कोरोना से तीसरी और चौथी बार संक्रमित होकर ऊब रहे हैं लोग, विशेषज्ञ ने कहा- हम अभी हार नहीं मान सकते
उन्नति गोसाईं |
देश में सोमवार (2 मई) को आखिरी 24 घंटे के दौरान कोरोना संक्रमण (Corona) के 3157 नए मामले मिले, जबकि 26 लोगों ने कोविड-19 वायरस की वजह से जान गंवा दी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health)के मुताबिक, सोमवार को मिले संक्रमण के नए मामलों के बाद देश में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या 4,30,82,345 हो गई. वहीं, मौतों का आंकड़ा 5,23,869 पहुंच गया. हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक, इस वक्त बढ़ते मामले उस तरह चिंता का विषय नहीं हैं, जैसे दूसरी लहर (Corona Second wave) के दौरान डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की वजह से थे. उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना के आने वाले वेरिएंट के लक्षण को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है. लोग इस वायरस से करीब 30 महीने से भी ज्यादा समय से जूझ रहे हैं, जिसकी वजह से अब वे कोविड-19 से ऊबने लगे हैं.
राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि हम तीन साल से लगातार महामारी से जूझ रहे हैं और इससे थक चुके हैं. उन्होंने टीवी 9 को बताया, 'मेरा परिवार पहले ही दो बार कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुका है. हम सभी को कोरोना वैक्सीन लग चुकी है और हम में से अधिकांश (जो योग्य थे) ने बूस्टर डोज भी लगवा लिया है. लेकिन अब मेरे छोटे बच्चे इससे जूझ रहे हैं और संक्रमण फैला रहे हैं. हम सभी तीसरी बार कोविड-19 से संक्रमित हैं, लेकिन इस बार हम वायरस से एक तरह से ऊब चुके हैं.'
उन्होंन कहा, 'बेशक कोरोना का नया वेरिएंट अब ज्यादा खतरनाक न हो, लेकिन लोग इससे निपटने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से बेहद थक चुके हैं. मुझे डर है कि हम उस नुकसान से कभी नहीं उबर पाएंगे, जो इस वायरस ने हमारे शरीर को दिया है. इसके अलावा मानसिक थकान अलग है. आइसोलेशन के साथ होने वाली बेचैनी से हमारे अंदर थकान बढ़ा रहा है.'
कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते – करते ऊबने लगे हैं लोग
नोएडा स्थित एक आईटी फर्म में कार्यरत राहुल सिंघला ने भी इस बात की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से ऊबाऊपन वास्तविक है. सिंगला ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, 'हम करीब दो साल से अपने आसपास कोविड-19 को देख रहे हैं. हालांकि, मैं अभी तक कोरोना वायरस की चपेट में नहीं आया. दरअसल, अब तक कराए गए किसी भी टेस्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है. हालांकि, मैंने अपने कई दोस्तों और रिश्तेदारों को कई बार वायरस से संक्रमित होते देखा है. अब एक बार फिर संक्रमण फैल रहा है. ऐसे में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना बेहद निराशाजनक है. दरअसल, 2020 के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर मास्क (Mask) को लेकर मैं भी काफी पैरवी करता था, लेकिन अब मैं देखता हूं कि इसकी कोई जरूरत नहीं है. जब कोविड प्रोटोकॉल (Covid Protocol) का पालन करने की बात आती है तो ऊबना बेहद सामान्य प्रक्रिया है. दरअसल, जब वायरस को लेकर चर्चा होती है तो मन में 'सब कुछ खत्म हो गया' की भावना उमड़ने लगती है, जो हमें परेशान कर रही है.'
कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी
नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विनी कांट्रो ने भी इस पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि दरअसल कोरोना महामारी काफी समय से हमारे आसपास है. इसके चलते कुछ लोगों में बीमारी की वजह से थकान हो सकती है. डॉ. कांट्रो ने कहा, 'यह सच है कि जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं और यहां तक कि बूस्टर डोज भी लगवा चुके हैं, वे भी कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित हो रहे हैं. लेकिन हम कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना नहीं छोड़ सकते हैं. वायरस के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. हमें इसे जारी रखना होगा. वायरस अब भी हमारे लिए अज्ञात है और हम कोरोना के आने वाले वेरिएंट्स से अनजान हैं. इस वायरस से लड़ना मुश्किल है, लेकिन हम हार नहीं मान सकते. हमें मास्क पहनना होगा. साथ ही, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोविड अनुरूप व्यवहार का बेहद गंभीरता से पालन करना होगा.'
डॉ. कांट्रो ने कहा कि इन सबसे इतर पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में हमें सावधान रहना चाहिए, क्योंकि SARS CoV2 अब भी वरिष्ठ नागरिकों और उन लोगों के लिए बेहद खतरनाक है, जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं.' उन्होंने बताया, 'इन दिनों रिपोर्ट किए गए हल्के मामलों से एक अच्छा संकेत यह मिला है कि वायरस जल्द ही एनडेमिक हो सकता है, लेकिन वह दिन कब आएगा, हमारे पास इसका कोई जवाब नहीं है. हालांकि, तब तक कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना ही वक्त की जरूरत है.'