वैक्सीनेशन पर सियासत
पहले कोरोना टीके को लेकर इस देश में सियासत हुई अब वैक्सीनेशन यानी टीकाकरण पर सियासत होनी शुरू हो गई है।
आदित्य नारायण चोपड़ा: पहले कोरोना टीके को लेकर इस देश में सियासत हुई अब वैक्सीनेशन यानी टीकाकरण पर सियासत होनी शुरू हो गई है। कोरोना संकट से जूझ रहे देश को नए वर्ष की शुरूआत में जब दो वैक्सीन का तोहफा देशवासियों को दिया गया तब पहले समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने इसे भाजपा का टीका बताकर वैक्सीन लगवाने से इंकार कर दिया। उन्होंने यह तंज भी कसा कि जाे सरकार ताली और थाली बजवा रही थी, वो वैक्सीनेशन के लिए इतनी बड़ी चेन क्यों बनवा रही है। ताली और थाली से ही कोरोना को भगा दे। फिर कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं जयराम रमेश और शशि थरूर ने वैक्सीन को लेकर सवाल उठा दिये। उन्होंने कोवैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल पूरा होने से पहले ही उसे दी गई मंजूरी को जोखिम भरा बता दिया। कभी कुछ कहा गया तो कभी कुछ। जितने मुंह उतनी बातें। कुछ राजनीतिक दलों ने तो वैक्सीन को लेकर संदेह का वातावरण बनाने का प्रयास किया। किसी ने भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि अपनी सियासत चमकाने के लिए वे देशवासियों का कितना नुक्सान कर रहे हैं। सभी को इतने कम समय में वैक्सीन तैयार कर लेने की वैज्ञानिकों की उपलब्धि पर गर्व होना चाहिए था लेकिन विपक्षी दलों ने अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग अलापना शुरू कर दिया।