ये स्वयंसेवी किसी के आदेश का इंतजार नहीं करते बल्कि स्वयं ही स्वयंसेवी होने का कर्त्तव्य निभाकर सेवा कार्यों में जुट जाते हैं। यहां तक कि कई बार पर्याप्त साधनों के अभाव में भी अपने स्तर पर बचाव कार्यों को पूरा करते हैं। बचाव कार्यों के अलावा स्वयंसेवी स्वच्छता कार्यक्रम, पौधारोपण कार्यक्रम, रक्तदान शिविर, सांस्कृतिक सम्मेलन, नेतृत्व की पहचान व परख, नशा निवारण जागरूकता कार्यक्रम भी चलाते हैं तथा लोगों तक सरकार की विभिन्न जनहितकारी निर्मल ग्राम योजना व स्वच्छ भारत मिशन जैसी नीतियों को भी जमीनी स्तर पर पहुंचाते हैं तथा लोगों को विभिन्न शिविरों, रैलियों व अन्य माध्यमों से जागरूक करते हैं। एनएसएस हिमाचल प्रदेश ने भी समाजसेवा में अनेक अभियान ऐसे चलाए हंै जिनसे राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवियों के कार्य समाज में सराहे गए हैं। इनमें मिशन डिजिटल कोरोअवेयर, ज्ञान दान एनएसएस मेरी पाठशाला, घरै हिमाचली खरै हिमाचली, इंच वन टीच वन, इंच वन वन हण्डरड वन, बुजुर्गों की देखरेख व कोरोना काल में भ्रामकता को दूर कर स्वस्थ जानकारी समाज तक पहुंचाने के अनेक मुख्य अभियान चलाए गए हैं। एनएसएस सुनने को तो नाम एक छोटा है लेकिन इसके पीछे छिपे 1969 स्थापना वर्ष से लेकर आज तक के अध्याय की बात करंे तो यह एक बहुत बड़ा व्यापक अध्याय सामने आ जाता है। आज स्कूलों, महाविद्यालयों में युवाओं की पहली पंसद एनएसएस बनती जा रही है। एनएसएस युवाओं में नेतृत्व की क्षमता को निखार रही है तथा राष्ट्र को नेतृत्ववान व बहुमुखी प्रतिभा से परिपूर्ण युवा भेंट कर रहा है। राष्ट्रीय सेवा योजना में स्वयंसेवक को दो साल की अवधि में कुल 240 घंटे की सामाजिक सेवा समर्पित करना आवश्यक होता है। राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयंसेवक को प्रति वर्ष 20 घंटे उन्मुखीकरण और 100 घंटे सामुदायिक सेवा में देना पड़ता है। एनएसएस में युवाओं के कार्य उद्देश्यों की बात करें तो एक एनएसएस स्वयंसेवी का कार्य जिस समुदाय में काम कर रहे हैं, उसे समझना, समुदाय की समस्याओं को जानना और उन्हें हल करने के लिए उनको शामिल करना, सामाजिक और नागरिक जिम्मेदारी की भावना का विकास करना, समूह स्तर पर जिम्मेदारियों को बांटने के लिए आवश्यक क्षमता का विकास करना, आपातकाल और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए उनको विकसित करना व राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता का अभ्यास करना इत्यादि प्रमुख कार्य हैं जिन्हें एक एनएसएस स्वयंसेवी इस संस्था में रहकर करता है।
वर्तमान कोरोना काल की बात करंे तो भी अगर आकलन युवा स्वयंसेवी संस्थाओं के सेवा व जागरूकता कार्यों का करें तो केवल राष्ट्रीय सेवा योजना के युवा स्वयंसेवी ही नजर आते हैं जिनके कार्यों की समाज में सराहना भी होती है। इसके अलावा एनएसएस प्रत्येक वर्ष अपने उद्देश्यों के अनुरूप सामाजिक सेवा कार्य करता है तथा मानसिक व सामाजिक रूप से एक स्वस्थ समाज की स्थापना करता है। शिक्षा के साथ व्यक्ति का संपूर्ण सामाजिक, मानसिक, शारीरिक व शैक्षणिक विकास करना ही एनएसएस की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य है। 24 सितंबर 1969 को स्थापित इस स्वयंसेवी संस्था ने समाज में अपनी एक अलग आदर्श पहचान कायम की है तथा आने वाले समय में भी युवा स्वयंसेवी एनएसएस को एक आदर्श स्थान तक पहुंचाने में अपना संपूर्ण योगदान दे रहे हैं। एनएसएस से जुड़कर युवाओं के व्यक्तित्व, चरित्र व आत्मिक का विकास होता है। राष्ट्रीय सेवा योजना का स्थापना वर्ष 1969 से लेकर आज तक का 51 वर्षों का सफर एक गर्वमयी सफर रहा है। इन 51 वर्षों में एनएसएस ने देश व समाज को असंख्य नेतृत्वान युवा प्रदान किए हैं जिनके प्रयासों से समाज का सार्वभौमिक विकास हुआ है तथा इन एनएसएस स्वयंसेवियों ने राष्ट्र निर्माण में भी अपनी अग्रणी भूमिका अभिनीत की है। इन 51 वर्षों मंे एनएसएस ने निःस्वार्थ भाव से 'स्वयं से पहले आप' आदर्श वाक्य के साथ समाज सेवा के क्षेत्र में एक विशेष आयाम प्राप्त कर लिया है। यह पहचान आगे भी इसी प्रकार रहेगी, यह विश्वास स्वयंसेवियों के प्रयासों को देख कर दृढ़ होता है। सरकार को भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों के विषय में गहन चिंतन कर उन्हें क्रियान्वित करना चाहिए। व्यक्ति के संपूर्ण विकास का यह साधन सही मायने में एक आदर्श संस्था है जो राष्ट्र व समाज की सेवा में शानदार भूमिका निभा रही है।