विरोध जरूरी है!
विपक्ष में हैं तो केवल विरोध प्रदर्शन ही एक काम है! ऐसा हर प्रदेश की राजनीति में दिख जाता है। दिल्ली में मामला थोड़ा उल्टा है।
विपक्ष में हैं तो केवल विरोध प्रदर्शन ही एक काम है! ऐसा हर प्रदेश की राजनीति में दिख जाता है। दिल्ली में मामला थोड़ा उल्टा है। यहां बस खरीद मामले में केंद्र की कमेटी से दिल्ली सरकार के दामन को साफ बता दिया गया है लेकिन विपक्षी पार्टी है कि मानने को तैयार ही नहीं। प्रदेश भाजपा के नेताओं की मांग पर उपराज्यपाल की ओर से गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली सरकार को घोटाले से बरी कर दिया। इसे लेकर उपमुख्यमंत्री ने बकायदा प्रेस कांफ्रेस भी की। लेकिन भाजपा का बेड़ा इसी मुद्दे पर सड़क पर उतर पड़ा। किसी ने ठीक ही कहा-विपक्ष में हैं तो विरोध प्रदर्शन क्यों छोड़े भला। हालांकि बेदिल ने किसी को कहते सुना विरोध प्रदर्शन अपनी जगह लेकिन कम से कम कमेटी की रपट का तो सम्मान करते। वह भी तब जब कमेटी खुद भाजपा की केंद्र सरकार की ओर से गठित थी ।
मौसम बारिश का है लेकिन नोएडा में आजकल छापेमारी हावी है। पिछले कुछ दिनों में यहां की पुलिस ने खूफिया सूचना पर देह व्यापार के अड्डो का खूब खुलासा किया। छापेमारी में कई पकड़े गए जबकि कई बच निकले। इससे एक तरफ पुलिस की वाहवाही बढ़ी और दूसरी तरफ चर्चाओं का बाजार। लोग समझ नहीं पा रहे कि आखिर एकाएक इतने व्यापार के खुलासे कैसे हो रहे हैं। ये धंधे बढ़ गए हैं या कुछ और मामला है। बेदिल को पता चला कि ऐसे मामले खूब सूर्खियों में आते हैं इसलिए पुलिस भी सूचना पर छापेमारी करने से नहीं चूकती। और तो और चुनाव आते ही व्यक्तिगत निशाने भी इसी छापेमारी से लगाए जाते हैं।
सजा पर सवाल
भाजपा हमेशा अनुशासित पार्टी मानी गई है। यहां सजा भी हंसते-हंसते कार्यकर्ता कबूल करते हैं। लेकिन दिल्ली में हालात थोड़े बिगड़ गए हैं। निगम चुनाव नजदीक आते ही आजकल पार्षदों का पाला बदल शुरू हो गया है। इसी बीच निगम के जोन चुनाव में भाजपा ने अपनी दो महिला पार्षदों के पार्टी के खिलाफ वोट देने पर निष्कासित कर दिया। लेकिन महिला पार्षदों ने इस पर बवाल शुरू कर दिया। उन्होंने उल्टा भाजपा नेतृत्व पर भी आरोप लगा दिए और आलाकमान को कठघरे में खड़ा कर दिया। अब पार्टी ऐसे आरोपों को गंभीर मानकर क्या निर्णय लेगा ये तो भविष्य की बात है लेकिन बेदिल को पता चला है कि अभी और भी पार्षद बगावत कर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा सकते हैं।
पाइप काट प्रतियोगिता
राजधानी में 'पाइप काट प्रतियोगिता' शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री बनने से पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली में अजीबो गरीब कारनामों से चर्चित हो रहे थे। उस समय वे बिजली के कनेक्शन काट देते थे और कहीं भी धरना दे देते। अब मुख्यमंत्री बन गए हैं तो उनका यह हथियार भाजपा ने ले लिया है। वे अब मंत्री जी का पानी का कनेक्शन काटने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन तभी आम आदमी पार्टी को याद आया कि भले ही वे सरकार में हैं लेकिन वे इस हथियार को यूं ही नहीं छोड़ सकते। उन्होंने भी झट फैसला कर लिया कि वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के यहां पानी का कनेक्शन काट देंगे। फिर क्या गला काट प्रतियोगिता के दौर में पाइप काट प्रतियोगिता शुरू है।
प्रचार का पंगा
दिल्ली में मौजूदा राज्य सरकार और विपक्ष भाजपा के बीच पोस्टर वार दिख रहा है। एक अपनी तारीफ के पुल बांधते हैं दूसरे उसपर पानी फेर देते हैं। यह पोस्टर का पंगा आजकल ज्यादा बढ़ गया है। दिल्ली सरकार मौजूदा समय में कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान को जोरशोर से चला रही है। इसके लिए दिल्ली भर में 'वैक्सीन ली क्या' पोस्टर दिख रहे हैं। भाजपा पीछे क्यों रहती। उसने जवाब में सारा श्रेय केंद्र को देते हुए पोस्टर लगा दिया। कुछ ऐसे पोस्टर भी लगा रहे हैं जिसमें मुख्यमंत्री को लेकर व्यंग्य भी किया गया है। वे जलन मिटाने वाले मलहम के साथ मुख्यमंत्री की फोटो लगाकर जगह-जगह टांग रहे हैं।
यह कैसी सूचना
दिल्ली पुलिस अपने स्टाफ के संपर्क में कम रहती है। इसलिए विभागीय सूचना को भी अखबारों में देकर बस अपना काम खत्म करना चाहते हैं। पिछले दिनों पुलिस के 70 फीसद जवानों ने टीका लगवाया यह दावा पुलिस ने किया और इसको सुर्खियों में देखकर विभाग गदगद भी हुआ। लेकिन अब पुलिसवालों को टीका कहां लगाया जा रहा है इसके लिए भी वे अखबार के सहारे हैं। सूचना छपेगी तो पुलिसकर्मी वहां टीका लगवाने आएगा। बेदिल को पता चला कि यह काम पुलिस अंदरूनी मेल और विभागीय सूचना के तौर पर जारी करके अपने स्टाफ को बता सकता है लेकिन उन्हें अपराध बुलेटिन में इसे शामिल करना आसान लगता है।