भारत-बंगलादेश रेल लिंक का रणनीतिक महत्व
भारत और बंगलादेश के मध्य द्विपक्षीय सहयोग की शुरूआत 1971 में हो गई थी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत और बंगलादेश के मध्य द्विपक्षीय सहयोग की शुरूआत 1971 में हो गई थी जब भारत ने बंगलादेश राष्ट्र का समर्थन करते हुए अपनी शांति सेना भेज दी थी। बंगलादेश के साथ भारत के भावनात्मक संबंध भी हैं क्योंकि यह देश भारत के बंगाल का ही हिस्सा था। वर्ष 1947 में जब भारत ने आजादी प्राप्त की और देश का बंटवारा हुआ तो बंगाल का यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा बन गया और उसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाने लगा। पूर्वी पाकिस्तान काफी विषम परिस्थितियों में था। वह न केवल भौगोलिक रूप से पश्चिमी पाकिस्तान से अलग था बल्कि जातीयता और भाषा के आधार पर भी पाकिस्तान से काफी अलग था। इस विषमता के चलते ही बंगलादेश के अलग देश होने की मांग उठने लगी। 27 मार्च, 1971 को शेख मुजीबुर रहमान ने पाकिस्तान से बंगलादेश की आजादी की घोषणा कर दी। तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान ने अलगाव को रोकने के लिए पूरे प्रयास किये और इसके विरुद्ध जंग की शुरूआत कर दी। जब बंगलादेश से हजारों शरणार्थी भारत आने लगे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की चिंताएं बढ़ गईं। अंततः भारत ने हस्तक्षेप किया और बंगलादेश राज्य के रूप में पूर्वी पाकिस्तान की स्वतंत्रता को सुरक्षित करने में मदद की। 16 दिसम्बर, 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की सेना के कमांडर ए.के. नियाजी ने 93 हजार से ज्यादा पाकिस्तान के सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण कर डाला। पाकिस्तान 71 का युद्ध हार चुका था और बंगलादेश का अलग राष्ट्र के तौर पर उदय हो चुका था। भारत के 3900 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे जबकि 9,851 भारतीय जवान घायल हुए थे। भारत हर वर्ष 16 दिसम्बर को विजय दिवस मनाता है।