रूस-यूक्रेन युद्धः सवाल अनेक, जवाब किसी के नहीं
क्या रशिया का यूक्रेन पर ये एक बड़ा मिलिट्री ऑपरेशन जो युद्ध में बदल रहा है
Hasan Jamal Zaidi
क्या रशिया का यूक्रेन पर ये एक बड़ा मिलिट्री ऑपरेशन जो युद्ध में बदल रहा है. दुनिया को थर्ड वर्ल्ड वॉर की तरफ ले जाएगा ? क्या अमेरिका और यूरोप, रशिया पर प्रतिबंध लगाकर उसे घुटनों पर ले आएंगे ? यूक्रेन कितना रिजिस्टेंस दे पाएगा ? क्या ये मैटर बातचीत से सुलझ सकता है ?
बहुत से सवाल हम सब लोगों के जहन में आते हैं और बहुत से जवाब भी. लेकिन अपने ही जवाबों से कोई पूरी तरह संतुष्ट भी नही हो पा रहा. आगे क्या होगा ? क्या कंडीशन बनेंगी ? दुनिया दो धुर्वो में बंट जाएगी ? या रुस का पश्चिमी देश बहिष्कार करके UNO से उसकी वीटो पावर ही खत्म करा देंगे ? क्या पश्चिम या UNO की इतनी हैसियत है ?
अगर न्यूट्रल होकर सोचें तो शायद कोई संतोषजनक उत्तर मिल सकता है. जहां तक रुस और पुतिन की बात है तो पुतिन बेहद सूझबूझ वाले और डेयरिंग पर्सन लगते हैं. वो स्ट्रगल से सीढ़ियां चढ़ कर आए हैं. यूक्रेन वाले जियोंस्की की तरह लिफ्ट नहीं हुए.
पुतिन ने अपने अब तक के कार्यकाल में 4 जंगें लड़ी और चारों जीती. चेचन्या हो क्रीमिया हो सीरिया हो या जार्जिया. यूक्रेन 5वीं होगी. उनकी कार्यशैली देखकर लगता है कि वो बहुत हिसाब-किताब जोड़कर हाथ डालते हैं ओर पूरा डालते हैं. यहां यूक्रेन में भी वो कश्तियां जला कर आए हैं. मतलब वापस खाली हाथ तो नहीं जाएंगे. ये उनके आज सुबह के प्रोग्राम से लग गया. जब उन्होंने टीवी टावर उड़ा कर न्यूज नेटवर्क को ही खत्म कर दिया. यूक्रेनी एयरफोर्स पर बमबारी करके वो पहले ही खत्म कर चुके हैं.
जरा सोचिए…रुसी फौज की एक बड़ी कान्वॉय, जिसे कोई सोर्स 40 मील तक कोई 60 मील तक लंबी बता रहा है, जो राजधानी कीव की तरफ मूव कर रही है. सारी सेटेलाइट इमेज आ रही हैं. लेकिन उस पर कोई अटैक नहीं कर रहा ? इसका मतलब यूक्रेन के पास ऐसा कुछ अटैक करने लायक मेटेरियल बचा नहीं ? यूरोप, अमेरिका भी बता ही रहे हैं. जबकि यूक्रेन की एक एप्लीकेशन पर उसे यूरोपिए संघ में शामिल भी कर लिया. इस तरह तो यूक्रेन यूरोपिए देश हो गया. फिर उस पर हमले पर नाटो रिटालिएट क्यूं नहीं कर रहा ?
हालांकि रुसी फौज को नुकसान तो पहुंचा है. कोई फीगर 4600 की है. और जंग में नुकसान तो होता ही है. रुस की कोई पेपर रिपोर्ट भी लीक हुई, बताई जा रही है. जिसके अनुसार अपनी फौज की 50 हजार तक की केजुअल्टीज का मन बना कर आए हैं पुतिन. अगर ये रिपोर्ट सही है तो सोच लिजिए…..
जहां तक अमेरिका और यूरोप की रुस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात है तो ये सब तो उन्होंने सोच कर रखा ही होगा उनकी स्टॉक मार्केट बंद है. रुबल शायद 106 डॉलर पर आ गया है. कोई इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते. वहीं स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम ने उन्हें बैन कर रखा है. जब बात UNO की पंचायत में होगी तो रुस और उसके मित्र देश भी सवाल पूछेंगे कि अमेरिका ने कितने देशों पर हमला किया. उन्हें बर्बाद किया इस पर कभी प्रतिबंध क्यूं नहीं लगाए ? आज से पहले ईराक, अफगानिस्तान, सीरिया, लीबिया, वियतनाम ये सारे मुल्क तुमने बर्बाद किए. यहां तक की जापान पर तो परमाणु बम तक मार आए. तुम पर तो किसी ने प्रतिबंध नहीं लगाया
आज यूक्रेन में ब्लू आइज़ ब्राउनिश हेयर और यूरोपियन जैसी गोरी चमड़ी वालों पर वार हुआ तो तुम्हारे पेट में मरोड़ काहे उठ रही है ? क्या बाकी दूसरे इंसान नहीं थे ? हालांकि इंसान कोई भी हो, उसका इस तरह जंगों मे मरना दुखदाई होता है. लेकिन नस्लीय भेदभाव तो गांवों, शहरों से लेकर प्रदेश देश और फिर आगे तक होता है. जगह के हिसाब से इसके स्वरुप बदलते रहते है. यूक्रेन में भारतीय छात्रों को ट्रेन तक में नहीं चढ़ने दे रहे थे. क्यूंकि उन्हें लग रहा था कि पहले नीली आंखों और गोरे रंग वाले जाने चाहिए. बाद में अगर जगह बचती है तो काले हरे पीले नीले… तब तक देखते रहिए क्या होता है ? हवा बता रही है कि वैसे वर्ल्ड सेनारियो तो चेंज होने जा रहा है. देखते हैं तब तक टिके रहिए….