PKL 2021: प्रो कबड्डी लीग में जुनूनी जंग शुरू, जानिए कौन सी टीम है खिताब की प्रबल दावेदार
प्रो कबड्डी लीग में जुनूनी जंग शुरू
प्रो कबड्डी लीग का 8वां सीजन जिन संभावनाओं के साथ शुरू हुआ, अब तक उस पर खरा उतरा है. पहले तीन दिन मे खेले गए 9 मुकाबलों मे जो साफ दिख रहा है, वह यह कि पीकेएल के बड़े-बड़े स्टार संघर्ष करते दिखाई दे रहे हैं. हर सीजन मे कुछ नए और अनजान से सितारे अपनी पहचान बना लेते है, सो वह सिलसिला भी शुरू हो चुका है. लीग शुरू होने से पहले कागज पर जो टीमें कमजोर लग रही थी, अब मैट पर उतनी कमजोर दिखाई नहीं देतीं. कुल मिलाकर जुनूनी जंग शुरू हो चुकी है, और हर गुजरते दिन के साथ यह और कड़ी होती जाएगी.
यू मुंबा को इस बार मैच शुरू होने से पहले शायद किसी ने बेहतर रेटिंग नहीं दी थी, वजह साफ थी की इस टीम मे अनुभव के नाम पर ईरान के फजल अत्राचली के अलावा अभिषेक सिंह ही थे. लेकिन अब तक खेले गए दोनों मैचों मे इस टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया है. पहले दिन इसने सीजन 6 की चैंपियन बेंगलुरु बुल्स को एकतरफा 16 पॉइंट के बड़े फासले से हराया, लेकिन दबंग दिल्ली के खिलाफ यह बेहतर खेलने के बावजूद चार पॉइंट से हार गए. हैरत की बात यह की टीम के कप्तान फजल अत्राचली दो मैचों मे अब तक डिफेंस मे सिर्फ दो ही पॉइंट ले सके हैं, दिल्ली के खिलाफ तो वह अपना खाता भी नहीं खोल पाए.
अभिषेक सिंह ने पहले ही मुकाबले मे 19 पॉइंट लेकर हलचल मचा दी, लेकिन दिल्ली की डिफेंस ने उनकी काट निकाल ली और चलने नही दिया. टीम के पास डिफेंस मे रिंकू ने राइट कॉर्नर मे डेब्यू किया है, हरेन्द्र भी अब तक ठीक ठाक रहे हैं. वी अजीथ कुमार औसत दर्जे के रेडर हैं, लेकिन निरन्तरता उनकी पहचान है. यानि जैसा लग रहा था, वैसा हैं नहीं और दो बार की चैंपियन यू मुंबा को पूरी तरह से दरकिनार नहीं किया जा सकता.
मुंबा के कप्तान अत्राचली नहीं चले तो लीग के सबसे बड़े स्टार पवन सेहरावत भी चले तो हैं लेकिन उनका मिडास टच देखना बाकी है. पवन से सभी को बड़े पॉइंट्स देखने की आदत हो गई है, और पिछले दो सीजन मे वह लीग के टॉप स्कोरर रहे हैं. पहले मैच मे बेंगलुरु का डिफेंस बिलकुल फिसड्डी दिखाई दिया. सिर्फ 3 पॉइंट मिले और वह भी पहली बार लीग खेल रहे मयूर कदम ने हासिल किए. बेंगलुरु की डिफेंस का कोर मौजूद था, लेकिन उसके बावजूद वह लाचार दिखाई दिए. हालाकि कोच रणधीर सिंह सेहरावत ने दूसरे मुकाबले मे उन गलतियों को सुधार लिया और तमिल थलाइवाज के खिलाफ डिफेंस वेल ऑइल्ड मशीन की तरह चला. रणधीर सिंह एकमात्र ऐसे कोच हैं जो टीम के साथ पहले सीजन से बने हुए हैं, और उन्हे एक कड़क कोच के तौर पर देखा जाता है.
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तमिल थलाइवाज कभी भी सुर्खियां बटोर नहीं सकी है, हालांकि पिछले सीजन उसके पास तजुर्बे की खदान थी, लेकिन "ढेर जोगी मठ उजाड़े" की कहावत चरितार्थ हुई. पिछले तीन सीजन में यह टीम अंतिम पड़ाव से उठ नहीं सकी है. हालांकि इस बार इसने कम से कम शुरू मे ठीक-ठाक खेल दिखाया है. तेलुगू टाइटन्स को यह पहले मुकाबले मे हरा भी सकते थे, लेकिन आखिरी 5 मिनट मे दबाव झेल नहीं पाए, और टाइटन्स ने मैच टाई करा लिया. मंजीत जो पिछले सीजन पुनेरी पलटन के साथ थे, उन्होंने प्रभावित किया है, खासकर पहले मैच मे उनके प्रदर्शन ने थलाइवाज को मजबूती दी. टीम के पास भवानी राजपूत का भी रेड मे एक बेहतर विकल्प मौजूद है. कप्तान सुरजीत सिंह के अलावा टीम का डिफेंस नया है और उनके पास अनुभव की कमी है. बावजूद इसके युवा मोहित, साहिल और सागर ने छाप छोड़ने की कोशिश की है.
दक्षिण की एक और टीम तेलुगू टाइटन्स कागज पर इस बार मजबूत है. टीम के पास सिद्धार्थ देसाई जैसा बड़ा नाम है तो रजनीश और ऋतुराज कोराबी की तरह यूटिलिटी रेडर मौजूद हैं. संदीप कंडोला की मौजूदगी डिफेंस को मजबूत बनाती है. टीम ने तीसरे दिन तक एक ही मैच खेला है और सिद्धार्थ देसाई ने उसमे सुपर टेन लगाया है, लेकिन देसाई को उसके लिए संघर्ष करना पड़ा, जो उनकी ख्याति के अनुरूप नहीं है. गुजरात जाएंट्स की टीम कागज पर पूरी तरह डिफेंस ऑरिएन्टेड दिखाई देती है. दो सालिड कॉर्नर रविंदर पहल और गिरीश एरनाक के अलावा टीम के पास कवर्स मे सुनील-परवेश की हिट जोड़ी भी है. लेकिन खास तौर पर कल डिफेंडिंग चैंपियन बंगाल वारियर्स के खिलाफ इस अनुभवी डिफेंस के फेल्ड टैकल देख तकलीफ हुई. रेडर मे कोई बड़ा नाम तो नहीं है, लेकिन राकेश नरवाल काम बड़ा कर रहे हैं. बंगाल के खिलाफ 17 रेड्स मे वह सिर्फ एक बार टैकल हुए और कुल 12 पॉइंट्स लिए, जिसमे 6 टच और 5 बोनस पॉइंट्स थे. मतलब साफ कि राकेश नरवाल एक हरफनमौला रेडर हैं, और इस सीजन उनके चमकने की बेहतर संभावनाए हैं. उनके सपोर्ट मे एक और राकेश और रतन मौजूद हैं, जिनसे अभी कुछ खास देखने को नहीं मिला है. यानि जो माना जा रहा था की यह टीम सिर्फ डिफेंस पर खेलेगी ऐसा हैं नहीं.
पिछले सीजन की विजेता बंगाल वॉरियर्स ने इस बार खुद को और मजबूत करने की कोशिश की है और राइट कॉर्नर पर अबूज़ार मेघानी को शामिल किया है. लेकिन सच यही है कि ईरान के मेघानी अब तक दोनों मैचों मे खाता भी नहीं खोल पाए हैं और उनके नाम चार फेल्ड टैकल लिखे जा चुके हैं. टीम के पास मनिंदर के रूप मे खामोश कातिल मौजूद है, जो खामोशी के साथ अपना काम बखूबी कर जाता है. मोहम्मद नबीबक्श की मौजूदगी से भी टीम मजबूत हुई है. बंगाल और दिल्ली ही दो ऐसी टीमे हैं जिन्होंने अब तक खेले गए दोनों मैच जीते हैं और शुरुआती बढ़त ली है.
दिल्ली के दबंगों ने मंजीत, जीवा, संदीप नरवाल और कप्तान जोगिंदर जैसे सूरमाओं से अपनी डिफेंस सजाई है. किसी भी टीम के लिए यह ड्रीम डिफेंस लाइन हो सकती है, बशर्ते यह अनुभवी खिलाड़ी फेल्ड टैकल से बचने की कोशिश करें. टीम के पास नवीन कुमार जैसा हीरा रेडर है, जो निरन्तरता के साथ बड़े पॉइंट्स मे रहता है. नवीन की खासियत उसका सहज खेल है, शायद एक मशीन मे और नवीन मे कोई खास फर्क नहीं है. विजय मलिक भी उनका ठीक ठाक साथ दे रहे हैं. हालाकि अजय ठाकुर वक्त के साथ अब थोड़ा आउट ऑफ कलर लगने लगे हैं. पुनेरी पलटन, जयपुर पिंक पेंथर्स, हरियाणा स्टीलर्स, पटना पायरेट्स और यूपी योद्धा ने तीसरे दिन तक 1-1 मैच खेला है.
पटना से यूपी पहुंचे प्रदीप नरवाल पहले मुकाबले मे निराश कर गए, 50 फीसदी की स्ट्राइक रेट के साथ परदीप 16 रेड मे सिर्फ 8 पॉइंट ही बना सके. जयपुर के कप्तान दीपक निवास हुडा भी फीके रहे, और 13 रेड मे वह सिर्फ 4 पॉइंट बना सके. पुनेरी पलटन के सुपर स्टार राहुल चौधरी 10 रेड मे सिर्फ 5 पॉइंट्स बना सके, हरियाणा के लिए रोहित गुलिया और विकास कंडोला ठीक ठाक चले, सूरेंद्र नारा ने दो साल के बाद शानदार वापसी मे हाई फाइव लगाया, इसके बावजूद टीम को हार का सामना करना पड़ा.
इन टीमों मे सिर्फ पटना पायरेट्स ही ऐसी टीम है, जिसे जीत मिली है और टीम मे वापसी कर रहे मोनू गोयत ने 16 रेड मे 14 पॉइंट्स लेकर इस जीत मे अहम रोल अदा किया है. कुल मिलाकर अभी प्रो कबड्डी के सीजन आठ की सिर्फ शुरुआत हुई है, आने वाले दिनों मे घमासान और भी तेज होगा और इस बार के परिणाम चौंकाने वाले भी हो सकते हैं.
संजय बैनर्जी