अब बस ये एक सूचना है!

सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में एक वेबसाइट ने महत्त्वपूर्ण खुलासा किया है। लेकिन

Update: 2021-01-09 07:46 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में एक वेबसाइट ने महत्त्वपूर्ण खुलासा किया है। लेकिन आज दौर ऐसा है कि ना तो इसे मेनस्ट्रीम मीडिया ने महत्त्व देने लायक खबर माना, ना ही इससे कोई सियासी हलचल पैदा होगी। यह सिर्फ उन लोगों के लिए एक सूचना बन कर रह जाएगी, जो पारदर्शिता और लोकतांत्रिक जवाबदेही की बातें करते हैं। गौरतलब है कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति एक हाल में विवादों में रही है। ये वो संस्था है, जिस पर सूचना का अधिकार कानून को उचित तरीके से लागू करने और आरटीआई मामलों के निपटारे की जिम्मेदारी है। यह सर्वोच्च अपीलीय संस्था है। पिछले साल नवंबर में मुख्य सूचना आयुक्त और तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के जो दस्तावेज सामने आए, उनसे चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं एवं मनमाना रवैये के संकेत मिले।


अब साफ ये हुआ है कि बिना आवेदन के ही एक सूचना आयुक्त की नियुक्ति की गई। ये वो व्यक्ति हैं, जिन्होंने 'मोदी मॉडल' को लेकर दो किताबें लिखी हैं और जिन्हें मौजूदा सरकार की विचारधारा का करीबी माना जाता है। इतना ही नहीं सीआईसी में छह सूचना आयुक्तों को नियुक्ति के लिए सरकार ने प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने बिना कोई कारण बताए सिर्फ तीन सूचना आयुक्तों की ही नियुक्ति की। नतीजतन आयोग में अभी भी तीन पद खाली हैं, जबकि अपीलों एवं शिकायतों का भार लगातार बढ़ता जा रहा है। दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि इस समिति में शामिल लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की आपत्तियों को नहीं सुना गया। इसे लेकर चौधरी ने असहमति का पत्र सौंपा था। केंद्रीय सूचना आयोग में छह आयुक्तों की नियुक्ति के लिए पिछले साल जुलाई में सरकार ने अपनी वेबसाइट और अखबारों में विज्ञापन निकाला था। इसे लेकर कुल 355 व्यक्तियों ने आवेदन किया था। अब वेबसाइट द वायर ने सरकारी दस्तावेज के हवाले से कहा है कि आयुक्तों की तलाश के लिए बनी सर्च कमेटी ने सूचना आयुक्त के पद के लिए नामों को शॉर्ट लिस्ट करने में मनमाना रवैया अपनाया। उसने अपने दायरे से बाहर जाकर काम किया। लेकिन मुद्दा यही है कि इस सूचना से कोई हलचल नहीं मची है। ना ही इससे किसी बदलाव की आशा रखी जा सकती है।


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