आसमानी आतंक: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा- आतंकी गतिविधियों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल को गंभीरता से लिया जाए
यदि जम्मू में वायु सेना के एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले की गूंज संयुक्त राष्ट्र में भी सुनाई दी तो हैरानी नहीं।
भूपेंद्र सिंह| यदि जम्मू में वायु सेना के एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले की गूंज संयुक्त राष्ट्र में भी सुनाई दी तो हैरानी नहीं। इस हमले ने इसलिए दुनिया भर में चिंता पैदा की है, क्योंकि यह स्पष्ट हो रहा है कि आतंकी जो काम सीरिया और यमन में किया करते थे, वही भारत में भी करने में सक्षम हो गए हैं। इसका मतलब है कि एक के बाद एक आतंकी संगठन ड्रोन हमले की तकनीक हासिल करते जा रहे हैं। आने वाले दिनों में दुनिया के अन्य हिस्सों में सक्रिय आतंकी भी इस तकनीक से लैस हो सकते हैं, क्योंकि यह तकनीक कहीं अधिक सस्ती है और ड्रोन हमले करने के लिए कहीं कम जोखिम उठाना पड़ता है। शायद इसी कारण भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस पर जोर दिया कि सामरिक और वाणिज्यिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल को गंभीरता से लिया जाए। फिलहाल यह कहना कठिन है कि विश्व समुदाय हथियारबंद ड्रोन से लैस होते आतंकी संगठनों को लेकर कब चेतेगा, क्योंकि यह तकनीक कुछ ऐसे देशों के पास भी है, जो या तो आतंकी संगठनों के मददगार हैं या फिर बेहद गैर जिम्मेदार। इनमें प्रमुख हैं तुर्की और चीन। इसका अंदेशा है जिन ड्रोन से जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया गया, उन्हें चीन ने पाकिस्तान को मुहैया कराया हो और उसने उन्हें कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों को सौंप दिया हो।