एक राष्ट्र, एक संविधान ही स्वीकार्य
भारतीय जनता पार्टी जनसंघ काल से ही एक राष्ट्र, एक संविधान और एक ध्वज के मुद्दे को लेकर संघर्ष करती आई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय जनता पार्टी जनसंघ काल से ही एक राष्ट्र, एक संविधान और एक ध्वज के मुद्दे को लेकर संघर्ष करती आई है। इसी मुद्दे पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर में अपना बलिदान दिया था। नरेन्द्र मोदी सरकार ने दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय देते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को हटा कर अपना संकल्प पूरा किया। अब जम्मू-कश्मीर में एक संविधान, एक ध्वज लागू हो चुका है तो नरेन्द्र मोदी सरकार किसी दूसरे राज्य में अलग ध्वज और अलग संविधान की मांग कैसे स्वीकार कर सकती है। नागालैंड का संगठन एनएससीएन (आईएम) पिछले 23 वर्षों से केन्द्र के साथ अलग नागा ध्वज आैर अलग संविधान पर बातचीत कर रहा है ताकि भारत-नागा मुद्दे का समाधान हो सके। नागालैंड के 58वें राज्य दिवस पर राज्यपाल आरएन रवि ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि भारत में केवल एक राष्ट्रीय ध्वज और संविधान होगा। कोई भी व्यक्ति अगर ऐसा कुछ भी बोल रहा है तो वह झूठ बोल रहा है। नागालैंड समस्या को सुलझाने के लिए केन्द्र की तरफ से वार्ताकार रहे आरएन रवि ने कहा कि हम इतिहास के चौराहे पर खड़े हैं। आज लिया गया सही निर्णय हमारे भविष्य और आने वाली पीढ़ियों की नियति तय करेगा। भारत सरकार ने देश की क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुता पर किसी के साथ बहुत कम बातचीत की है। इस महान राष्ट्र को विभाजित करने वाले किसी भी दुस्साहस को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने दो टूक कहा है कि बंदूकों के साये में उग्रवादी समूह के साथ अंतहीन बातचीत मंजूर नहीं है।