शाहबाज की इनिंग शुरू

आखिर शनिवार देर रात पाकिस्तानी नैशनल असेंबली की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद इमरान सरकार गिर गई और शाहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने की राह साफ हो गई।

Update: 2022-04-11 03:55 GMT

नवभारत टाइम्स; आखिर शनिवार देर रात पाकिस्तानी नैशनल असेंबली की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद इमरान सरकार गिर गई और शाहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने की राह साफ हो गई। हालांकि किसी प्रधानमंत्री का तय समय से पहले पद से हट जाना पाकिस्तान के लिए कोई नई बात नहीं है। वहां आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर ही नहीं पाया है। लेकिन इमरान खान इस मामले में जरूर खास कहे जा सकते हैं कि वह अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए जाने वाले पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने। शायद वह ऐसा नहीं चाहते थे। इसीलिए अविश्वास प्रस्ताव को नैशनल असेंबली में पेश किए जाने और उस पर वोटिंग करवाए जाने से रोकने की आखिरी पल तक हर संभव कोशिश करते रहे। इसी क्रम में पाकिस्तान एक ऐसे राजनीतिक और संवैधानिक संकट में फंस गया, जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट की सामयिक कार्रवाई की बदौलत पाकिस्तान का यह संवैधानिक और राजनीतिक संकट लंबा नहीं खिंचा, लेकिन देश की नैशनल असेंबेली में विरोधी दलों द्वारा लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव को विदेशी साजिश से जोड़कर और उसमें अमेरिका का सीधे तौर पर नाम लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने ही देश के लिए अटपटी स्थिति पैदा कर दी।

वैसे, पाकिस्तानी आर्मी ने तुरंत इस पर तस्वीर साफ की। उसने विदेशी साजिश की आशंका से इनकार किया। फिर भी इमरान की बयानबाजी से पाकिस्तान की अगली सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी। उसे विदेश नीति के मोर्चे पर अब और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हालात से जूझना पड़ेगा। वैसे, विदेशी साजिश के इस पहलू से जुड़ा मामला पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में चला गया है, कोर्ट ने इस संबंध में दायर की गई याचिका स्वीकार कर ली है। बहरहाल, पाकिस्तान में यह अनिश्चिततापूर्ण दौर बीत चुका है। नई सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अच्छी बात यह भी है कि अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखे जा रहे शाहबाज शरीफ ने स्पष्ट किया है, उनकी सरकार बदले की भावना से कोई काम नहीं करेगी। वह अतीत की तल्खियां भुलाकर भविष्य की ओर रुख करते हुए चलेगी। ध्यान रहे शाहबाज शरीफ पीएमएल-एन के नेता ही नहीं, उस नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं, जिनका सेना से अनबन का इतिहास रहा है। यही नहीं सत्तारूढ़ मोर्चे के एक अहम नेता बिलावल भुट्टो जरदारी हैं, जिनके परिवार के फौज से खट्टे-मीठे रिश्ते भी जगजाहिर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल अभी से पूछा जाने लगा है कि नई सरकार भी कितने दिन टिक पाएगी। इसीलिए शाहबाज शरीफ अगर कह रहे हैं कि उनके लिए अतीत का हिसाब-किताब दुरुस्त करने के बजाय भविष्य की चुनौतियों से निपटना ज्यादा अहम है तो यह सभी संबद्ध पक्षों के लिए उपयुक्त संदेश है। यही नजरिया पाकिस्तान को स्थिरता प्रदान कर सकता है।


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