सुगम-दुर्गम : गंगोत्री में कैसे बचेंगे देवदार के पेड़

इसके अलावा गंगोत्री जाने वाले यात्रियों को भागीरथी के दोनों ओर से जाने-आने की सुविधा मिलेगी।

Update: 2022-03-03 01:44 GMT

पहाड़ों में दुर्गम स्थानों को पार करने के लिए निश्चित ही सुदृढ़ व सुगम सड़कों के निर्माण की आवश्यकता है, लेकिन वह पहाड़ों की ऐसी बर्बादी न करे, जैसी चार धाम में निर्माणाधीन ऑल वेदर सड़क के चौड़ीकरण से सामने आई हैं। इस सड़क के लिए अंधाधुंध पेड़ों का कटान, मिट्टी, पानी, पत्थर की बर्बादी और छोटी-छोटी बस्तियों को उजाड़ने में कोई देर नहीं लगी है। लेकिन इस पर सरकार का ध्यान उतना नहीं गया, जितना कि उच्च अदालतों ने संज्ञान लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त, 2019 में चार धाम सड़क चौड़ीकरण कार्य से समाज और पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव के अध्ययन के लिए एक उच्च अधिकार प्राप्त कमेटी डॉ. रवि चोपड़ा की अध्यक्षता में गठित की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर अधिकतम चौड़ाई सात मीटर करने का आदेश दिया गया था। इस दौरान सड़क चौड़ीकरण बहुत तेजी से हो रहा था, जिसमें कहीं भी पूर्व प्रस्तावित 10-24 मीटर चौड़ी सड़क को सात मीटर तक नहीं किया गया।
यह सिलसिला थमा नहीं और नवंबर, 2020 में रक्षा मंत्रालय ने सेना की जरूरतों का हवाला देते हुए चौड़ी सड़क की मांग उठाई। दिसंबर, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर संशोधन कर दिया, जिसमें सड़क को 10 मीटर तक चौड़ा रखने का आदेश है। जबकि अदालतों में बहसों के चलते 12 हजार करोड़ रुपये की लागत की इस परियोजना का काम 70 प्रतिशत तक पूरा भी हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है, 'क्या पर्यावरण संरक्षण सेना की जरूरतों से ऊपर होगा या हमें यह कहना चाहिए कि रक्षा चिंताओं का ध्यान पर्यावरणीय क्षति न हो।' इस उलझन के कारण उच्च अधिकार प्राप्त कमेटी के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को पत्र भेज कर इस्तीफा दे दिया। डॉ. रवि चोपड़ा का कहना है कि कमेटी का अधिकार क्षेत्र केवल नॉन-डिफेंस स्ट्रेचेज तक सीमित रखने से उनका पद पर बने रहना उचित नहीं है।
हिमालय की नाजुक परिस्थतियों की चर्चा न तो संसद में हो रही है और न उच्च अदालत में ही। पर्यावरण की पूरी अनदेखी के साथ सुरक्षा का हवाला देकर जंगल, पानी और मिट्टी की अधिकतम बर्बादी की कीमत पर विकास की रेखा खींची जा रही है। केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी पहाड़ों में हरित निर्माण तकनीक के अनुसार सड़कों के चौड़ीकरण की बात कर रहे हैं, उनके दावों के विपरीत ऑल वेदर रोड में सभी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शेष बचे उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच लगभग 100 किमी में सड़क चौड़ीकरण होना है। यहां पर लाखों देवदार के छोटे-बड़े पेड़ों को काटने की तैयारी चल रही है। इस संबंध में नितिन गड़करी ने कहा है कि पेड़ों को दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाएगा। यह तो भविष्य ही बताएगा। वर्ष 1962-65 में गंगोत्री मोटर मार्ग का निर्माण हुआ था। तब यहां स्थित सुखी, जसपुर, झाला आदि कई गांवों ने अपनी जमीन निःशुल्क सरकार को दी थी।
आज इसे नजरंदाज करके सड़क दूसरी दिशा में मोड़ी जा रही है। वह भी ऐसे स्थान से जहां देवदार समेत कई बहुमूल्य प्रजाति के घने जंगल हैं, और जंगली जानवरों के सघन आवास मौजूद हैं। यहां कटान के लिए हजारों देवदार के पेड़ों पर निशान लगा दिए गए हैं। विरोध में 18 जुलाई, 2018 को सुखी टॉप (आठ हजार फीट) में एकत्रित होकर गांव वालों ने हरे देवदार के पेड़ों को बचाने हेतु रक्षासूत्र बांधे हैं।
पेड़ों की रक्षा का संकल्प लेते हुए स्थानीय लोगों ने सुखी गांव से ही मौजूदा सड़क को यथावत रखने की अपील की है। इससे आगे जसपुर गांव से बगोरी, हर्षिल, मुखवा से जांगला तक ऑल वेदर रोड की मांग की है। यहां पर बहुत ही कम पेड़ हैं और अधिकांश जगह पर मोटर सड़क बन भी गई है। यदि सड़क और राजमार्ग मंत्रालय इसकी स्वीकृति दे दे, तो सुखी बैंड से हर्षिल होते हुए जांगला तक हजारों देवदार के पेड़ों को बचाया जा सकता है। इसके अलावा गंगोत्री जाने वाले यात्रियों को भागीरथी के दोनों ओर से जाने-आने की सुविधा मिलेगी।

सोर्स: अमर उजाला 

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