उनका मकसद भी एनएफटी को प्रभावित करना हो सकता है।
आइएमडी और यूजीसी, इन दोनों ट्विटर अकाउंट से लोगों को सूचित करते हुए लगातार ट्वीट किए गए। उनमें भले ही कोई आपत्तिजनक ट्वीट नहीं थे, लेकिन उनमें एक मोशन ग्राफिक्स की पोस्ट की जगह कुछ खास वेबसाइट भी अटैच थी। दरअसल इसी वर्ष जनवरी में मर्सिडीज-बेंज ने अंतरराष्ट्रीय क्रिप्टोकरेंसी ग्रुप आर्ट टू पीपल के साथ मिलकर अपनी पहली एनएफटी स्कीम के साथ एनएफजी करार किया था। इसके तहत पांच शीर्ष अंतरराष्ट्रीय कलाकार बेहतर कलाकृति बनाकर जी-क्लास के सामने लाते हैं। एनएफटी एक एकल डाटा संपत्ति है, जैसे एक वीडियो की एक फुटेज जिसे ब्लाकचेन पर बनाया गया और संग्रहित किया जाता है।
डिजिटल मार्केटिंग : कुल मिलाकर यह डिजिटल मार्केटिंग का एक सुनियोजित फंडा बन चुका है। हैकर्स के लिए नामी अकाउंट से जुड़े लोगों तक 'एनएफटी एसेटÓ को पहुंचाने का यह आसान जरिया है। इस नई सुविधा वाली तकनीक में किसी भी चीज, जैसे पेंटिंग, टेक्स्ट कंटेंट, तस्वीर, वीडियो, जीआइएफ, गानें, सेल्फी आदि को डिजिटल बनाने की सुविधा मिल गई है। वैसे यह ब्लाकचेन का ही हिस्सा है।
इस तरह के मामलों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ दुनियाभर के कई लोकप्रिय नाम शामिल हैं। अक्सर बहुत अधिक संख्या वाले फालोअर्स के ट्विटर हैंडल हैक किए जाते हैं। ऐसे मामले जुलाई 2020 में भी तेजी से आए थे और एलन मस्क व बिल गेट्स समेत एपल कंपनी तक के ट्विटर अकाउंट हैक कर लिए गए थे। उनके जरिए क्रिप्टोकरेंसी बिटकाइन के बारे में तेजी से ट्वीट किए गए थे। तब इनकी हैकिंग ट्विटर के इंटरनल टूल का उपयोग कर की गई थी।
छवि प्रभावित करने और मनोवैज्ञानिक दबाव का खेल : सामान्य तौर पर इसके पीछे किसी संस्थान या व्यक्ति का डाटा चोरी करने और उसकी छवि को प्रभावित करने के साथ-साथ उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का मकसद माना जाता है। जैसे 12 दिसंबर 2021 की रात को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ट्विटर अकाउंट हैक करने का कारण उनके अकाउंट से बिटकाइन को वैधता मिलने की बात को प्रचारित करना बताया गया था। उस ट्वीट में एक लिंक साझा करते हुए कहा गया था कि वहां जाकर फ्री बिटकाइन क्लेम किया जा सकता है।
इस मामले में हैकर्स का पहला उद्देश्य बड़ी संख्या में फालोअर्स का इस्तेमाल कर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बनाना है। परंतु हाल में की गए एक हैकिंग में नई बात एनएफटी ट्रेडिंग की सामने आई है। उसके पीछे का मकसद भी फालोअर्स की बड़ी संख्या के इस्तेमाल का ही है।
दरअसल ट्विटर आज सरकारी कामकाज को गतिशील और पारदर्शी बनाने के लिए फौरी सूचना पहुंचाने का एक सहज जरिया बन चुका है। केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों के अलावा बड़े मीडिया संस्थानों के ट्विटर हैंडल पर लाखों में फालोअर्स होते हैं। हैकर्स बड़ी ई-कामर्स कंपनियों से मोटी रकम लेकर उन्हें हैक करने की ताक में रहते हैं। हैक अकाउंट का इस्तेमाल उनके संदेश को तेजी से ट्वीट करने के लिए करते हैं।
बहरहाल, हैकर्स ट्विटर हैंडल को हैक करने के जितने भी तरीके अपनाते हैं, उनमें कहीं न कहीं से चूक हो ही जाती है। उसे पकडऩे और रोकने के हमारे इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास भी नहीं पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। फिशिंग लिंक, डाटाबेस एक्सेस, कमजोर पासवर्ड, अकाउंट और ईमेल आइडी, कूकीज या कैशे, ओटीपी शेयर, इमेज, पब्लिक वाइफाइ, पर्सनल डिटेल और सिक्योरिटी सेटिंग में कमी जैसे तरीके अपनाने में कमी का होना स्वाभाविक है। इसकी मूल जड़ डिजिटल मार्केटिंग के लिए अपनाया जाने वाला गैरकानूनी तरीका और पकड़ में आने पर साइबर क्राइम की श्रेणी से बाहर होना है।
क्या है एनएफटी एसेट की ट्रेडिंग । सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इन दिनों एनएफटी यानी नन-फंजिबल टोकन चर्चा में है। डिजिटल प्रारूप में यह एक ऐसी संपत्ति होती है, जिसकी नकल नहीं की जा सकती। अपनेआप में यह यूनिक होता है। पिछले दिनों इसकी चर्चा पहले ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के ट्वीट की निलामी एनएफटी के रूप में होने के कारण हुई थी, जो 10 सेकेंड के वीडियो क्लिप में था। इसे 24 लाख डालर यानी करीब 48.44 करोड़ रुपये में बेचा गया था। उसके बाद ही लोगों को मालूम हुआ कि एनएफटी मोटी कमाई का एक जरिया बन चुका है। कोविड महामारी के दौर में एनएफटी डिजिटल एसेट के प्रति लोगों की तब रुचि जगी थी जब कला और मनोरंजन की गतिविधियां थम गई थीं। वैसे इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में ही हो गई थी। इस संबंध में अमिताभ बच्चन भी अपने पिता हरिवंशराय बच्चन की पुस्तक मधुशाला की प्रति, साइन वाले पोस्टर और कुछ अन्य चीजें
एनएफटी से बेचकर सात करोड़ रुपये से अधिक कमा चुके हैं।
हालांकि इस तरह से तैयार उत्पाद से कमाई तब तक नहीं हो सकती, जब तक इस बारे में लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं हो जाती। यानी लोगों के हमेशा इस्तेमाल किए जाने वाले डिवाइस में इसका लिंक मिलने पर ही इसकी खरीद बिक्री में तेजी आ सकती है। यही कारण है कि इसे अधिक से अधिक लोगों तक विश्वसनीयता के साथ पहुंचाने के लिए वेरिफाइड अकाउंट की मदद ली जाती है। जैसाकि यूजीसी के ट्विटर अकाउंट के साथ किया गया। इसके लिए हैकर्स की मदद ली जाती है, जो एनएफटी उत्पाद को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ समय के लिए किसी अकाउंट को हैक कर लेते हैं।
यूजीसी के ट्विटर अकाउंट पर 2.96 लाख से अधिक फोलोअर्स हैं, जिसे 10 अप्रैल को हैक कर लिया गया था। हैकर्स ने यूजीसी के बायो को अजुकी एनएफटी के सह-निर्माता के रूप में बदल दिया था और यूजीसी की प्रोफाइल फोटो को फेक अजुकी से संबंधित इमेज के साथ बदल दी थी। ट्विटर हैंडल के हैक होने पर 24 हजार स्पैम संदेश ट्वीट किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस एफआइआर दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।
बहरहाल, इथेरियम तकनीक पर बने एनएफटी को ब्लाकचेन टेक्नोलाजी के जरिए रखा और कई जगहों पर बेचा जा सकता है। इसमें आर्टपीस, म्यूजिक, गेम, तस्वीरें, गेम, वीडियो आदि डिजिटल रूप में होते हैं।
इस तरह से एनएफटी किसी भी तरह के कंटेंट को बेचने का एक बड़ा प्लेटफार्म उपलब्ध करवा देता है। इसके लिए किसी निलामी घर की जरूरत नहीं होती है। एनएफटी पर ही निलामी की जा सकती है। इसके बेचने का भी एक तरीका है, जो वालेट के जरिए होता है। वह क्रिप्टोकरेंसी से चलती है। इसमें बेची जानेवाली चीजों को मार्केट प्लेस पर डालना होता है, जिसका आकार अधिकतम 100 एमबी तक हो सकता है। उसके लिए सबसे अच्छी जगह ट्विटर हैंडल को माना गया है। इसमें एनएफटी को आनलाइन बनाते हुए ट्रेड किया जा सकता है। इसकी कुछ सामान्य बातों में मौलिकता का होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए कोई भी डिजिटल आर्ट अनलिमिटेड हो सकता है, लेकिन एनएफटी इस्तेमाल कर तैयार किए गए डिजिटल आर्ट में से केवल एक को ही मौलिक कहा जाता है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध एक कलाकार ने एनएफटी की मदद से अपनी कला की मूल कापी को 517 करोड़ रुपये में बेचा था।
सरकार के लिए क्रिप्टोकरेंसी की तरह एनएफटी भी एक बड़ा सिरदर्द बन चुकी है। इस पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं, यह तय करना आसान नहीं है। सरकार के सामने एनएफटी के जरिए होने वाले मनी लांड्रिंग पर नजर रखना आसान नहीं है। भले ही यह अभी छोटे स्तर पर हो, लेकिन इसका विस्तार होते देर नहीं लगेगी। एनएफटी और क्रिप्टो से सरकार को 30 प्रतिशत का टैक्स मिल रहा है, इसलिए उसे रोकना आसान नहीं होगा।
( तकनीकी मामलों के जानकार )