इस पाप का कोई प्रायश्चित नहीं

कई पाप ऐसे हैं जिनका प्रायश्चित असंभव है। किसी गर्भवती महिला का सामूहिक बलात्कार उनमें से एक है। किसी मां की आंखों के सामने उसकी तीन साल की बच्ची का सिर फोड़ना दूसरा है।

Update: 2022-08-21 04:34 GMT

तवलीन सिंह; कई पाप ऐसे हैं जिनका प्रायश्चित असंभव है। किसी गर्भवती महिला का सामूहिक बलात्कार उनमें से एक है। किसी मां की आंखों के सामने उसकी तीन साल की बच्ची का सिर फोड़ना दूसरा है। सो, बिलकिस बानो के बलात्कारियों को जब फूलों के हार पहनाए गए पिछले सप्ताह, मिठाइयां बांटी गईं, आरतियां उतारी गईं, मुझे घिन महसूस हुई। गहरी शर्मिंदगी भी। वही शर्मिंदगी, जो तब हुई जब बिलकिस के मुंह से उसकी कहानी सुनी थी कोई बीस वर्ष पहले।

उस समय वह अपने पति के साथ छिप-छिप कर दोस्तों, रिश्तेदारों के घरों में रह रही थी। इसलिए कि उस वक्त जिन दरिंदों ने उसके साथ ये पाप किए, उसको धमकाते, डराते फिर रहे थे। अनजान लोग नहीं थे ये दरिंदे। उसके अपने गांव के रहने वाले थे, उसके पड़ोसी थे। बिलकिस के पिता की दुकान से दूध खरीदते थे। लेकिन इसके बावजूद इस बदकिस्मत इक्कीस साल की महिला के सामने उसकी मां का भी सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके परिवार के कई लोग जान से मारे गए।

बिलकिस और उसके पति को मैं मिली 2002 के दंगों के एक साल बाद। मैं उन गांवों का दौरा कर रही थी, जहां सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी। तब तक जमानत पर छूट चुके थे कई लोग, जिन पर गंभीर आरोप थे। उनसे जब पूछा कि क्या उनको कोई पछतावा हुआ है अब, जब देश के माथे पर दुनिया भर में उनकी वजह से कलंक लग गया है, तो आज भी नहीं भूल सकती हूं उस युवक का जवाब, जिस पर हत्या का आरोप था।

'देश के माथे पर कलंक देखना है आपको तो कश्मीर जाकर देखें।' गुजरात के इस दौरे पर मैं गई थी इंडियन एक्सप्रेस के संपादक, शेखर गुप्ता, के कहने पर गुजरात का उस समय का माहौल जांचने के लिए। गोधरा से शुरू हुआ मेरा वह दौरा और कई गांवों में घूमने के बाद अहमदाबाद में समाप्त हुआ।

उस समय जलाई हुई बस्तियों के खंडहर मौजूद थे और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत कम नहीं हुई थी। दर्द भरे कई किस्से सुनने को मिले, लेकिन सबसे ज्यादा दर्द हुआ बिलकिस बानो की कहानी सुन कर।

बिलकिस ने हिम्मत दिखा कर न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और अब जब वह अपने पति के साथ थोड़े से चैन से रहने लगी है, वे दरिंदे वापस आ गए हैं उस गांव में, जो कभी उसका भी घर होता था। माना कि इन्होंने पंद्रह वर्ष जेल में काटे हैं, लेकिन उम्र कैद की सजा इनके लिए असल में आजीवन कारावास होनी चाहिए, क्योंकि इनके अपराध इतने घिनौने थे।

रिहाई के बाद लेकिन अब उनका स्वागत ऐसे किया जा रहा है जैसे किसी युद्ध में विजयी होकर लौटे हैं और गोधरा के भारतीय जनता पार्टी विधायक ने बरखा दत्त की 'मोजो-स्टोरी' पर कहा है कि चूंकि ये ग्यारह लोग ब्राह्मण हैं, उनके संस्कार अच्छे हैं, इसलिए रिहा हैं।

भारतीय जनता पार्टी की ट्रोल सेना ने कहना शुरू कर दिया है कि रिहाई साबित करती है कि उनको दंडित किया ही नहीं जाना चाहिए था। इसलिए कि कई बेगुनाह लोग दंडित हुए सिर्फ तीस्ता सीतलवाड के झूठे प्रचार के कारण।

क्यों न कहें यह बात, जब तीस्ता पर यह आरोप लगाया था स्वयं देश के गृह मंत्री ने एएनआइ को दिए एक टीवी इंटरव्यू में, जब सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि नरेंद्र मोदी को 2002 वाले दंगों में निजी तौर पर आरोपित ठहराने के लिए कुछ लोगों ने दशकों झूठा प्रचार किया है। उसके अगले दिन, 25 जून, को तीस्ता सीतलवाड को गिरफ्तार किया गया था और आज तक उसको जमानत नहीं मिली है।

उसकी गिरफ्तारी के होते ही गृहमंत्री ने स्पष्ट कर दिया उस इंटरव्यू में कि तीस्ता ने झूठे मुकदमे दर्ज कराए थे गुजरात के कई थानों में सिर्फ इस मकसद से कि मोदी को दोषी साबित किया जाए। मंत्रीजी का कहना है कि मोदी ने शिवजी की तरह इस जहर को चुप करके निगल लिया, दो लंबे दशकों तक, लेकिन अब सत्य सामने आ रहा है।

तीस्ता पर पुलिस का आरोप है कि उसने कांग्रेस पार्टी के नेता और सोनिया गांधी के करीबी, अहमद पटेल, से लाखों रुपए लिए थे मोदी को बदनाम करने के लिए। ऐसा हुआ था कि नहीं, अभी साबित नहीं हुआ है किसी अदालत में, लेकिन बिलकिस के बलात्कारियों का आरोप साबित पूरी तरह हुआ है कानूनी कार्यवाही के बाद। न्याय मिला भी बिलकिस को, लेकिन अब न्याय को अन्याय में बदल दिया है गुजरात सरकार ने।

इस अन्याय से एक बार फिर भारत के माथे पर कलंक लगा है और दुनिया के मीडिया में सवाल उठ रहे हैं हमारी कानून प्रणाली पर। 'गर्भवती मुसलिम महिला के बलात्कारी रिहा' जैसी सुर्खियां देखने को मिल रही हैं। समझना मुश्किल है कि गुजरात सरकार ने इन दरिंदों को रिहा करने का फैसला क्यों किया, जब देश का कानून कहता है कि हत्या और बलात्कार जैसे अपराध करने वालों के लिए उम्र कैद का मतलब आजीवन कारावास होना चाहिए।

ऐसे लोग, जो किसी मां के सामने उसकी नन्ही बच्ची का सिर फोड़ सकते हैं, उनकी जगह जेल में ही होनी चाहिए, हमेशा के लिए। कुछ पाप हैं, जिनका प्रायश्चित कभी हो नहीं सकती, चाहे पापी ब्राह्मण जाति के क्यों न हों। तो क्या, इस घोर अन्याय को न्याय में अब भी बदला जा सकता है?

गुजरात सरकार की इजाजत से रिहा हुए हैं, सो जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी की इस सरकार से कोई उम्मीद रखना बेकार है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय अगर चाहे तो अब भी हस्तक्षेप कर सकता है। आशा है कि नए प्रधान न्यायाधीश इस तरफ ध्यान देंगे और बिलकिस बानो को शांति से जीने का मौका मिलेगा।


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