किसानों और तीन नए कृषि कानूनों को लेकर संसद में बेनकाब होता विपक्ष, काले कानूनों में काला क्या है?
यह अच्छा हुआ कि राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान किसानों और नए कृषि कानूनों के विषय में व्यापक बहस हुई।
यह अच्छा हुआ कि राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान किसानों और नए कृषि कानूनों के विषय में व्यापक बहस हुई। इस बहस में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संबोधन के समय यदि विपक्ष बगलें झांकने वाली स्थिति में दिखा तो इसी कारण कि वह कृषि कानूनों को लेकर दुष्प्रचार करने में लगा हुआ है और यह बताने की स्थिति में नहीं कि इन कथित काले कानूनों में काला क्या है? विपक्षी दल अनुबंध खेती के प्राविधान का विरोध तो कर रहे हैं, लेकिन उनके पास इस प्रश्न का उत्तर नहीं कि आखिर पंजाब समेत करीब दो दर्जन राज्यों ने अनुबंध खेती संबंधी कानून क्यों बनाए हुए हैं? क्या यह विचित्र नहीं कि किसान आंदोलन में सबसे ज्यादा भागीदारी पंजाब के किसान संगठनों की ही है। साफ है कि किसानों का आंदोलन राजनीति प्रेरित और ऐसी अफवाहों पर आधारित है कि यदि कृषि कानून लागू हुए तो एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और किसानों की जमीनें छीन ली जाएंगी। विपक्ष को इससे अवगत होना चाहिए कि इस दुष्प्रचार का सहारा केवल किसान संगठन ही नहीं ले रहे, बल्कि वे देश विरोधी ताकतें भी ले रही हैं, जो भारत को बदनाम करने का अभियान चला रही हैं।