रिश्तों की नाप-जोख

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन की तीन दिवसीय भारत यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के संकल्प दोहराती हुई संपन्न हुई।

Update: 2021-03-22 05:09 GMT

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन की तीन दिवसीय भारत यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के संकल्प दोहराती हुई संपन्न हुई। अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन के शपथ ग्रहण के बाद से यह उनके सत्ता ढांचे के किसी अहम सदस्य की पहली भारत यात्रा थी, इसलिए स्वाभाविक रूप से सबकी नजरें इस पर टिकी हुई थीं। यह यात्रा ऐसे समय हुई है जब भारत-अमेरिका रिश्तों का समीकरण पूरे एशियाई प्रशांत क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।

कुछ ही दिन पहले क्वाड शिखर बैठक में राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की वर्चुअल मुलाकात भी हो चुकी है। बावजूद इसके, ऑस्टिन की इस यात्रा को लेकर दोनों तरफ उम्मीदों के साथ-साथ कुछ आशंकाएं भी जोर मार रही थीं। यात्रा की पूर्वसंध्या पर अमेरिकी सीनेट की फॉरेन रिलेशंस कमिटी के चेयरमैन रॉबर्ट मेनेंडीज ने डिफेंस सेक्रेटरी ऑस्टिन को पत्र लिखकर कहा कि वे भारत में रूसी एस-400 मिसाइल की खरीद का मसला जरूर उठाएं। इसके साथ ही उन्होंने बातचीत के दौरान लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकार से जुड़े सवाल भी उठाने को कहा।
रूसी एस 400 मिसाइल खरीद का मुद्दा निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच अभी सबसे संवेदनशील मसला बना हुआ है। भारत जल्द ही इस सौदे की औपचारिक घोषणा करने वाला है जबकि अमेरिका इसके खिलाफ है। इसी सौदे की वजह से वह अपने नाटो सहयोगी तुर्की तक पर कई प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर चुका है। भारत कहता रहा है कि रूस से या किसी भी देश से हथियार खरीदने का मतलब उससे करीबी और बाकी मित्र देशों से दूरी नहीं है। किससे कौन सा हथियार खरीदना है या नहीं खरीदना है यह भारत की सुरक्षा तथा संप्रभुता से जुड़ा सवाल है, इसलिए इस पर किसी तरह की सौदेबाजी नहीं की जानी चाहिए।
उम्मीद की जा रही है कि बाइडेन प्रशासन दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्तों की अहमियत समझते हुए भारत को इस मामले में अपवाद मानने की नीति को जारी रखेगा। अमेरिकी सरकार ने इस मसले पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। अच्छी बात यह रही कि ऑस्टिन की यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के प्रति नकारात्मकता पैदा करने वाला कोई संकेत नहीं दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा सचिव से मुलाकात के बाद अपने अर्थपूर्ण ट्वीट में कहा कि दोनों की सामरिक साझेदारी दुनिया का भला करने वाली ताकत है।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी इंडस्ट्री का स्वागत करते हुए कहा कि उसे रक्षा क्षेत्र में भारत की उदार एफडीआई नीतियों का फायदा उठाना चाहिए। साफ है कि भारत के साथ सहयोग की नीति न केवल भारत के लिए बल्कि खुद अमेरिका के लिए भी लाभदायक है। लेकिन यह संदेश लॉयड ऑस्टिन ने कितनी अचछी तरह ग्रहण किया है और बाइडेन प्रशासन की आगामी नीतियों में यह किस रूप में प्रतिबिंबित होती है, इसका ठीक-ठीक अंदाजा थोड़े समय बाद होगा जब भारत के एस-400 मिसाइल खरीद सौदे और अन्य महत्वपूर्ण मसलों पर अमेरिका अपना रुख स्पष्ट करेगा।


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