अपना बाजार
दीपावली सनातन सांस्कृतिक धरोहर, पारिवारिक परंपराओं, कला आदि को सहेजने का त्योहार है। इस अवसर पर सभी लोग मुक्त भाव से बाजारों से खरीदारी करते हैं। इस पर्व में सभी के घरों में यथा-सामर्थ्य रंग-रोगन-पेंट आदि द्वारा घरों-दुकानों-प्रतिष्ठानों को नया रूप दिया जाता रहा है।
Written by जनसत्ता: दीपावली सनातन सांस्कृतिक धरोहर, पारिवारिक परंपराओं, कला आदि को सहेजने का त्योहार है। इस अवसर पर सभी लोग मुक्त भाव से बाजारों से खरीदारी करते हैं। इस पर्व में सभी के घरों में यथा-सामर्थ्य रंग-रोगन-पेंट आदि द्वारा घरों-दुकानों-प्रतिष्ठानों को नया रूप दिया जाता रहा है।
रोशन करने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुएं, विभिन्न आकार-प्रकार लिए रंग-बिरंगी झालर, सजावटी समान, हस्तकला से निर्मित वस्तुएं से घर-दुकान और प्रतिष्ठानों को सजाया जाता रहा है। पुराने सामानों को नए आकर्षक आधुनिक समान से बदला जाता है। सोना-चांदी, आटोमोबाइल, इलेक्ट्रानिक, रेडिमेड सहित बर्तन बाजार, गिफ्ट आइटम स्टोर ग्राहकों को आकर्षित करते हैं। विक्रेताओं द्वारा लुभावने प्रस्ताव दिए जाते हैं।
ई-कामर्स कंपनियां भी तरह-तरह के तरीके अपना कर अपने ग्राहकों को आकर्षित करने में लगी हुई हैं। व्यापार से जुड़े सभी छोटे-बड़े लोग इस अवसर को किसी भी कीमत पर छोड़ने के लिए तैयार नहीं होते हैं। वहीं नौकरीपेशा युवा अपने परिजनों से मिलने के लिए आतुर होते हैं, घरों की ओर रुख करते हैं। अपने परिजनों के लिए यथाक्षमता उपहार, गहने, कपड़े, खिलौने, मिठाई आदि खरीदते हैं।
ऐसे समय में हम भारतीयों को विदेशी सस्ते कम टिकाऊ उत्पाद के मोह को त्याग कर स्वदेशी उत्पादों को महत्त्व देना चाहिए, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर क्रय करना चाहिए। स्वदेशी भारतीय वस्तुओं या उत्पादों को खरीद कर हम भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं, भारतीय कला-कौशल-कारीगरी को प्रोत्साहित कर सकते हैं, अपनों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं।
आनलाइन या इंटरनेट के सहारे खरीदारी न कर अपने आसपास की दुकानों से सीधे खरीदारी कर गरीब, छोटे, फुटकर दुकानदारों को भी दीपावली मनाने का अवसर प्रदान कर सकते हैं। वैसे भी कहा जाता है कि जब तक हम भारतीय अपने स्वदेशी उत्पाद को क्रय नहीं करेंगे, उपयोग में नहीं लाएंगे, उसकी तारीफ नहीं करेंगे तब तक हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि विदेशी हमारे सामान को खरीदें, उपयोग करें और हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करें।