मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली: अब स्वीकार करें चुनौती

मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली: अंतत: भोपाल और इंदौर को अपने पुलिस कमिश्नर मिल गए

Update: 2021-12-17 18:34 GMT

मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली: अंतत: भोपाल और इंदौर को अपने पुलिस कमिश्नर मिल गए। अब इन दोनों अधिकारियों पर जिम्मेदारी होगी कि वे अपने अधिकारों का तेजी और ताकत के साथ उपयोग करें और प्रदेश के दोनों प्रमुख शहरों में अपराध कम करके दिखाएं। राजधानी भोपाल व प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में पुलिस कमिश्नरों की नियुक्ति के साथ ही अब पुलिस विभाग के पास इन श्ाहरों में अपराध पर नियंत्रण को लेकर कोई बहाना नहीं बचा। अब तक यह होता रहा है कि जब भी अपराध बढ़े, पुलिस विभाग की ओर से दबी जुबान में यह सवाल उठाया गया कि 'हमारे हाथों में ज्यादा कुछ नहीं। इस सवाल का इशारा आइएएस अफसरों के पास निहित मजिस्ट्रियल अधिकारों की ओर होता रहा और इसी की आड़ में पुलिस विभाग अन्यमनस्क मन:स्थिति में बना रहा। किंतु अब पुलिस कमिश्नरों की नियुक्ति के साथ ही यह अन्यमनस्कता टूटनी चाहिए। अब यह तय हो चुका है कि यदि भोपाल में अपराध बढ़े तो नव-नियुक्त पुलिस कमिश्नर मकरंद देउुस्कर और इंदौर में अपराध बढ़े तो हरिनारायण्ााचारी मिश्र से सवाल पूछे जाएंगे। अब इन दोनों बड़े श्ाहरों में अपराधों पर नियंत्रण की कमान, अधिकार, उत्तरदायित्व, जिम्मेदारी...सबकुछ इन दोनों अफसरों पर है।

यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि इंदौर और भोपाल में इस प्रणाली की जरूरत लंबे समय से अनुभूत की जा रही थी। जब-जब दिल दहला देने वाला कोई बड़ा हत्याकांड होता, सुर्खियां बटोरने वाली बड़ी डकैती डलती या फिर शर्मिंदा करने वाला दुष्कर्म का कोई मामला घटित होता, तब-तब पुलिस पर प्रश्न उठते। पुलिस विभाग अधिकार और उत्तरदायित्व की ओट लेकर इन प्रश्नों से मुंह चुरा जाता। यही वजह रही कि इंदौर और भोपाल प्रदेश में तो कई तरह के अपराध की सूची में अव्वल रहे ही, देश में भी इनका नाम कई बार बदनाम हुआ। किंतु अब इन काली सूचियों में हमारे इन गौरवशाली शहरों का नाम न आए, इसके लिए दोनों पुलिस कमिश्नरों को अपनी ताकत झोंक देनी होगी। अब जनता की चेष्टा रहेगी कि पुलिस कमिश्नर अपने अधिकारों का पूरी क्षमता और तेजी से उपयोग करें, पुलिस विभाग में डाउन-लाइन अर्थात मैदानी अमले तक में उत्साह जगाएं और अपराध पर नियंत्रण्ा की नई इबारत लिख दें। सनद रहे कि जनता के सामने इंदौर, भोपाल के कमिश्नरों के कामकाज की तुलना के लिए मुंबई, लखनऊ, वाराणसी सहित कुछ अन्य शहरों के उदाहरण सामने रहेंगे।
एक बात और है, जिसकी जिम्मेदारी मकरंद देउस्कर और हरिनारायणचारी मिश्र पर होगी, और वह यह कि वे अपनी कमिश्नरी को जितना सफल साबित करेंगे, उतनी अधिक संभावना जबलपुर और ग्वालियर में भी इस प्रणाली को लागू करने की बनेगी। वैसे तो इन दोनों शहरों में भी इंदौर, भोपाल के साथ ही इस प्रणाली को लागू कर दिया जाना चाहिए था, किंतु अब शासन को ऐसा करने का साहस और बल देने का आधार इंदौर और भोपाल के कंधों पर होगा।

 नई दुनिया

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