टोटल लॉकडाउन न होने के पॉजिटिव इफेक्ट: घोर कोरोना के समय निर्यात बढ़ा, जो अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत

कोरोना ने भारत समेत पूरी दुनिया को आर्थिक रूप से भारी नुकसान पहुंचाया है,

Update: 2021-06-03 14:21 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | संयम श्रीवास्तव | कोरोना (Corona) ने भारत समेत पूरी दुनिया को आर्थिक रूप से भारी नुकसान पहुंचाया है, लेकिन अब धीरे-धीरे इससे उबरने की उम्मीद जगी है. भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) का भी यही हाल है. भारत ने इस साल मई महीने में जब कोरोना अपने पूरे शबाब पर था निर्यात सेक्टर (Export Sector) में बहुत अच्छा काम किया है. इस उपलब्धि से देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की उम्मीद जगी है. विदेशों से भारतीय चीजों की मांग बढ़ती जा रही है यही वजह है कि देश का वाणिज्यिक निर्यात मई में बढ़कर 32.21 अरब डॉलर हो गया है. जो पिछले साल मई की तुलना में 67.39 और मई 2019 की तुलना 7.93 फीसदी ज्यादा है. वहीं अगर इसे पिछले महीने हुए निर्यात से तुलना करें तो पाएंगे की मई में अप्रैल के मुकाबले 5.15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. मतलब यह है कि 2019 में यानि जब से देश में कोरोना आया है उसके एक साल पहले वाले साल जब भारत सहित पूरी दुनिया में सामान्य स्थिति थी उससे भी ज्यादा निर्यात हुआ है. इसका मतलब है कि थोड़ा भी समय अनुकूल हुआ कि नहीं अर्थव्यवस्था की गाड़ी सरपट दौड़ लगा सकती है.

भारत ने दूसरे देशों को पेट्रोलियम उत्पादों, दवा, लौह अयस्क, आभूषण और इंजीनियरिंग के सामान खूब निर्यात किए हैं. निर्यात से देश को मुनाफे का सबसे बड़ा कारण है कि भारत ने अपने यहां भले राज्य स्तर पर लॉकडाउन लगाया था लेकिन राष्ट्रीय तौर पर कोई लॉकडाउन नहीं था, यही वजह है कि दूसरे देशों को निर्यात बिना रोक-टोक के खूब हुई है. यही वजह है कि इस महीने देश का वाणिज्यक आयात बीते 6 महीनों में निचले स्तर पर रहा और निर्यात बढ़ा है. मई 2021 में भारत ने 32.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सामान निर्यात किया है.
भारत की नीति सही दिशा में है?
बिज़नेस स्टैंडर्ड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल के मुकाबले में मई महीने में आयात में आई कमी सोने के आयात में तेजी से गिरावट की वजह से है. वहीं तेल का आयात भी कम हुआ है. क्योंकि राज्यों में लॉकडाउन के चलते आवाजाही पर भी प्रतिबंध है. इसीलिए व्यापार घाटा 8 महीने के सबसे निचले स्तर पर है. वहीं इस मुद्दे पर भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद (TPCI) के संस्थापक अध्यक्ष मोहित सिंगला कहते हैं कि अखबारी कागज, परिवहन उपकरण और लोहा तथा इस्पात के आयात में गिरावट आना आत्मनिर्भरता की दिशा में स्वागत योग्य कदम है और इससे पता चलता है कि इस दिशा में सरकार की रणनीति कारगर रही है. परिषद ने आगे उम्मीद जताई कि अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों में मजबूत मांग के चलते वित्त वर्ष में निर्यातकों की ऑर्डर बुक मजबूत बनी रहेगी. कोरोना से जिस तरह भारत निकल रहा है और उसकी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो रही है, उससे साफ जाहिर है कि आर्थिक रूप से केंद्र सरकार की रणनीति पटरी पर है.
निर्यात बढ़ने से बेरोजगारी में भी मिलेगी राहत
देश में कोरोना से पहले से ही बेरोजगारी एक बड़ी समस्या रही है, जिस पर भारत सरकार हमेशा से विपक्ष का निशाना बनती रही है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) का दावा है कि मई महीने में लगभग 1.5 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई जो देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है. वहीं मई के आखिरी सप्ताह में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 18 फीसदी के साथ पिछले एक साल में सबसे अधिक हो गई है. इसी तरह का एक सर्वे भारत में गरीबी पर प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने किया है जिसकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2020 में 23 करोड़ लोग गरीबी की दलदल में फंसे हैं. पर दूसरी तरफ निर्यात में बढ़ोतरी से बेरोजगारी की समस्या के हल होने की संभावना बढ गई है. नवभारत टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑरगेनाइजेशन के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ कहते हैं कि वर्तमान में प्रॉसेस्ड आइटम, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, समुद्री उत्पादों का निर्यात और बढ़ने की उम्मीद है.
ऐसे में भारत सरकार को इन सेक्टरों में एक्सपोर्ट को पुश करना चाहिए. ऐसा होता है इन सेक्टरों में बहुत तेजी से रोजगार बढ़ने की संभावना है. उनका कहना है कि कोरोना संकट से इकॉनमी को बाहर निकालने में एक्सपोर्ट सेक्टर की अहम भूमिका हो सकती है. देश में बन रहे रॉ स्टील, स्टील प्रॉडक्ट्स, इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाली मशीनरी और दूसरी तरह की वैल्यू ऐडेड आइटम्स की भी विदेशों में खूब डिमांड है. इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट ऑफ प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन महेश देसाई का कहना है कि इस साल के मई महीने में इन सब आइटम्स का के एक्सपोर्ट में 16.09 परसेंट की ग्रोथ रही है जो बता रही है. उम्मीद किया जाना चाहिए कि भारतीय इकॉनमी की रफ्तार फिर पुरानी ढर्रे पर होगी.
कई चुनौतियां भी सामने खड़ी हैं
एक तरफ निर्यात की वजह से भारत भले मजबूत होता दिख रहा हो, लेकिन अभी उसे फिर से पटरी पर लौटने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. पहले जहां 2022 वित्त वर्ष के लिए भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान 11-14 फीसदी आंकी जा रही थी, वह अब घट कर 8.5 से 10 फीसदी हो गई है. जबकि 2021 की ग्रोथ माइनस 7.3 फीसदी रही. वहीं पहले कोरोना का प्रभाव शहरों पर था, लेकिन गांवों की आर्थिक स्थिति सामान्य थी, लेकिन अब कोरोना गांवों की ओर बढ़ रहा है और भारत की आधी से ज्यादा आबादी आज भी गांवों में रहती है इस वजह से भारत सरकार के लिए चुनौती और बड़ी हो गई है.


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