रूस का सामना
अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की ओर से ‘स्विफ्ट’ जैसी संस्था से रूसी बैंकों को निकाल दिया जाना एक ताकतवर आर्थिक हथियार के प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है।
Written by जनसत्ता: अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की ओर से 'स्विफ्ट' जैसी संस्था से रूसी बैंकों को निकाल दिया जाना एक ताकतवर आर्थिक हथियार के प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है। इसके विपरीत प्रभाव रूस के आयात-निर्यात पर तो पड़ेगा ही साथ ही जर्मनी और नीदरलैंड जैसे पश्चिमी देश जो रूस के सस्ते गैस और तेल का आयात कर रहे थे, वे भी इसके दुष्प्रभाव से बच नहीं पाएंगे।
इस प्रतिबंध से रूस के लिए आयात का भुगतान करना और निर्यात का भुगतान पाना मुश्किल बन जाएगा। सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव रूस के तेल और गैस के लाभदायक निर्यात पर पड़ेगा। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि रूस को शायद इसका पूर्वानुमान हो चुका था, जिसके विकल्प में रूस ने एसपीएफएस जैसी संस्था बना लिया है, जिसके माध्यम से अपने मित्र देशों के साथ वह व्यापार कर सकेगा। रूस क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिकता प्रदान करके भी व्यापार को चालू रख सकता है।
जिस तरह यूक्रेन और रूस के बीच स्थिति बदली, उसका किसी को भी अंदाजा नहीं था। फिर भी हमारे देश की सरकार की कुछ गलती रही। मसलन, भारतीय दूतावास द्वारा जारी की गई परामर्शी में स्पष्ट रूप से विद्यार्थियों को सतर्क नहीं किया गया था। इस कारण से विद्यार्थी भी स्थिति की गंभीरता को वक्त पर नहीं समझ सके और वे वहां फंस गए। युद्ध जैसे हालात में सरकार को सबसे पहले अपने नागरिकों की सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए। समय रहते उन्हें युद्ध की आशंका वाले क्षेत्रों से बाहर लाने का पर्याप्त इंतजाम करना चाहिए।