पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की चौथी बेगम कभी पूरी दुनिया में सुर्खियों में थीं
इमरान खान (Imran Khan) की सत्ता को पलटने वाले पाकिस्तान (Pakistan) के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) इन दिनों खूब चर्चा में हैं
प्रशांत सक्सेना
इमरान खान (Imran Khan) की सत्ता को पलटने वाले पाकिस्तान (Pakistan) के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) इन दिनों खूब चर्चा में हैं. वैसे पाकिस्तान के बाहर के लोग उनको उन नवाज शरीफ के छोटे भाई के रूप में ज्यादा जानते हैं जो तीन बार पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अर्ध-निर्वासन का जीवन जी रहे हैं. अधिकतर लोग इस बात से भी वाकिफ हैं कि शरीफ परिवार का अच्छा बड़ा बिजनेस था और इनका इत्तेफाक ग्रुप खासतौर पर स्टील और धातु में डील करता था. हालांकि 2004 में इत्तेफाक ग्रुप को अल-रहमत ग्रुप ऑफ कंपनीज ने अधिग्रहित कर लिया था जिसका मुख्यालय लाहौर में है.
शाहबाज शरीफ के बारे में लोग ये भी कम ही जानते हैं कि उन्होंने अब तक पांच शादियां की हैं. यह बात और है कि 2012 में उनकी पांचवी शादी की जो खबर आई थी, उसे वह पूरी तरह नकारते चले आए हैं. वैसे शाहबाज शरीफ की चौथी शादी पूरे उपमहाद्वीप में चर्चा का विषय रही थी, खासकर रचनात्मक दुनिया में. उनकी चौथी बीवी का नाम है तहमीना दुर्रानी जिनकी यह तीसरी शादी थी. यह वही तहमीना दुर्रानी हैं, 1991 में आई जिनकी किताब माई फ्यूडल लॉर्ड ने रूढ़िवादी पाकिस्तान में तूफान खड़ा कर दिया था. इस किताब में तहमीना ने पाकिस्तान की राजनीति में खासा रसूख रखने वाले अपने पति गुलाम मुस्तफा खार से मिली यातनाओं और शादी से इतर अपने संबंधों का सनसनीखेज खुलासा किया है. बता दें कि ये वही खार हैं जो पाकिस्तान के पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यपाल, और जुल्फिकार अली भुट्टो के सहयोगी रहे हैं. भुट्टो और खार – दोनों ने मिलकर ही 1967 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की स्थापना की थी.
शाहबाज शरीफ की चौथी बीवी तहमीना दुर्रानी
84 वर्षीय खार के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 8 शादियां की हैं. वह आखिरी बार 2017 में चर्चा में आए थे जब वे इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी में शामिल हुए थे. वहीं 69 साल की तहमीना दुर्रानी एक लेखिका, चित्रकार, लोक कल्याण के कार्यों से जुड़ी हुईं महिला एवं बाल अधिकार कार्यकर्ता हैं. माई फ्यूडल लॉर्ड के अलावा, उनकी अन्य रचनाओं में ए मिरर टू द ब्लाइंड (1996), ब्लासफेमी (1998) और हैप्पी थिंग्स इन सॉरो टाइम्स (2013) शामिल हैं. पेंटिंग के प्रति अपने लगाव के बारे में तहमीना ने मीडिया को बताया था कि उनके लिए चित्रकारी लेखन के अलावा अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक और जरिया है.
तहमीना दुर्रानी की पहली प्रदर्शनी का शीर्षक था – कैथार्सिस और ये 1992 में आयोजित की गई थी. इस प्रदर्शनी में रखी उनकी पेंटिंग्स में से एक 1998 में आई उनकी तीसरी किताब ब्लासफेमी का कवर पेज बनी थी. तहमीना दुर्रानी की अगली प्रदर्शनी 2016 में लगी और इसका टाइटल था ए लव अफेयर. अपनी इस प्रदर्शनी को लेकर तहमीना दुर्रानी के शब्द थे – पिछले एक दशक में जब मैंने अपनी उस वास्तविकता से खुद को अलग किया जो मुझे एक भ्रमित पहचान के साथ उधार में मिली थी, तब उस एहसास में डूबकर मैंने रंगों को कैनवस पर उतारा. इस बेचैनी में मेरी हालत ऐसी थी कि दिन में मैं अपने महंगे कपड़ों में भी पेंटिंग करती थी और रात में ये रंग अक्सर मेरे साथ मेरे बिस्तर पर पहुंच जाते थे. और ये सिलसिला तब तक चला, जब तक मैंने खुद को खोज नहीं लिया और मैं बनकर सांस नहीं ली. हालांकि खुद को खोजने और पाने में मेरे हाथ से थोड़ी उम्र निकल गई लेकिन एक बार पाने के बाद वहां मैं थी, बस मैं.
उनकी किताब माई फ्यूडल लॉर्ड ने जहां खूब प्रशंसा बटोरी, वहीं तहमीना को अपने सनसनीखेज शब्दों की बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी. इस किताब की वजह से समाज में उनका बहिष्कार कर दिया गया और उनके अपने माता-पिता ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया. हालात से समझौता न करने वाले अपने अडिग स्वभाव के चलते उनको अपने पूर्व पति से मिलने वाली आर्थिक मदद भी बंद हो गई और साथ ही उन्होंने अपने बच्चों की कस्टडी भी खो दी.
माई फ्यूडल लॉर्ड जैसी विवादित विषय वाली किताब को छापने के लिए पहले कोई भी प्रकाशक तैयार नहीं था. ऐसे में तहमीना ने इसकी छपाई का जिम्मा भी खुद उठाया और जब यह हिट हो गई तो इसके बाद इसे वैन्गार्ड बुक्स ने प्रकाशित किया. माई फ्यूडल लॉर्ड को अब तक कई अवॉर्ड्स से नवाजा जा चुका है और 40 भाषाओं में इसका अनुवाद भी हुआ है.
नवाज शरीफ को तहमीना कभी पसंद नहीं आईं
तहमीना दुर्रानी के जीवन में अब्दुल सत्तार एधी से उनकी मुलाकात एक बड़ा और महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आई. बता दें कि अब्दुल सत्तार एधी पाकिस्तान में सोशल वर्क का एक नामी चेहरा हैं जिनको उनके मानवतावादी और लोक कल्याण के कार्यों के लिए जाना जाता है. अब्दुल सत्तार एधी ने एधी फाउंडेशन की नींव रखी है जो दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवक एम्बुलेंस नेटवर्क चलाने के साथ ही पाकिस्तान में कई होम शेल्टर, पशु आश्रयघर, पुनर्वास केंद्र और अनाथालय भी चलाता है.
अब्दुल सत्तार एधी के व्यक्तित्व का तहमीना पर गहरा प्रभाव पड़ा जिसके चलते उन्होंने उनकी आत्मकथा को कलमबद्ध किया. यह किताब 1996 में ए मिरर टू द ब्लाइंड के नाम से प्रकाशित हुई. इसी के साथ वह खुद भी समाज कल्याण के कार्यों में जुट गईं. कुछ समय बाद तहमीना ने सामाजिक उत्थान के लिए 'तहमीना दुर्रानी फाउंडेशन' की स्थापना की. इसका मकसद एधी के मानव कल्याण और पाकिस्तान को एक सामाजिक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित के सपने को पूरा करना था. कहा जाता है कि तहमीना की बौद्धिक क्षमता से शाहबाज काफी प्रभावित हैं. उनका मानना था कि तहमीना की सटीक राजनीतिक सलाह उनके राजनीतिक संकट का समाधान करती हैं. हालांकि, शाहबाज के बड़े भाई नवाज को तहमीना कभी पसंद नहीं आईं.
यहां दिलचस्प बात ये है कि तहमीना का व्यक्तित्व इमरान खान की तीसरी पत्नी बुशरा बीबी से बिल्कुल विपरीत है जो कथित तौर पर जादू-टोना और गुप्त आध्यात्मिक प्रथाओं में विश्वास करती हैं. वह पिंकी पीरनी के नाम से भी जानी जाती हैं और उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपनी 'जादुई शक्तियों' के माध्यम से ही आईएसआई प्रमुख की नियुक्ति पर सेना के साथ विवाद में फंसे अपने पति इमरान खान की मदद की थी.