ये मामला विवादास्पद है, लेकिन इसके बारे में कोई सीधा रुख तय करना आसान नहीं है। सवाल है कि अगर देश में लोकतांत्रिक संवाद का अभाव होता जाए और चुनावी बहुमत के आधार पर सरकार असहमति या असंतोष की किसी आवाज को सुनने से इनकार करे, तो असंतुष्ट समूहों के लिए क्या रास्ता रह जाता है? ये सवाल इस खबर से उठा है कि मौजूदा किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता दर्शनपाल ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से कहाहै कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों से ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे किसानों और अन्य लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि इस घोषणा-पत्र पर भारत ने भी हस्ताक्षर कर रखे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के एक बयान में कहा गया कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के 110वें दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन अधिकारियों को सौंपा गया। इसी रोज दर्शन पाल ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में वीडियो संदेश भेजा।