ड्रोन पर सवार आतंकवाद
जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर रविवार तड़के हुआ आतंकी हमला नुकसान चाहे ज्यादा न कर पाया हो, लेकिन
जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर रविवार तड़के हुआ आतंकी हमला नुकसान चाहे ज्यादा न कर पाया हो, लेकिन भविष्य की तैयारियों के लिहाज से यह बेहद गंभीर घटना है। इसे सिर्फ एक और आतंकी वारदात के रूप में नहीं लिया जा सकता। जैसी कि आशंका जताई जा रही है, यह हमला ड्रोन के जरिये हुआ। अगर यह सच है तो इसे आतंकी हमलों के तरीकों में महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत माना जाना चाहिए। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन की भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से दूरी करीब 14-15 किलोमीटर है। इससे पहले तक सीमा पार से ड्रोन अधिकतम 12 किलोमीटर तक ही घुसपैठ कर सके थे, लेकिन घटनास्थल को उनके दायरे से बाहर नहीं माना जा सकता। दूसरी ओर इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि ड्रोन को भारतीय सीमा के अंदर से ही संचालित किया जा रहा हो। सुरक्षा विशेषज्ञ आंतकी हमलों में ड्रोन के इस्तेमाल की आशंका पहले से जताते रहे हैं। यह आतंकी संगठनों के लिए कई लिहाज से सुविधाजनक भी है। एक तो इसमें वारदात को अंजाम देने वाले आतंकियों के मारे या पकड़े जाने का डर नहीं होता, दूसरे यह कम खर्चीला भी है। इसलिए ड्रोन के जरिये हमले देश के अंदर छोटे-छोटे ग्रुप्स के जरिए भी करवाए जा सकते हैं।