रक्षा में आत्मनिर्भरता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के वड़ोदरा में सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाने की फैक्ट्री का शिलान्यास करके एक बड़ी शुरुआत की है। हालांकि इस प्रॉजेक्ट के इर्दगिर्द कुछ ऐसे मुद्दे उठ गए हैं

Update: 2022-10-31 03:14 GMT

नवभारतटाइम्स: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के वड़ोदरा में सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाने की फैक्ट्री का शिलान्यास करके एक बड़ी शुरुआत की है। हालांकि इस प्रॉजेक्ट के इर्दगिर्द कुछ ऐसे मुद्दे उठ गए हैं जो इसे लगातार चर्चा में बनाए हुए हैं, लेकिन ये मसले अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़े हैं और इसलिए खतरा यह बन रहा है कि इन विवादों की धूल-धक्कड़ में कहीं प्रॉजेक्ट की वास्तविक अहमियत धुंधली न पड़ जाए। चूंकि गुजरात में विधानसभा चुनाव करीब आ गए हैं इसलिए पहला विवाद तो यह है कि केंद्र की बीजेपी सरकार गुजरात के मतदाताओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से ऐसे तमाम कार्यक्रम इसी समय घोषित कर रही है। लेकिन अगर यह आरोप सच हो तो भी उससे इस प्रॉजेक्ट की अहमियत कम या ज्यादा नहीं होती।

दूसरा विवाद महाराष्ट्र में इस बात को लेकर चल रहा है कि यह प्रॉजेक्ट गुजरात क्यों चला गया। पिछली महाविकास आघाड़ी सरकार में उद्योगमंत्री रहे शिवसेना नेता सुभाष देसाई ने कहा है कि इसे लेकर टाटा के अधिकारियों की सरकार के साथ तीन बैठक हो चुकी थी और अगर आघाड़ी सरकार होती तो यह प्रॉजेक्ट गुजरात नहीं जाता। इससे पहले वेदांता-फॉक्सकॉन के सेमीकंडक्टर बनाने के प्लांट से जुड़ा प्रॉजेक्ट गुजरात चले जाने पर भी ऐसे ही आरोप लगाए गए थे। इन विवादों की बारीकी में गए बगैर इतना जरूर कहा जा सकता है कि इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप मोटे तौर पर देश के हित में हैं। इससे अगर विभिन्न राज्यों के बीच अधिकाधिक निवेश हासिल करने की स्वस्थ प्रतिद्वंद्विता शुरू होती है तो वह देश में विकास की गति को बढ़ाने में मददगार ही होगी। लेकिन मौजूदा प्रॉजेक्ट के संदर्भ में बात की जाए तो उसका आकलन इस आधार पर नहीं हो सकता कि वह अलां राज्य में क्यों लगा और फलां राज्य में क्यों नहीं। संबंधित कंपनी को जो जगह सबसे उपयुक्त लगी, वहां यह फैक्ट्री लगाई जा रही है।

देखने वाली बात यह है कि 22000 करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट के तहत पहली बार देश में कोई प्राइवेट कंपनी भारतीय वायुसेना के लिए विमान बनाने जा रही है। यह मेक इन इंडिया के साथ ही देश के डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने के सरकार के लक्ष्य की ओर भी एक बड़ा कदम है। यह देश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के इकोसिस्टम को कितनी मजबूती देगा, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टाटा कन्सर्शियम ने इसके लिए देश में 125 एमएसएमई सप्लायर्स की पहचान की है। इस प्रॉजेक्ट से जहां 600 हाइली स्किल्ड जॉब प्रत्यक्ष रूप से बनेंगे वहीं 3000 से ज्यादा अप्रत्यक्ष जॉब बनने की बात कही जा रही है। निश्चित रूप से इस बात पर नजर रखी जानी चाहिए कि ये वादे और दावे किस हद तक सच साबित होते हैं, लेकिन इन संभावनाओं को संकीर्ण राजनीतिक हितों से उपजी बहस की भेंट चढ़ने देने की इजाजत तो कतई नहीं दी जा सकती।

Tags:    

Similar News

-->