One year of Galwan clash : गलवान झड़प के एक साल बाद चीनी प्रोडक्ट से हमारा कितना मोह भंग हुआ?

भारत में जब नरेंद्र मोदी की सरकार 2014 में बनी तो उन्होंने अपने विदेश नीति को मजबूत बनाने पर सबसे ज्यादा जोर दिया

Update: 2021-06-16 08:34 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| भारत में जब नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार 2014 में बनी तो उन्होंने अपने विदेश नीति को मजबूत बनाने पर सबसे ज्यादा जोर दिया. इसी के चलते चीन (China) से भी भारत (India) के रिश्ते सुधारने के प्रयास किए गए. हालांकि चीन को भारत से दोस्ती रास नहीं आई और भारत के साथ रिश्ते खराब होते गए. चीन लगातार भारत की सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करता रहा और भारत उसका विरोध करता रहा. लेकिन 16 जून 2020 को हालात बदतर हो गए और गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिक और भारतीय सैनिकों के बीच भीषण झड़प हो गई. इस झड़प में भारत के 20 जवानों की शहादत हुई, चीन के सैनिक भी मारे गए. भारत सरकार ने इसके बाद अपरोक्ष रूप से चीन में बने उत्पादों पर रोक लगा दी और बारी-बारी से करीब 268 चीन के मोबाइल ऐप पर भी बैन लगा दिया.

हालांकि, चीन पर हमारी निर्भरता और कोरोना महामारी (Corona Pandemic) में भारत की मजबूरी ऐसी रही कि जनता के चीनी सामानों के बहिष्कार के बाद भी आज भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार चीन बन गया है. वित्त वर्ष 2020-21 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 86.4 बिलियन डॉलर रहा, जो संयुक्त राज्य अमेरिका से होने वाले भारतीय व्यापार को पार कर गया. अब तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार अमेरिका ही था. वित्त वर्ष 2021 में पहली बार चीन को भारत का निर्यात बढ़कर 20 अरब डॉलर हो गया. परिणामस्वरूप, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार अंतर लगभग $40 बिलियन था, जो इसे अपने अन्य व्यापारिक भागीदारों की तुलना में भारत का सबसे बड़ा बनाता है. हालांकि यह भी सत्य है कि इस बार चीन की हिमाकत पर भारत की जनता की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया दी गई. जनता ने चीन में बने सामानों को खरीदना कम कर दिया. यहां तक ती 43 फीसदी भारतीयों ने तो एक भी चाइनीज प्रोडक्ट नहीं खरीदें. एक ऑनलाइन कंपनी लोकलसर्कल्स के हुए सर्वे में यह बात निकल कर आई है कि गलवान घाटी में चीन से हुई झड़प के बाद भारत में उसके सामानों की खरीद पर भारी गिरावट दर्ज की गई थी.
गलवान झड़प के बाद चीन के सामान पर कितने बदले भारतीय
गलवान में झड़प के बाद चीन को दोहरी मार खानी पड़ी, पहले भारत सरकार ने उससे ट्रेड में कमी की और उसके 268 चीनी ऐप पर बैन लगा दिया. इससे चीन को कई हज़ार करोड़ का नुकसान हुआ. इसके बाद भारतीय लोगों ने भी चीन में बने सामानों को खरीदना या तो कम कर दिया या तो पूरी तरह से बंद कर दिया. लोकलसर्कल्स के सर्वे में पाया गया कि 43 फीसदी भारतीयों नें एक साल से चीन के प्रोडक्ट नहीं खरीदे हैं. वहीं 34 फीसदी लोगों ने केवल एक या 2 बार चीन में बना सामान खरीदा है. यह सर्वे देश के 281 जिलों में 17,800 लोगों के ऊपर किया गया था. इसमें 67 फीसदी पुरुष और 33 फीसदी महिलाओं ने हिस्सा लिया था.
गलवान झड़प के बाद ट्रेड घटा कोरोना में बढ़ा
16 जून 2020 को जब गलवान घाटी में चीनी और भरातीय सैनिकों की झड़प हुई तो उसके बाद से ही दोनों देशों के बीच ट्रेड कम हो गया था. भारत चीन से ट्रेड करने की बजाय अमेरिका जैसे देशों से ज्यादा ट्रे़ड करने लग था. गलवान झड़प के बाद भारत से चीन का ट्रेड 5.6 फीसदी तक गिर गया था. भारत ने ना सिर्फ ट्रेड घटाए बल्कि चीन के प्रभुत्व वाले RCEP से भी अलग हो गया. हालांकि कोरोना महामारी के बाद भारत को मजबूरी में चीन से फिर से अपना ट्रेड बढ़ाना पड़ा, क्योंकि कोरोना ने भारत में तबाही मचा रखी थी और भारत को दवाइयों, लाइफ सेविंग इक्विपमेंट और मेडिकल ऑक्सीजन के लिए चीन से व्यापार करना पड़ा. आंकड़ों के मुताबिक 2021 के शुरूआती 5 महीनों में ही भारत से चीन का इंपोर्ट 42 फीसदी तक बढ़ गया.
चीन से व्यापार पर भारत सरकार की सख्ती
चीन से जब रिश्ते खराब हुए तो भारत ने भी चीन को सबक सिखाने की ठान ली. दरअसल चीन के लिए भारत एक बड़ा बाज़ार है, जहां से उसे हर साल अरबों का मुनाफा होता है. भारत को पता है कि अगर चीन को रास्ते पर लाना है तो उसके इसी मुनाफे पर चोट करनी होगी. यही वजह है कि पहले भारत ने चीन के सैकड़ों ऐप पर बैन लगाए, फिर RCEP ( रिजनल कॉम्प्रेहेंसिव इकॉनमी पार्टनरशिप) से बाहर हो गया. इसके बाद भारत सरकार ने चीन को सबक सिखाने के लिए FDI नियमों में भी परिवर्तन कर दिया, नए नियम के मुताबिक अब भारत से जमीनी सीमा साझा करने वाला कोई देश भारत में बिना भारत सरकार की अनुमति के व्यापार नहीं कर सकता. चीन के मुनाफे पर जब ये चोट पड़ी थी तो वह तिलमिला उठा था.
चीन और भारत के बीच व्यापार खत्म करना इतना आसान नहीं है
बीबीसी में छपी एक खबर के अनुसार 2019 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार अमेरिका था, इसके बाद गलवान घाटी की घटना हुई और भारत की ओर से चीन के साथ व्यापार को लेकर कई रुकावटें पैदा की गईं, अनुमान लगाया गया कि इससे चीन को नुकसान होगा और उसका व्यापार भारत से घटेगा, लेकिन इन सब के बावजूद भी 2020-21 में चीन हमारा सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी बन कर उभरा जो चौंकाने वाली बात है.
चीन से भारत का व्यापार कोरोना के दौरान बहुत ज्यादा बढ़ा, चीन ने इस दौरान भारत को 26 हज़ार से ज्यादा वेंटिलेटर्स और ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स बेचे. इसके साथ 15 हज़ार से ज्यादा पेशेंट मॉनीटर्स और 38 हजार टन दवा की सामाग्री बेची. यही नहीं भारत ने चीन को फिलहाल 70 हज़ार से ज्यादा ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स और वैक्सीन बनाने में काम आने वाली 30 टन कच्चे माल का भी ऑर्डर दिया है, जिसकी सप्लाई जल्द हो सकती है.


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