'आश्रम' के बहाने भोपाल में बढ़ रहा बवाल, सरकार ऊहापोह में

मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों धार्मिक बवाल बढ़ रहा है

Update: 2021-10-27 13:20 GMT

मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों धार्मिक बवाल बढ़ रहा है. धार्मिक भावनाएं उबाल पर हैं और कानून व्‍यवस्‍था कायम करने वाली एजेंसियों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. सरकार के लिए यह स्थिति एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई जैसी है. ऐसा नहीं है कि भोपाल इस तरह की स्थिति से पहली बार दो चार हो रहा है, ऐसे हालात पहले भी बने हैं, लेकिन इस बार घटनाएं लगातार हो रही हैं जो सरकार के लिए प्रशासनिक ही नहीं राजनीतिक दृष्टि से भी मुश्किल का सबब हैं.

सबसे ताजा मामला चर्चित फिल्‍म निर्माता निर्देशक प्रकाश झा की विवादास्‍पद वेब सीरीज 'आश्रम' का है. झा इस सीरीज के तीसरे अंक की शूटिंग के लिए बॉबी देओल और अन्‍य कई अभिनेताओं के साथ भोपाल में हैं. दो दिन पहले राजधानी की पुरानी जेल में हो रही शूटिंग के दौरान बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ता वहां पहुंचे और उन्‍होंने इस सीरीज पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाते हुए शूटिंग रोकने की मांग की. घटना के दौरान कहासुनी, नारेबाजी और तोडफोड़ भी हुई जिससे शूटिंग में व्‍यवधान आया. प्रकाश झा जब प्रदर्शनकारियों से बात करने आए तो उन पर स्‍याही फेंक दी गई.


हालांकि घटना के बाद प्रकाश झा ने पुलिस में कोई रिपोर्ट नहीं की और यह कहते हुए मामले को शांत करने की कोशिश की कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि लोगों की भावनाएं आहत न हों. लेकिन ऐसा लगता है कि मामला आसानी से सुलझने वाला नहीं है. ऐसा इसलिए है क्‍योंकि बजरंग दल के प्रदर्शन के दूसरे ही दिन प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा ने बयान दिया कि धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी. उन्‍होंने सवाल उठाया कि आखिर फिल्‍मकारों को सारे दुष्‍कर्म और चरित्र हनन आश्रमों में ही क्‍यों नजर आते हैं.


मिश्रा ने यहां तक कह दिया कि भविष्‍य में ऐसी किसी भी शूटिंग से पहले संबंधित व्‍यक्तियों को सरकार को उसकी स्क्रिप्‍ट दिखानी होगी. यह विवाद उस समय और बढ़ गया जब भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह से मिलकर संत समाज के लोगों ने 'आश्रम' वेब सीरीज पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाते हुए पूरी सीरीज को ही बैन करने की मांग कर डाली. संतों के प्रतिनिधिमंडल ने सांसद को दिए ज्ञापन में कहा कि इस तरह की हरकतों पर तत्‍काल रोक लगाई जानी चाहिए. प्रज्ञा सिंह ने कहा है कि वे इस मामले में मुख्‍यमंत्री से भी बात करेंगी.


भोपाल की घटना को लेकर लोगों की राय भी बंटी हुई है. राजधानी के ही एक बड़े मीडिया ग्रुप ने जब इस घटना पर लोगों की राय मांगी तो 53 प्रतिशत लोगों का कहना था कि विरोध करना जायज है लेकिन यह तरीका गलत है. 34 प्रतिशत लोगों का कहना था कि विरोध के नाम पर यह गुंडागर्दी है और इस मामले में कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. आठ प्रतिशत लोगों की राय थी कि इससे मध्‍यप्रदेश में फिल्‍मों की शूटिंग पर असर पड़ सकता है, जबकि 6 फीसदी लोगों का मानना था कि इस घटना से प्रदेश की कानून व्‍यवस्‍था पर कई सवाल खड़े होंगे.

आश्रम वेब सीरीज की टीम पर हुए हमले के बारे में भोपाल के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हम वेब सीरीज को देखेंगे और यदि कोई विषय हुआ तो उसको प्रतिबंधित भी करेंगे. उनका कहना था कि इस वेब सीरीज को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है. जो घटना हुई है वह दुर्भाग्‍यजनक है, ऐसा नहीं होना चाहिए था. विरोध करने वाले यदि सरकार के पास आते तो बैठकर बातचीत से रास्‍ता निकल सकता था. मध्‍यप्रदेश सरकार राज्‍य में फिल्‍मों की शूटिंग के लिए पर्याप्‍त सुरक्षा, साधन और स्‍थान उपलब्‍ध करा रही है.


राज्‍य के नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह का यह बयान सरकार की दुविधा को दर्शाने वाला है. दरअसल मध्‍यप्रदेश पिछले लंबे समय से बॉलीवुड के निर्माता निर्देशकों की पसंदीदा जगहों में शुमार होने लगा है. देश के कई नामी गिरामी फिल्‍म निर्माता निर्देशक भोपाल और मध्‍यप्रदेश के अन्‍य कई शहरों में शूटिंग के लिए आने लगे हैं. राज्‍य सरकार उनके लिए सुविधाएं और सहूलियत दोनों ही जुटा रही हैं. प्रकाश झा के लिए तो भोपाल संभवत: पहली पसंद हो गया है. अपनी चर्चित फिल्‍मों 'आरक्षण' और 'राजनीति' की शूटिंग भी उन्‍होंने यहीं की थी.


एक और चर्चित अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी अपनी फिल्‍म 'रिवॉल्‍वर रानी' और 'पंगा' जैसी फिल्‍मों को भोपाल में शूट किया था. फिल्‍म निर्माताओं के भोपाल आने से राज्‍य में पर्यटन और स्‍थानीय रोजगार दोनों में बढ़ोतरी हुई है और ऐसे में सरकार यह भी नहीं चाहती कि किसी घटना के कारण कोई गलत संदेश चला जाए और शूटिंग के लिए यहां आने वाले लोग प्रदेश से मुंह मोड़ लें. घटना पर फिल्‍म और अभिनय क्षेत्र से जुड़े लोगों की भी राय यही है. मध्‍यप्रदेश के ही निवासी जाने माने अभिनेता गोविंद नामदेव ने कहा कि- ''ऐसी घटनाओं से राज्‍य को फिल्‍मों, टीवी और वेब सीरीज की शूटिंग के केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रदेश सरकार के प्रयासों को झटका लगेगा.


सरकार चाहती है कि निर्देशक राज्‍य में आएं और अपनी फिल्‍मों की शूटिंग यहां करें लेकिन यदि ऐसी घटनाएं होती रहीं तो वे ऐसा कैसे कर पाएंगे?


भोपाल में ही शूटिंग की व्‍यवस्‍थाओं से जुड़े लाइन प्रोड्यूसर वैभव सक्‍सेना कहते हैं कि इस तरह के हंगामे और तोड़फोड़ से फिल्‍म मेकर्स का रुख यदि बदला तो भोपाल के लोगों को नुकसान होगा, कई लोगों का रोजगार छिन जाएगा और कई लोगों के लिए रोजगार की संभावनाएं खत्‍म हो जाएंगी. कोई भी शूटिंग यदि महीने भर चलती है तो भोपाल को तीन से चार करोड़ रुपये की आय होती है. अभी राजधानी में चार वेब सीरीज और एक फिल्‍म की शूटिंग चल रही है.

वैभव सक्‍सेना के अनुसार पिछले चार सालों में यहां करीब 50 प्रोजेक्‍ट शूट हो चुके हैं. अगले साल तक सात और बड़े प्रोजेक्‍ट आने वाले हैं. इनमें राजकुमार संतोषी के दो, दक्षिण भारत के निर्देशक शंकर के दो, आमिर खान प्रोडक्‍शन और सिद्धार्थ रॉय कपूर के एक-एक प्रोजेक्‍ट के अलावा हॉट स्‍टार की एक वेबसीरीज शामिल है.


दूसरी तरफ भाजपा शासनकाल में ही मध्‍यप्रदेश स्‍कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक रह चुके आलोक चटर्जी का कहना है कि आजकल फिल्‍मों को हिट करने के लिए पहले कुछ विवादित चीजें डाल दी जाती हैं फिर उन्‍हें हटा लिया जाता है. यदि निर्माता 80 फीसद लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम करेंगे तो विरोध होगा ही. हिन्‍दुओं और हिन्‍दू धर्म को आसान लक्ष्‍य मान लिया गया है. फिल्‍मों और वेब सीरीज की शूटिंग की अनुमति देने से पहले उनकी स्क्रिप्‍ट की जांच की जानी चाहिए.


मामला बढ़ने पर राजनीति भी पीछे नहीं रही. प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजयसिंह ने प्रकाश झा की यूनिट के साथ हुई घटना की निंदा करते हुए कहा कि मध्‍यप्रदेश में बजरंग दल अपराधियों का गिरोह बन चुका है. इससे जुड़े लोग हत्‍या तक के मामलों में लिप्‍त हैं. भोपाल की घटना को लेकर पुलिस का रवैया भी निराशाजनक है. उसे दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. राष्‍ट्रीय सेक्‍यूलर मंच के संयोजक लज्‍जाशंकर हरदेनिया ने घटना को अभिव्‍यक्ति की आजादी पर हमला बताया है.


हालांकि पुलिस ने इस घटना के संबंध में बजरंग दल के प्रांतीय संयोजक सुशील सुडेला सहित 40 लोगों पर मामला दर्ज किया है. और प्रकाश झा ने भोपाल में ही दूसरी जगह पर अपनी शूटिंग जारी रखी है. लेकिन बजरंग दल ने एक बार फिर प्रकाश झा को चेतावनी दी है कि यदि वेब सीरीज का नाम नहीं बदला गया तो वे उन्‍हें 'अपने तरीके' से समझाएंगे. दूसरी तरफ साधु-संत समाज ने भी इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने का ऐलान कर दिया है. जाहिर है 'आश्रम' से शुरू हुआ यह विवाद प्रकाश झा की ही अपनी फिल्‍म 'राजनीति' की तरफ बढ़ रहा है.



(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए  जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
 
गिरीश उपाध्याय, पत्रकार, लेखक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. नई दुनिया के संपादक रह चुके हैं


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