अपने दम पर
रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पिछले कुछ सालों में सरकार ने जो बड़े कदम उठाए, उन्हीं का परिणाम है कि आज बहुत से रक्षा उपकरण देश में ही बन रहे हैं और सेना की जरूरतें पूरी कर रहे हैं।
Written by जनसत्ता: रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पिछले कुछ सालों में सरकार ने जो बड़े कदम उठाए, उन्हीं का परिणाम है कि आज बहुत से रक्षा उपकरण देश में ही बन रहे हैं और सेना की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। रक्षा खरीद परिषद ने हाल में छिहत्तर हजार करोड़ रुपए के स्वदेशी रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
यानी सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए रक्षा उपकरणों और अन्य सामान की खरीद घरेलू कंपनियों से ही जाएगी। इतने बड़े सौदे को हरी झंडी देने के पीछे मूल मंत्र यही है कि सेना और सुरक्षा बल भारतीय कंपनियों में बना सामान ही खरीदें। इससे पहले भी रक्षा खरीद परिषद ने जिन प्रस्तावों को मंजूरी दी है, उनमें घरेलू कंपनियों से खरीद पर ही जोर रहा है।
घरेलू रक्षा उद्योग को खड़ा करने के लिए यह जरूरी भी है कि रक्षा क्षेत्र में प्रयोग होने वाला सामान देश में ही बनाया जाए। और सबसे बड़ी बात तो यह कि रक्षा उपकरणों के लिए दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता कम होगी। साथ ही देश में बनने वाले सामान की लागत भी कम बैठेगी और गुणवत्ता पर भी पूरी निगरानी रखी जा सकेगी।
दरअसल, बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारत की रक्षा जरूरतें भी बढ़ रही हैं। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी हमेशा से खतरा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि भारत भी अपनी सैन्य ताकत बढ़ाता रहे। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने रक्षा क्षेत्र से जुड़ी दो सौ से ज्यादा वस्तुओं के आयात पर पाबंदी लगाते हुए इन्हें देश में ही बनाने का बड़ा फैसला किया था।