लाउडस्पीकरों पर लगाम, आखिर जो काम सरल तरीके से यूपी में हो सकता है, वही अन्य राज्यों में क्यों नहीं?

यह देखना सुखद है कि जब देश के कुछ हिस्सों में धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद जारी है

Update: 2022-04-29 14:38 GMT
यह देखना सुखद है कि जब देश के कुछ हिस्सों में धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद जारी है, तब उत्तर प्रदेश में उन्हें हटाने और उनकी आवाज नियंत्रित करने का काम सुगमता से हो रहा है। उल्लेखनीय यह है कि इस अभियान को सभी समुदायों और उनके धर्मगुरुओं का सहयोग- समर्थन मिल रहा है। ऐसा इसीलिए है, क्योंकि यह अभियान अदालती आदेशों के अनुपालन के क्रम में बिना किसी भेदभाव के चलाया जा रहा है।
आखिर जो काम सहज-सरल तरीके से उत्तर प्रदेश में हो सकता है, वही अन्य राज्यों में क्यों नहीं हो सकता-और वह भी तब, जब उच्चतम न्यायालय समेत विभिन्न उच्च न्यायालय लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को नियंत्रित करने के आदेश पारित कर चुके हैं। जब ध्वनि प्रदूषण का जरिया बने लाउडस्पीकर आम लोगों की परेशानी बढ़ा रहे हैं, तब इसका कोई औचित्य नहीं कि उन्हें लेकर जो नियम-कानून और न्यायिक आदेश हैं, उनकी अनदेखी हो।
कई राज्य सरकारें इस मामले में जिस तरह आनाकानी कर रही हैं, उसे देखते हुए उचित यह होगा कि उच्चतम न्यायालय सभी राज्यों को 2005 के अपने आदेश का पालन करने का निर्देश दे। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्य यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि इस मामले में केंद्र सरकार को कानून बनाना चाहिए। यह बहानेबाजी के अलावा और कुछ नहीं, क्योंकि इस संदर्भ में एक कानून बना हुआ है और उसकी संवैधानिकता भी परखी जा चुकी है। इसी बहानेबाजी के कारण कुछ लोगों को राजनीति करने का मौका मिल रहा है।
राज्य सरकारों को यह समझना होगा कि मसला कोई धार्मिक गतिविधि नहीं, बल्कि लाउडस्पीकर है। कायदे से विशेष अवसरों को छोड़कर धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होना ही नहीं चाहिए, क्योंकि एक तो किसी भी मत-मजहब में उनका इस्तेमाल आवश्यक नहीं और दूसरे, आज के इस संचार युग में उनके बगैर कहीं आसानी से काम चल सकता है। वास्तव में यह मानने में हर्ज नहीं कि जैसे कई धार्मिक गतिविधियां शक्ति प्रदर्शन का जरिया बन गई हैं, वैसे ही लाउडस्पीकार का इस्तेमाल भी।
कहीं पर भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल प्रशासन की अनुमति से होना चाहिए और उसकी आवाज नियंत्रित होनी चाहिए। किसी को भी इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती कि वह लाउडस्पीकर के जरिये पूरे मोहल्ले को अपनी धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधि से जबरन अवगत कराए।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय 
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