बड़े देशों का दायित्व

ब्रिटेन के कॉर्नवाल में चल रही जी-7 देशों की तीन दिवसीय शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार और रविवार को ऑनलाइन शिरकत करेंगे।

Update: 2021-06-13 03:57 GMT

ब्रिटेन के कॉर्नवाल में चल रही जी-7 देशों की तीन दिवसीय शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार और रविवार को ऑनलाइन शिरकत करेंगे। ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और साउथ कोरिया सहित भारत को बतौर मेहमान इस बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। बैठक जिन हालात में हो रही है, उन्हें देखते हुए कोई आश्चर्य नहीं कि महामारी के चंगुल से दुनिया को जल्द से जल्द मुक्त कराने का लक्ष्य इसके अजेंडे में सबसे ऊपर है। चाहे सवाल वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने का हो या क्लाइमेट चेंज से जुड़े लक्ष्यों को हासिल करने की ओर बढ़ने का या विभिन्न देशों के बीच संबंधों के समीकरण को ज्यादा सामंजस्यपूर्ण और तर्कसंगत बनाने का- इन तमाम महत्वपूर्ण उद्देश्यों के बारे में गंभीर विचार-विमर्श तभी हो सकता है जब मनुष्य समाज के सिर पर लटकी मौत की तलवार हटे।

जैसा कि पिछले एक डेढ़ साल के अनुभव से साफ हो जाता है कि संक्रमण दर और मौत की संख्या को एक बार या दो बार काबू कर लेने से कुछ नहीं होने वाला। दूसरी, फिर तीसरी और उसके बाद चौथी लहरों का खतरा बना ही रहेगा। इसका स्थायी समाधान दुनिया की ज्यादातर आबादी को टीकाकरण के दायरे में लाना ही हो सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया बेहद धीमी है। अभी तक दुनिया की छह फीसदी से कुछ ही ज्यादा आबादी पूरी तरह वैक्सिनेशन के दायरे में आ सकी है। भारत में तो यह प्रतिशत साढ़े तीन से भी कम है। अच्छा संकेत यह है कि जी-7 के देश इस मसले पर गंभीरता दिखा रहे हैं। अमेरिका ने 50 करोड़ डोज वैक्सीन अन्य देशों को देने की बात कही है। ब्रिटेन ने 10 करोड़ डोज वैक्सीन डोनेट करने की घोषणा की है। अन्य देश भी ऐसा रुख दिखाएं और उस पर अमल करें तो कम से कम इस मोर्चे पर तेजी आने की उम्मीद की जा सकती है।
बैठक की अहमियत इस बात में भी है कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद जो बाइडेन की यह पहली विदेश यात्रा है और इस बात पर सबकी नजर रहेगी कि पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की खास शैली के प्रभावों से निकलने के बाद अमेरिकी कूटनीति किस तरह के संकेत देने वाली है। प्रसंगवश, राष्ट्रपति ट्रंप ने जी-7 को ज्यादा प्रासंगिक बनाने के लिए इसे विस्तारित करके जी-10 या जी-11 का रूप देने का सुझाव दिया था। तमाम चुनौतियों के बीच भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जी-7 जैसे मंचों को सांकेतिकता से ऊपर उठाना आज की बड़ी जरूरत है। अगर इस दिशा में बात बढ़ती है तो यह इस बैठक की सफलता ही कही जाएगी।


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