आबादी और संसाधन
आज भारत की आबदी एक सौ चालीस के करीब पहुंच चुकी है। लेकिन क्या देश के पास इतनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं, यह बड़ा सवाल है। आबादी के हिसाब से संसाधनों और खाद्य का पर्याप्त नहीं होना कम पीड़ादायक बात नहीं है।
Written by जनसत्ता: आज भारत की आबदी एक सौ चालीस के करीब पहुंच चुकी है। लेकिन क्या देश के पास इतनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं, यह बड़ा सवाल है। आबादी के हिसाब से संसाधनों और खाद्य का पर्याप्त नहीं होना कम पीड़ादायक बात नहीं है। यह बेहद जरूरी है कि हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीने के लिए न सिर्फ खाद्य, बल्कि दूसरे शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं और दूसरे संसाधनों का लाभ मिले। यह जिम्मेदारी सरकार की भी है कि वह हर नागरिक को वे सारी चीजें मुहैया करवाए जिनका वह हकदार है, और जो उसके व परिवार के भरण-पोषण के लिए जरूरी है। यह गंभीर बात इसलिए है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, भुखमरी, कुपोषण जैसे तमाम वैश्विक सूचकांकों में भारत की स्थिति दयनीय ही है।
आज भारत की पैंसठ फीसद आबादी पांच साल से उनसठ साल के बीच की है। सबसे ज्यादा जरूरतें इसी आबादी वर्ग की हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण देश में बेरोजगारी और अपराध बढ़ते हैं। इसलिए आज आवश्यकता यही है कि कामकाजी उम्र के हर व्यक्ति को रोजगार के अवसर भी मिलें ताकि वह अर्थव्यवस्था में किसी न किसी तरह से योगदान देता रहे।
आज यह भी सत्य है कि जनसंख्या में हमारे युवाओं का बड़ा प्रतिशत किसी वरदान से कम नहीं है। युवा वर्ग अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सबसे ज्यादा सहायक हो सकता है, बस उसे काम देने की जरूरत है। लेकिन देखने में आ रहा है कि पर्याप्त संसाधनों के बावजूद रोजगार सृजन नहीं हो पा रहा है। किसी देश की बढ़ती जनसंख्या को यदि सही ढंग से नियोजित ना किया जाए तो कई गंभीर चुनौतियां पैदा होने लगती हैं।
बढ़ती आबादी भी हमारे सामने बड़ी चुनौती है। समय-समय पर जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की बात उठती रहती है। देश का हर समुदाय अगर अपनी ओर से उन्नति एवं खुशहाली में अपना योगदान देता रहे तो बढ़ती आबादी का सही उपयोग हो सकेगा और देश तरक्की के रास्ते पर तेजी से बढ़ेगा। अत: सरकार को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने के प्रयासों को प्राथमिकता देनी चाहिए।