सरकारी नौकरियों की सौगात, कोशिश निजी क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करने पर भी हो
प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के सभी विभागों और मंत्रालयों में मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा के बाद यह जो निर्देश दिया कि अगले डेढ़ वर्ष में एक अभियान के तहत दस लाख लोगों की भर्तियां की जाएं, उसकी आवश्यकता एक अर्से से महसूस की जा रही थी।
Edited By: तिलकराज: प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के सभी विभागों और मंत्रालयों में मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा के बाद यह जो निर्देश दिया कि अगले डेढ़ वर्ष में एक अभियान के तहत दस लाख लोगों की भर्तियां की जाएं, उसकी आवश्यकता एक अर्से से महसूस की जा रही थी। ऐसा लगता है कि कोरोना संकट के कारण रिक्त पदों को भरने में देरी हुई। जो भी हो, कम से कम अब तो यह सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए कि केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में जो भी रिक्त पद हैं, उन्हें तय समय में भरा जाए। भर्ती प्रक्रिया को गति देने के साथ ही इस पर भी ध्यान देना होगा कि वह किसी गड़बड़ी का शिकार न बनने पाए।
यह अपेक्षा इसलिए, क्योंकि हाल के समय में कई भर्ती परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हुए हैं। इससे जहां अभ्यर्थियों के समय और धन की बर्बादी हुई है, वहीं दूसरी ओर सरकार को बदनामी का भी सामना करना पड़ा है। रिक्त पदों को भरने के साथ ऐसी भी कोई व्यवस्था बनानी होगी, जिससे शासन-प्रशासन की कार्य कुशलता बढ़े। सरकारी नौकरियों को लेकर यह जो धारणा बन गई है कि ये नौकरियां ज्यादा जवाबदेही की मांग नहीं करतीं, उसे प्राथमिकता के आधार पर दूर करना होगा। यह भी समय की मांग है कि जैसे केंद्र सरकार ने अपने विभागों में रिक्त पदों को एक तय अवधि में भरने की पहल की, वैसे ही राज्य सरकारें भी करें।
यह एक तथ्य है कि कई राज्यों में बड़ी संख्या में पुलिस, शिक्षकों, चिकित्सकों आदि के भी पद रिक्त हैं। वास्तव में यह नीतिगत स्तर पर तय होना चाहिए कि आवश्यक सेवाओं में रिक्त पदों को भरने का काम लंबित न रहे, क्योंकि जब ऐसा होता है तो सुशासन का उद्देश्य तो बाधित होता ही है, आम लोगों की परेशानी भी बढ़ती है। यह सही है कि प्रधानमंत्री की ओर से की गई घोषणा नौकरियां तलाश रहे युवाओं को उत्साहित करने वाली है, लेकिन सरकारी नौकरियों की एक सीमा है। चूंकि सभी युवाओं को सरकारी नौकरियां देना संभव नहीं, इसलिए सरकार को इसके लिए भी कोशिश करनी चाहिए कि निजी क्षेत्र ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करने में कैसे समर्थ बने?
इस कोशिश में राज्यों को भी शामिल होना होगा। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि एक ओर जहां प्रधानमंत्री ने डेढ़ वर्ष में दस लाख नौकरियां देने की घोषणा की, वहीं दूसरी ओर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के तीनों अंगों में भर्ती के लिए अग्निपथ नामक योजना की घोषणा की। उम्मीद की जानी चाहिए कि अपनी तरह की यह अनूठी योजना सेना की जरूरतों को पूरा करने के साथ उन युवाओं को भी आकर्षित करेगी, जो सशस्त्र बलों का हिस्सा बनने के आकांक्षी हैं।